अब्दुल्लाह आज़म खान,पिता के नक़्शे कदम पर इतना भी ना चलिए कि मर्यादा भूल जाएं

जया प्रदा के बारे में उल्टी बात बोली?

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अप्रैल 23, 2019

आज़म खान पर पिछले कुछ दिनों में काफी कुछ लिखा गया है. जया प्रदा पर उनके ‘अंडरवियर’ वाले कमेन्ट के लिए अभी हाल में ही काफी छीछालेदर हुई थी उनकी.

आज़म खान ने ऐसा क्या कह दिया था?

जया प्रदा ने तेलुगु देशम पार्टी से पॉलिटिक्स शुरू की. लेकिन उसके बाद समाजवादी पार्टी जॉइन कर ली. कहते ये हैं कि इसमें आज़म खान ने उनकी मदद की. इधर की राजनीति में फिट होने में मदद की. फिर जया प्रदा 2004 और 2009 में समाजवादी पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ीं और जीतीं. 2010 में अमर सिंह से बढ़ती बातचीत पार्टी के पॉवर वाले लोगों को खल गई. 2010 में जया को पार्टी से निकाल दिया गया. अब वो बीजेपी में हैं. रामपुर से उन्हें टिकट मिला है. आज़म खान समाजवादी पार्टी से लड़ेंगे. उसी लोकसभा सीट पर. अब हुआ ये कि आज़म खान ने 14 एप्रिल यानी इस सोमवार को रामपुर में लोगों को संबोधित करते हुए कहा,

‘आपने दस साल अपना प्रतिनिधित्व कराया. उसकी असलियत समझने में आपको 17 बरस लगे. मैं सत्रह दिन में पहचान गया कि नीचे का जो अंडरवियर है वो खाकी रंग का है’.

son-and-dad-aazam-750x500_042319125651.jpgअब्दुल्लाह के पहले उनके पिता भी लपेटे में आ चुके हैं

बस, नेशनल कमीशन ऑफ विमेन ने इस बयान पर उनको लपेट लिया. सोशल मीडिया पर भी उनकी क्लास ली गई. सफाइयां पेश हुईं. आज़म खान ने अपना गला छुड़ाने की बहुत कोशिश की.

अब उनके बेटे ने और गंद मचा दी है. उत्तर प्रदेश रामपुर से चुनाव की तैयारी एकदम हाई पिच पे चल रही है. आज़म खान और जया प्रदा आमने सामने हैं. आज़म समाजवादी पार्टी से और जया भाजपा से. इसी मामले में  अब आज़म खान के बेटे अब्दुल्लाह आज़म खान ने वाहियात बयान दिया है. रामपुर में एक सभा को संबोधित करते हुए अब्दुल्लाह आज़म खान ने कहा,

‘अली भी हमारे, बजरंग बली भी चाहिए, लेकिन अनारकली नहीं चाहिए’.

कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अजय सिंह बिष्ट उर्फ़ योगी आदित्यनाथ ने कहा था,

'अगर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बीएसपी को अली पर विश्वास है, तो हमें भी बजरंग बली पर विश्वास है’.

इस पर मायावती ने भी पलट कर जवाब दिया था कि उनके अली भी हैं और बजरंग बली भी.

ये अली और बली वाला बयान उधर से ही आ रहा है जिसके बारे में अब्दुल्लाह आज़म खान ने कहा. लेकिन इसके बीच में अनारकली को कैसे और कहां से घसीट लाए, ये समझ नहीं आता. यहां अनारकली से साफ़-साफ़ इशारा जया प्रदा की तरफ कहा जा रहा है. 

abdullah-jaya-750x500_042319125750.jpgकोशिश यही की जा रही है कि राजनीति खारिज कर दी जाए जया प्रदा की

अनारकली लोक में प्यार का प्रतीक मानी जाती है. अकबर के दरबार में मौजूद कनीज़ों में से एक थी, जिसके प्यार में अकबर के बेटे जहांगीर के पड़ जाने की कहानी कही जाती है. यहां पर अब्दुल्लाह ने उन्हें अनारकली क्यों कहा, इसके पीछे वजह क्या है. शायद उन्हें ये लगा हो कि पिताजी ने तो नाचने वाली कह ही दिया है, मैं अनारकली कह दूंगा तो क्या ही बिगड़ जाएगा. अनारकली भी नाचती थी. अली बली से मिलता-जुलता नाम भी है. जनता हंसेगी, ताली पीटेगी.

अगर आपको ये लगता है कि अनारकली कहकर आप किसी को बेइज्जत कर सकते हैं, तो आप गलत हैं.

अगर आपको ये लगता है कि जया प्रदा को अनारकली कहकर उनकी पॉलिटिक्स को कमतर कर सकते हैं, तो आप गलत हैं.

jaya-2-750x500_042319125849.jpgइस वाहियात बयानबाजी से लोग क्या सिद्ध करना चाहते हैं, ये नहीं समझ आता. केवल स्त्रीद्वेष दिखाई देता है इनका.

राजनीति में एक औरत से आप इतना डर गए हैं, इतना चिढ़ गए हैं, कि हर तरह से उसके राजनीति में होने को खारिज कर देना चाहते हैं, उसकी हर दूसरी पहचान आपके लिए ज्यादा मायने रख रही है, भले ही वो आपको गढ़नी ही क्यों न पड़े. भले ही उसमें आपको कई दूसरी औरतों को क्यों न घसीटना पड़ जाए. स्त्रीद्वेषी बातें ही क्यों न करनी पड़ जाए.

शर्म आपको मगर नहीं आती.

इस पूरे मामले में जया प्रदा का भी बयान आ गया है. उन्होंने कहा कि जैसा बाप, वैसा बेटा. पिता तो इस तरह अक्सर बोलते हैं लेकिन मैंने सोचा बेटा पढ़ा-लिखा है. लेकिन वह भी तो उसी परिवार से है. उनको औरतों की इज्ज़त आती ही नहीं है.

 

 

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