डेंटल सर्जन ने इंटरनेशनल चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है, अब सरकार से कुछ सवाल पूछ रही हैं
हॉन्गकॉन्ग में चैम्पियनशिप के लिए इन्होंने अपनी पूरी सेविंग झोंक दी.

आरती अरुण एशियन पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडलिस्ट हैं. भारत को रिप्रजेंट करती हैं. और चेन्नई में रहती हैं. 7 मई को उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात की. उन्होंने बताया कि 2019 में हॉन्गकॉन्ग में हुए एशियन पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने के बाद भी उन्हें सरकार की तरफ से कोई फायनेंशियल सपोर्ट नहीं मिला.
आरती पेशे से डेंटल सर्जन हैं और चेन्नई में एक क्लिनिक में काम करती हैं.
एएनआई को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “हॉन्गकॉन्ग में चैंपियनशिप के लिए मैंने डेढ़ लाख रुपये खर्च किए. ये पैसे मेरी बचत थे. मैं परिवार के साथ छुट्टियां मनाने हॉन्गकॉन्ग नहीं गई थी. मैंने देश को रिप्रजेंट किया. मुझे इसके लिए सराहा भी नहीं गया. मेरी मेहनत की कमाई को मैंने इस प्रतियोगिता में लगा दिया. मैं चाहती हूं कि इसके लिए सरकार मेरी कद्र करे. मुझे पहचान मिले. मुझे सराहना मिले. मैं चाहती हूं कि लोगों को पता चले कि आरती अरुण कौन है. पावर लिफ्टिंग गेम क्या होता है. सभी खेलों को बराबर का महत्व मिलना चाहिए.”
आरती आगे कहती हैं, “सितंबर, 2019 में कॉमन वेल्थ पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप कनाडा में होने जा रही है. ये प्रतियोगिता चार साल में एक बार होती है. इसमें शामिल होने के लिए मेरी कोई आर्थिक मदद नहीं की जा रही है. मुझे कोई फंडिंग नहीं मिल रही है. मैं कब तक अपने पैसों से प्रतियोगिताओं में भाग लेती रहूंगी. कई पावर लिफ्टर आज भी बिना पहचान के जी रहे हैं.”
उनसे पहले रेसलर दिव्या काकरन भी सरकार के रवैये पर बोल चुकी हैं. उन्होंने एशियाई खेल 2018 में फ्रीस्टाइल 68 किलोग्राम वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता था. उन्होंने भी कहा था कि दिल्ली सरकार ने उनकी कोई मदद नहीं की.
उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, “मैं आज यहां पहुंची हूं, इसलिए सभी मदद कर रहे हैं. मेडल जीतने पर सरकार एथलीट्स की मदद कर रही है. मगर जब मुझे सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब किसी ने मेरी मदद नहीं की. मैंने जब कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता, तब कोई मदद नहीं की गई.”
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