फरीदाबाद की दलित महिलाओं का आरोप, 'हमारे वोट हमसे छीन लिए गए'

जांच में आरोप सही पाए गए, अब 19 मई को दोबारा पोलिंग होगी

हरियाणा के फरीदाबाद से खबर आई है कि यहां वोटों को लेकर धांधली चल रही है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक़, फरीदाबाद में जब 12 मई को वोटिंग हुई, तो वोटरों को प्रभावित करने की कोशिश की गई. ये भी खबर आई कि जबरदस्ती बीजेपी को वोट डाले गए.

खबर के मुताबिक़, असावती गांव के गवर्नमेंट हाई स्कूल में 23 साल की विवेचना नाम की महिला वोट देने पहुंचीं. वहां जब वो बूथ नंबर 88 में वोट डालने गईं, तो वहां मौजूद बीजेपी के पोलिंग एजेंट गिरिराज सिंह ने आकर कमल का बटन दबा दिया. जबकि विवेचना बसपा (बहुजन समाज पार्टी) के निशान पर बटन दबाने जा रही थीं.

ये मामला इसलिए सामने आया क्योंकि किसी ने इसका वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया. ये वीडियो अब वायरल हो रहा है. विवेचना ने बताया कि जब ये हुआ तब वो चौंक गईं, और उन्होंने पूछा कि आखिर गिरिराज सिंह ने ऐसा क्यों किया. लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. ऐसे और भी वीडियो सामने आए. पुलिस ने जब वीडियो में दिख रही औरतों से बात की, और उन्होंने कहा कि उनके वोट किसी और ने डाले.

इंडियन एक्सप्रेस को विवेचना ने बताया कि उन्होंने घरवालों को इस बारे में बताया लेकिन इस पर आगे कोई कार्रवाई नहीं की. बूथ में मौजूद दूसरे अधिकारियों के सामने ये हुआ. इसका मतलब वो लोग भी मिले हुए थे. तो  किसके पास जाते. विद्या और शोभा नाम की औरतों ने भी यही शिकायत की. इस मामले में विजय रावत का भी नाम आया है. ये बताया गया है कि ये युवा राजपुताना संगठन का प्रेसिडेंट है और बीजेपी से जुड़ा हुआ है.

सोमवार को सामने आए एक वीडियो में विजय रावत के इस मामले में इन्वॉल्व होने की बात सामने आई है, पुलिस ने ऐसा बताया है. सदर पलवल पुलिस स्टेशन के स्टेशन हेड ऑफिसर सब इंस्पेक्टर कुलदीप सिंह ने कहा, ‘हमने विजय रावत को वीडियो से पहचान लिया. उसके और प्रिसाइडिंग ऑफिसर अमित आत्री के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है’. FIR में भारतीय दंड संहिता की धारा 171 C और 188 के तहत मामला दर्ज हुआ है. 

जब ये बात आगे बढ़ी, और मामला हाईलाईट हुआ, तब इसकी जांच हुई. उस पोलिंग बूथ के प्रेसाइडिंग अफसर अमित आत्री को सस्पेंड कर दिया गया. मई 19 को यहां दोबारा पोलिंग होगी. IAS अफसर अशोक कुमार गर्ग को नए रिटर्निंग अफसर के रूप में नियुक्त किया गया है. 

विजय रावत के भाई ने कहा है कि ये सभी आरोप झूठे हैं. उन्होंने बताया कि दलित समुदाय के लोग ये अफवाहें उड़ा रहे हैं. गांव के सरपंच कंचिंद पहलवान ने कहा कि गांव के समुदायों के बीच कोई परेशानी नहीं है. उन्होंने ये कहा कि ये जो मामला सामने आया है इसमें वोटर्स को ये नहीं समझ आ रहा था कि मशीनें कैसे इस्तेमाल करनी हैं, और गिरिराज और विजय बस उनकी मदद कर रहे थे. ये उन्हें फंसाने की चाल है.

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वीडियो में देखा जा सकता है कि एक व्यक्ति मशीन के पास जाकर कुछ कर रहा है.

जब बात की गई तो गिरिराज सिंह ने एनडीटीवी को बताया,

‘फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र में दो वोटिंग मशीन्स और 28 कैंडिडेट हैं. गांव की औरतें अनपढ़ हैं. पढ़े-लिखे लोग भी कन्फ्यूज हो जाते हैं जब मशीनें इस्तेमाल करने की बात आती है. मैं बस उन्हें दिखा रहा था कि वोट कैसे डालना है’.

फरीदाबाद के डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन ऑफिस ने इस पर ज़रूरी कदम समय रहते उठा लिया. लेकिन कई ऐसे मामले होंगे जो सामने नहीं आ पाते होंगे. जब इस तरह के मामले सामने आते हैं, तो लगता है कि क्या वाकई लोकतंत्र उस तरह काम कर रहा है जिस तरह से इसे काम करना चाहिए था? सवाल उठने लाज़मी हैं.

 

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