आसिया बीबी: वो लड़की जिसे पूरा पाकिस्तान फांसी देने पर तुला है

कट्टरपंथियों ने जिसका जीना मुश्किल कर रखा है.

प्रेरणा प्रथम प्रेरणा प्रथम
अक्टूबर 17, 2018

1947 का साल. एक देश दो में बंट गया. एक हिस्सा हिंदुस्तान तो दूसरा पाकिस्तान. पाकिस्तान एक इस्लामिक स्टेट बना. यानी यहां पर मुस्लिमों की आबादी ज्यादा रही और राष्ट्रीय धर्म भी इस्लाम बनाया गया. इस वक़्त वहां की आबादी 97 फीसद मुस्लिम है.

इसी देश में ब्लासफेमी यानी ईशनिंदा का कानून भी है, जिसके तहत सज़ा का प्रावधान है. ये सज़ा-ए-मौत तक बढ़ सकती है. इस कानून के तहत अगर आप इस्लाम की निंदा करते हैं, तो आपको जेल हो सकती है, जुर्माना हो सकता है, और सबसे गंभीर मामलों में मौत की सजा भी. अब पाकिस्तान के इस ईशनिंदा कानून की भेंट चढ़ने वाली पहली कुर्बानी हो सकती है आसिया बीबी की.

asia_750x500_101718114019.jpgसबसे दाएं बैठी आसिया बीबी. फोटो: रायटर्स

क्या है ब्लासफेमी लॉ?

1980 में जनरल जिया उल हक ने ये कानून बनवाया था. जिया उल हक को उनके कट्टरपंथ के लिए जाना जाता है. ब्लासफेमी लॉ में ईशनिंदा (भगवान् की निंदा, इस मामले में इस्लाम की निंदा, कुरआन का अपमान, पैगम्बर का अपमान इत्यादि) के लिए सजा मुक़र्रर होती है. जब से ये कानून बना है तब से लेकर अभी तक किसी को इसके तहत मौत के घाट नहीं उतारा गया है. आसिया बीबे का केस पहला मामल हो सकता है जहां सज़ा देने के बाद उसे पूरा भी किया जाए.

आसिया के केस में क्या हुआ?

आसिया बीबी ईसाई धर्म की हैं. उनके वकील सैफुल मलूक ने बताया है कि उनके और उनके पड़ोसियों के बीच पानी को लेकर झगड़ा हुआ था. 2009 में पाकिस्तानी पंजाब के शेखपुरा जिले में आसिया बीबी पानी भर रही थी, जहां उनकी पड़ोसनों ने इस पर नाराजगी जताई. केस में ये पेश किया गया आसिया बीबी की तरफ से कि चूंकि वो ईसाई थीं, इसलिए उन्हें पानी का कटोरा छूने की इजाज़त नहीं थी. तथाकथित रूप से  इसी बात पर वहां मौजूद औरतों ने आसिया बीबी पर ब्लासफेमी का आरोप लगाया. ये कहा कि उन्होंने पैगम्बर मुहम्मद का अपमान किया है. इसके बाद आसिया के घर पर भीड़ ने हमला किया. आसिया पर ईशनिंदा करने का आरोप लगा जिसकी जांच शुरू हुई. 2010 में आसिया को दोषी करार दे दिया गया और सज़ा-ए-मौत सुनाई गई.

asia-2_750x500_101718114219.jpgब्लासफेमी लॉ में कई लोगों को मौत की सज़ा हो चुकी है, लेकिन आसिया पहली हो सकती हैं जिनकी सजा पर अमल होगा. फोटो: रायटर्स

अभी क्या चल रहा है?

आसिया ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में केस हार जाने के बाद हाई कोर्ट में अपील की थी. लाहौर हाई कोर्ट ने उनकी अपील खारिज की. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी शुरू हुई, लेकिन बेंच के एक जज ने खुद को अलग कर लिया इस मामले से, तो सुनवाई टल गई. अब दुबारा इस पूरे मामले पर सुनवाई शुरू हुई है, और सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो निर्णय सुरक्षित रख रहा है. कुछ मालूम नहीं है कि निर्णय कब तक सुनाया जाएगा. लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट भी निर्णय आसिया के खिलाफ सुनाता है तो राष्ट्रपति के पास जाने और दया की मांग करने के अलावा आसिया के पास कोई उपाय नहीं रह जाएगा.

इस मामले का असर कहां दिख रहा है?

2010 में ही पाकिस्तान स्थित पंजाब के पूर्व गवर्नर सलमान तासीर ने आसिया का साथ दिया था. कहा कि ब्लासफेमी लॉ में संशोधन करने की ज़रूरत है. 2011 में उनके अपने ही बॉडीगार्ड मुमताज़ कादरी ने उनको गोलियों से भून कर रख दिया. 4 जनवरी 2011 को 28 गोलियां सलमान के शरीर में उतार दी गईं. यही नहीं, शहबाज़ भट्टी जो अल्पसंख्यकों के मंत्री और ब्लासफेमी लॉ के आलोचक थे, उनको भी कुछ अनचीन्हे बन्दूकवालों ने मार डाला. सलमान के कातिल मुमताज़ को तो फांसी की सज़ा हुई. लेकिन राईट विंग वाले उसे फूलों की वर्षा करते हुए जेल ले गए. 2016 में उसे फांसी पर चढ़ा दिया गया.

asia-3_750x500_101718114349.jpgआसिया के पति आशिक मसीह कहते हैं कि भय में जीना मुश्किल है उनके लिए. फोटो: रायटर्स

आसिया की बेटी 2015 में पोप फ्रांसिस से भी मिली. इस विषय पर वैटिकन ने भी चिंता जताई. काउंसिल ऑफ पेरिस ने आसिया को नागरिकता देने का प्रस्ताव दिया. इस बात को लेकर आसिया के पति आशिक मसीह ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति को चिट्ठी भी लिखी. लेकिन पाकिस्तान के भीतर मौजूद कट्टरपंथियों ने कहा कि अगर आसिया को किसी दूसरे देश ले जाया जाता है तो अंजाम अच्छा नहीं होगा.

इन्हीं सभी मामलों के बीच आसिया बीबी अपने अंतिम दिन गिन रही हैं, जो या तो उनकी आज़ादी की तरफ जा सकते हैं, या मौत की तरफ. लगभग 10 साल तक जेल में सड़ने के बाद किसी की भी नज़र मौत की तरफ उठे, तो उसे क्या दोष दिया जा सकता है? हालांकि इस पूरे मामले में भी किसी को ना तो सुप्रीम कोर्ट से ज्यादा उम्मीद है ना ही राष्ट्रपति की दया याचिका से. आसिया बीबी के समर्थन में कोई भी कदम उठाना लोगों के लिए सीधे-सीधे कट्टरपंथियों की नफरत झेलना है. कितने लोग ये कर पाने की हिम्मत रखते हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वकीलों तक ने आसिया बीबी का केस लड़ने से मना कर दिया था.

 

लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे      

Copyright © 2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today. India Today Group