लड़के यौन शोषण करते रहे, पुलिस ने FIR न लिखी, अंततः उसने सुसाइड कर लिया

21 साल की छात्रा अपनी ऊर्जा से दुनिया बदल सकती थी, सिस्टम ने उसे मार डाला.

सरवत फ़ातिमा सरवत फ़ातिमा
अक्टूबर 23, 2018
लड़की दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ती थी. फ़ोटो कर्टसी: Pixabay

21 साल की विशाखा (नाम बदल दिया गया है) दिल्ली के बुराड़ी इलाके में रहती थी. 'थी' इसलिए क्योंकि वो अब वहां नहीं रहती. न बुराड़ी में, न इस दुनिया में. 22 अक्टूबर को उसने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. क्यों? वजह है दो लड़के. अमर और संजय तिवारी. दोनों ने उसका जीना हराम कर रखा था. ख़बर अब आगे कुछ तफ़सील से.

विशाखा दिल्ली यूनिवर्सिटी से MA की पढ़ाई कर रही थी. फर्स्ट इयर में थी. अमर और संजय दोनों सगे भाई हैं. विशाखा के पड़ोस में ही रहते थे. वो रोज़ उसका पीछा करते. उससे बदतमीज़ी करते. वो ज़बरदस्ती विशाखा से दोस्ती करना चाहते थे. पर विशाखा को उनसे दूर रहना था. ये बात इन दोनों लड़कों के पल्ले नहीं पड़ रही थी.

हमने विशाखा के भाई योगेश से भी बात की. उन्होंने बताया कि संजय और अमर विशाखा के कॉलेज पहुंच जाते. वहां उसे हैरेस करते. विशाखा ने ये बात अपनी मां को बताई. 21 अक्टूबर को उन्होंने अमर, संजय, और उनके पिता श्याम लाल से बात की. बात तो क्या ही हुई. वो तीनों आदमी कुछ सुनने को तैयार ही नहीं थे. उन्होंने विशाखा की मां को भी बुरा भला बोला. झगड़ा हुआ. उसके बाद सब अपने-अपने घर चले गए. पर बात यहां ख़त्म नहीं हुई.

उसी दिन 6 बजे के करीब विशाखा घर पर अकेली थी. लड़कों के पिता श्याम लाल ने दरवाज़ा खटखटाया. विशाखा ने जब दरवाज़ा खोला तो उन्होंने उससे बात करने का बहाना बनाया. पर जैसे ही विशाखा ने पूरा दरवाज़ा खोला, अमर और संजय दोनों अंदर घुस आए. उन्होंने उसे डराने के लिए एक खिड़की और कूलर भी तोड़ दिया. दोनों भाइयों के पास ब्लेड वाली चाकू थी. उससे विशाखा पर हमला कर दिया. उसके चेहरे और हाथों को बुरी तरह ज़ख़्मी कर दिया. विशाखा ने मदद के लिए शोर मचाया.

1_102318031650.jpgये कोई पहला हादसा नहीं है जब किसी लड़की ने हरास्स्मेंट से तंग आकर अपनी जान दी है. (सांकेतिक तस्वीर: Reuters)

पहली मंजिल पर विशाखा की भाभी रहती थीं. वो भागते हुए नीचे आईं. उन्हें देखते ही तीनों वहां से भाग निकले. जब विशाखा के मम्मी और पापा घर आ गए तो विशाखा ने उन्हें पूरी बात बताई. उस समय विशाखा के भाई योगेश भी सबके साथ बुराड़ी पुलिस स्टेशन गए. वहां जाकर परिवार ने लड़के और उसके पिता के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करवाने की कोशिश की. योगेश ने बताया-

"वहां ASI सुरेन्द्र नारायण मौजूद थे. पर पुलिस हमारी FIR नहीं लिख रही थी. हमसे कहा गया कि SHO छुट्टी पर हैं. वो जब आ जाएंगे तो ही शिकायत दर्ज होगी. हमने उनसे SHO का नंबर मांगा. जो नंबर हमें दिया गया वो पता नहीं किसका था. हमारी SHO से बात नहीं हो पाई. तब तक दोनों लड़कों के परिवार वालों ने पुलिस स्टेशन के बाहर काफ़ी भीड़ जमा कर ली थी. उनकी बहन भी अपने साथ कई लोगों को लेकर उस पुलिस स्टेशन गई. वहां हमारी कोई शिकायत दर्ज नहीं कर रहा था और दोनों लड़के बाहर खुले घूम रहे थे. हम वहां से वापस आ गए."

योगेश आगे बताते हैं:

"विशाखा बहुत परेशान थी. उसकी बहन अक्सर उसी के साथ कमरे में सोती थी. रात को विशाखा ने उससे कहां कि पुलिस ने शिकायत तक दर्ज नहीं की. कुछ नहीं हो पाएगा. उसकी बहन ने कहा 'तुम परेशान न हो. हम हैं.' शायद विशाखा इस पूरे हादसे से बहुत आहत हो गई थी. अगले दिन सुबह उसने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी. अगर पुलिस ने समय पर शिकायत दर्ज कर ली होती तो ऐसा नहीं होता."

हमने बुराड़ी थाने के SHO से बात करने की कोशिश की. पर उनका नंबर बंद आ रहा है.

suicide_102318031854.jpgअगर पुलिस ने समय पर शिकायत दर्ज कर ली होती तो ऐसा नहीं होता. (सांकेतिक तस्वीर: Reuters)

उसी थाने के दूसरे अधिकारी ने बताया कि उनको कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. और अब FIR दर्ज कर ली गई है. पर कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है.

इंडिया टुडे में छपी ख़बर के मुताबिक संजय ने अपने और अपने भाई अमर पर लगे आरोपों को ख़ारिज कर दिया. उसका कहना है कि विशाखा ने उनकी बाइक पर पत्थर मारे थे.

ये कोई पहला हादसा नहीं है जब किसी लड़की ने हैरेसमेंट से तंग आकर अपनी जान दी है. और हमें पता है ये आखरी भी नहीं होगा. जब तक पुलिस लड़कियों कि शिकायत दर्ज करने में लापरवाही करती रहेगी, तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे.

 

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