AAP कैंडिडेट आतिशी मर्लेना के विरोध में कुछ लोग बेशर्मी की हद पार कर गए हैं

पर्चा किसी ने भी छपवाया हो, उसमें लिखी हुई बातें हद गलीज हैं

आतिशी मर्लेना आम आदमी पार्टी की कैंडिडेट हैं दिल्ली लोकसभा चुनाव में. ईस्ट दिल्ली इनका क्षेत्र है. मनीष सिसोदिया ने अभी कुछ मिनट पहले ट्वीट करके ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी और आतिशी के अपोजिट खड़े गौतम गंभीर पर संगीन आरोप लगाए हैं. एक परचा वायरल हो रहा है जिसमें आतिशी मर्लेना के बारे में बेहद गलीज और घिनौनी बातें लिखी गई हैं.

पहले ये ट्वीट देख लीजिए:

इस पर्चे को लोगों के बीच बांटा गया है. किसने ये काम किया, इस बारे में अभी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. आतिशी और मनीष सिसोदिया गौतम गंभीर पर आरोप लगा रहे हैं, लेकिन इस बाबत कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है. हालांकि जिसने भी ये किया, उसने बहुत ही नीच हरकत की है.

इस पर्चे में लिखा है कि आतिशी एक मिली जुली नस्ल की पैदाइश हैं. यही नहीं उनके बारे में ये भी कहा गया है कि उन्होंने आंध्र प्रदेश के एक क्रिश्चियन से शादी की है, जो बीफ खाता है. ये भी कि आतिशी आंध्र प्रदेश के एक सुदूर गांव के स्कूल में पढ़ाती थीं, जहां उन्हें स्कूल के एक दूसरे टीचर के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाते हुए पकड़ा गया था. पर्चे में ये भी लिखा गया है कि दबाव के कारण उस आदमी को आतिशी से शादी करनी पड़ी.

atishi-1-750x500_050919051914.jpgआतिशी ने इसके बाद एक प्रेस कांफ्रेंस भी की .

कहा ये गया है कि जब आतिशी ने सिर्फ एक प्राइमरी स्कूल में पढ़ाया है, तो वो दिल्ली कि एजुकेशन पॉलिसी कैसे ड्राफ्ट कर सकती हैं. पर्चे में उन्हें वेश्या कहा गया है. मनीष सिसोदिया की रखैल कहा गया है. कहा गया है कि वो अपने पति के साथ इसलिए नहीं रहतीं क्योंकि मनीष सिसोदिया उनकी सभी ज़रूरतें पूरी करते हैं. एक शादी शुदा औरत की ज़रूरतें भी. सिसोदिया को अनुसूचित जाति का बताया गया है. ये भी कहा गया है कि उनकी मां के अवैध सम्बन्ध का वो नतीजा हैं. ये भी कहा गया है कि आतिशी भी उनके ही बच्चे को जन्म देंगी.

इस पर्चे में ये दरख्वास्त की गई है कि ज़रा सोचिए कि अगर वो जीत गईं तो आपको अपना काम करवाने के लिए किसी वेश्या के पास जाना पड़ेगा. इसमें ये मांग की गई है कि लोग अपने जान पहचान वालों और घरवालों को रोकें, और एक वेश्या को वोट ना देने दें.

हम न, एक नंबर की नालायक कौम हैं. हमें शिकायत ये करनी भी है कि पॉलिटिक्स में लोग आना नहीं चाहते. जो आते हैं उनको इस तरह टार्गेट किया जाता है. कोई भी क्यों ही आना चाहेगा पॉलिटिक्स में? किसी के भीतर इतनी हिम्मत है कि इस तरह की बातें सरेआम एक पॉलिटिकल कैंडिडेट के लिए लिख सके अपने नाम के साथ?

