बढ़िया दोहरी चाल है विधायक जी, एक तरफ राखी बंधवाओ, दूसरी तरफ औरत को सरेआम ज़लील करो

महिला SDM पर बीजेपी विधायक ने रौब दिखाकर बता दिया कि उनके लिए 'लोकतंत्र' का क्या मतलब है.

लालिमा लालिमा
दिसंबर 18, 2018
एसडीएम गरिमा सिंह और बीजेपी विधायक उदयभान चौधरी. फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट

'आपको मालूम है मैं कौन हूं? जानते नहीं हो क्या मुझे?'

ये लाइन कई बार आप लोगों ने सुनी होगी. हर वो इंसान जो किसी न किसी बात का रौब झाड़ता है, जिसे किसी न किसी बात का घमंड होता है, जो अपने आप को सामने वाले से कई दर्जा 'ऊंचा' समझता है, उसकी फेवरेट लाइन होती है. माने आए दिन किसी न किसी को चिपका ही डालते हैं.

नेताओं के लिए तो ये लाइन उनकी शान होती है. 'तुम जानते नहीं मैं कौन हूं?' बोलकर बता देते हैं कि वो 'नेता' हैं. फिर किसी भी लेवल के नेता क्यों न हों. वो अलग बात है. खैर, ये लाइन एक बार फिर सुनने को मिली है. नेता के ही मुंह से सुनने को मिली है.

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नेता जी का नाम है- उदयभान चौधरी. उत्तर प्रदेश के नेता हैं. बीजेपी के हैं. फतेहपुर सीकरी से विधायक हैं. इनका एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है. वीडियो में ये महिला एसडीएम (सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट) गरिमा सिंह पर जमकर बरसते दिख रहे हैं. गरिमा आगरा के करावली तहसील की एसडीएम हैं.

हुआ ये कि सोमवार को उदयभान को करावली तहसील गए. तब वहां खराब मौसम के कारण बर्बाद हुई फसल के लिए किसानों को राहत बांटी जा रही थी. गरिमा भी वहां मौजूद थीं, उस वक्त. गरीमा ने उदयभान से किसी मुद्दे पर बात की. मुद्दा क्या था, क्या बात की, इसके बारे में कोई कन्फर्म जानकारी नहीं है. लेकिन फिर जो हुआ, वो सबके सामने है.

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विधायक जी तमतमा गए. चिल्लाने लगे. और ये भूल गए कि जो उनके सामने महिला खड़ी हैं, वो एसडीएम हैं. वही डायलॉग कह दिया, 'जानती हो मैं कौन हूं? विधायक हूं.' विधायक जी बोले-

'आप सरकार के विरुद्ध काम करना चाहती हैं... दिखाना चाहती हैं कि आप एसडीएम हैं? आपको मालूम नहीं मैं विधायक हूं? मेरी ताकत का अहसास नहीं है? लोकतंत्र का अहसास नहीं है? एक नौकर...'

उदयभान ने जैसे ही इतनी बात बोली, नारे लगने लगे- 'एसडीएम मुर्दाबाद' के. ऑडनारी की टीम ने इस मामले में गरिमा सिंह से बात करने की कोशिश की, लेकिन कॉन्टैक्ट नहीं हो सका. इस वीडियो में गरिमा विधायक के सामने चुपचाप खड़ी दिखीं. बीच में उन्होंने कुछ बोलने की भी कोशिश की, लेकिन वही हुआ. ऊंची आवाज वाले विधायक जी ने चुप करा दिया.

खैर, मामला जो भी रहा हो, लेकिन इस तरह से हजारों लोगों के सामने किसी औरत की बेइज्जती करना कहां का लोकतंत्र है? ये बात समझ नहीं आ रही. कुछ सवाल है, जो मन में आ रहे हैं-

हजारों के सामने किसी पर चिल्लाना क्या विधायकी करना है?

भीड़ के सामने किसी औरत को जलील करना बहादुरी है?

क्या लोकतंत्र का अहसास होने का मतलब विधायक के सामने चुप्पी साधना है?

विधायक की ताकत क्या दूसरों की बोलती बंद करना है?

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हम तो इन सवालों के जवाब खोज रहे हैं. आपको मिल जाए तो बताइएगा. एक और बात ये वही विधायक जी हैं, जो रक्षाबंधन पर कई सारी महिलाओं से राखी बंधवाते हैं. उनकी रक्षा का वचन देते हैं. वगैरह-वगैरह.

 

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