'शादीशुदा थी, फिर भी साथ छुट्टियों पर ले जाना चाहता था': असम पुलिस के बड़े अधिकारी पर महिला अफसर का आरोप

असम की महिला पुलिस अधिकारी ने अपने सीनियर पर यौन शोषण के आरोप लगाए.

लालिमा लालिमा
नवंबर 06, 2018
आरोप लगाने वाली महिला अधिकारी लीना डोले. फोटो- फेसबुक

मीटू मूवमेंट, हर औरत की आवाज बन चुका है. इसके तहत हर वो औरत, जो अपनी जिंदगी के किसी न किसी पड़ाव पर सेक्सुअल हैरेसमेंट का शिकार हुई थी, अपनी बात रख रही है. बड़े-बड़े लोगों पर आरोप लग रहे हैं. बॉलीवुड से लेकर मीडिया, राजनेता, एजुकेशन की फील्ड वाले लोग, हर किसी का कच्चा-चिट्ठा खुल रहा है. अब आरोप लगने वाले लोगों की लिस्ट में एक और नाम जुड़ गया है. वो नाम जुड़ा है असम पुलिस से.

45384782_2403187703030112_1817336074666508288_n-1_110618070642.jpgएडीजी मुकेश अग्रवाल. फोटो- फेसबुक

असम की एक महिला पुलिस अधिकारी ने अपने सीनियर के ऊपर सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोप लगाए हैं. आरोप लगाने वालीं अधिकारी हैं- लीना डोले, एडिशनल सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस यानी एएसपी हैं. असम पुलिस का मुख्यालय माजुली में हैं. वहीं ये एएसपी के पद पर हैं. यौन शोषण का आरोप लगा है एडिशनल डायरेक्टर जनरल (लॉ एंड ऑर्डर) यानी एडीजी मुकेश अग्रवाल पर. लीना ने अपने फेसबुक अकाउंट पर सारी बात लिखी. बताया कि छह साल पहले यानी 2012 में अग्रवाल ने उनका यौन शोषण किया था.

36857593_2151414324886249_7746265314119122944_n_110618070740.jpgलीना डोले. फोटो- फेसबुक

अपने फेसबुक पोस्ट में लीना ने लिखा, 'मैं वर्कप्लेस में हुए सेक्सुअल हैरेसमेंट से पीड़ित हूं. मार्च 2012 में, मेरे सीनियर, आईपीएस मुकेश अग्रवाल (उस टाइम पर लॉजिस्टिक के आईजीपी थे, अब एडीजी हैं) उन्होंने मुझे अपने साथ छुट्टियों पर चलने का ऑफर दिया. मेरे अच्छे काम को देखकर मुझे ये ऑफर दिया. मैंने वो ऑफर ठुकरा दिया. मैं अपने बॉस के साथ छुट्टियों पर नहीं जाना चाहती थी.' लीना ने बताया कि उसके बाद उन्होंने इस बात की जानकारी असम पुलिस के डीजीपी को दी. मुकेश अग्रवाल के खिलाफ लिखित में भी शिकायत दी. लीना ने बताया कि लिखित शिकायत देने के 6 महीने बाद, उनके पति ने सुसाइड कर लिया.

42170174_2265644060129941_420537468398075904_n_110618070755.jpgलीना डोले. फोटो- फेसबुक

वो लिखती हैं, 'मेरे पति की मौत के बाद, जांच अधिकारी आईएएस एमिली चौधरी, जो उस समय असम की एडिशन चीफ सेक्रेटरी थीं, मेरे घर आईं. मुझे आश्वासन दिया कि मेरे पति ने मेरी लिखित शिकायत के कारण खुद को नहीं मारा. मैंने उस वक्त कुछ रिएक्शन नहीं दिया. क्योंकि मैं उस स्थिति में ही नहीं थी. लेकिन तब तक जांच शुरू नहीं हुई थी. मेरे केस को गलतफहमी बताते हुए, खारिज कर दिया गया. जबकि खुद आरोपी ने खुद आरोप स्वीकार किए थे. उसने मुझसे अपने पति को बिना बताए, छुट्टियों पर चलने को कहा था. आरोपी की पत्नी ने मेरे ऊपर मानहानि का केस डाल दिया था. मैंने भी फिर रिव्यू पेटिशन डाला था, गुवाहाटी हाईकोर्ट में. मैंने केस जीत लिया था.'

लीना के पोस्ट के मुताबिक उन्हें अभी तक सेक्सुअल हैरेसमेंट के मामले में जस्टिस नहीं मिला है. वो लिखती हैं, 'मुझे कुछ नहीं मिला. मैंने मेरे पति को खो दिया. मेरे बच्चों ने अपने पिता को खो दिया. मैंने जो आरोप लगाए थे, उन्हें मुकेश अग्रवाल ने एक्सेप्ट भी कर लिया था, लेकिन फिर भी जांच कमेटी ने इसे एक गलतफहमी बताकर खारिज कर दिया था. मुझे विश्वास है कि मेरा एक्सपीरियंस जानने के बाद, अब कोई भी औरत किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ आवाज नहीं उठा सकेगी. मैं एक उदाहरण हूं. मैं हार गई.' इसके बाद लीना ने अपनी पोस्ट में मीटू मूवमेंट को सपोर्ट किया है. और इसे मजबूत करने की बात कही है. वहीं इस पूरे मामले में मुकेश अग्रवाल का अभी तक कोई बयान नहीं आया है.

 

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