आतिशी दिल्ली की हैं. सेंट स्टीफंस कॉलेज से हिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया. फिर ऑक्सफ़ोर्ड में जाकर पढ़ाई करके आईं. उसके बाद भारत आकर एनजीओ के साथ काम करने लगीं. हिमाचल प्रदेश में थीं. तब पहली बार प्रशांत भूषण से मिलीं. तभी से आम आदमी पार्टी के साथ काम करना शुरू किया. जब इंडिया अगेंस्ट करप्शन ने दिल्ली में जड़ें जमानी शुरू की, उस वक़्त तक आतिशी इसका हिस्सा नहीं बनी थीं. लेकिन जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी, तो उसमें आतिशी का अहम योगदान रहा. उन्होंने पार्टी का मैनिफेस्टो तैयार करने में मदद की थी दिल्ली के विधानसभा चुनावों के लिए. उसके बाद मनीष सिसोदिया के साथ काम किया, एजुकेशन एडवाइजर के तौर पर. मीडिया में भी आम आदमी पार्टी के चेहरे के तौर पर नज़र आईं.

atishi-5-750x500_050919051952.jpgआतिशी के नाम को लेकर इससे पहले भी विवाद हो चुका है.

आतिशी की पढ़ाई-लिखाई और उनके काम से जुड़ी जानकारी वेरिफाइड है. इसके लिए आपको फेक डिग्री वाली जांच-पड़ताल भी नहीं करनी है. सब कुछ उपलब्ध है. ज़रा सोचिए कि एक ऐसी कैंडिडेट जिसके बारे में जानकारी इस तरह खुले में उपलब्ध है, और उनका पिछला काम भी लोगों की नज़रों में रह चुका है, उसे इस तरह से डिसक्रेडिट करने के लिए इतनी बेहूदा बातें लिखना कितनी कायराना हरकत है.

वैसे एक बात साफ़ हो ही जानी चाहिए. भारत एक लोकतंत्र है. अगर कोई वेश्या भी चुनाव लड़ना चाहे, उसे पूरा हक़ है. लोग उसे वोट देना चाहें, उनका हक़ है. फिर भी किसी को उसे बेइज्जत करने या उसपर इस तरह उंगली उठाने का हक़ नहीं होगा. माना कि आतिशी की पार्टी से आपको दिक्कत होगी, या उनकी पॉलिटिक्स से आपकी असहमति होगी, लेकिन अगर आप एक जिम्मेदार व्यक्ति और सजग नागरिक हैं, तो आपको इस तरह की हरकत पर घिन आनी चाहिए. और अगर नहीं आ रही है, तो आपको अपने अन्दर झांकने की ज़रूरत है. किसी के चरित्र पर इस तरह सवाल उठाना, किसी के काम को झूठ के पर्दों से छुपाकर उसके बारे में अफवाहें फैलाना ही वजह है कि भारत की जनसंख्या का एक बहुत बड़ा हिस्सा पॉलिटिक्स को एक गंदे नाले की तरह ट्रीट करता है और उससे दूर रहता है. आतिशी को आप वेश्या या प्रोस्टीट्यूट कहकर डिसक्रेडिट नहीं कर सकते. और इतिहास जब लिखा जाएगा, तो ये घिनापन उसमें एक रिमाइंडर के तौर पर मौजूद रहेगा हर पन्ने के फुटनोट पर. ये याद दिलाने के लिए कि भारत की कौम राजनैतिक विरोध में किस हद तक गिर सकती है.

खबर लिखे जाने तक गौतम गम्भीर ने अपने ऊपर लगे आरोपों का खण्डन किया है. उन्होंने कहा है कि ये खुद अरविन्द केजरीवाल की चाल है, उन्होंने कहा है कि आम आदमी पार्टी ये प्रूव करके दिखाए कि उन्होंने ही आतिशी के खिलाफ ये पर्चे बंटवाए. अगर ये साबित हो जाता है तो वो अपना नामांकन वापस ले लेंगे, लेकिन अगर अरविन्द केजरीवाल ऐसा नहीं कर पाए तो क्या वो पॉलिटिक्स छोड़ेंगे?

 

लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे      

Copyright © 2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today. India Today Group