पिता ने बेटी की सहेली का यौन शोषण किया, बेटी ने खुद जाकर पिता के खिलाफ FIR कराई
सहेली नहा रही थी, पिता जबरन बाथरूम में घुसकर बदसुलूकी करने लगा.

हर दिन के अखबार महिलाओं पर अत्याचार की ख़बरों से भरे होते हैं. रेप मर्डर जैसी ख़बरें एक ही दिन के अखबार में इतनी बार दोहरा दिए जाते हैं कि ज़्यादातर लोग इन ख़बरों पर सरसरी निगाह तक नहीं डालते. आप नाश्ते की टेबल पर बन मक्खन के साथ चाय सुड़कते हुए कब इन ख़बरों के ऊपर से फ़्लाइओवर कर जाते हैं ये अब शायद ही आप सोचते हों. लेकिन इन्हीं उलझनों में कुछ ऐसी ख़बरें भी आती हैं जिनसे बहुत कुछ सुलझ सकता है.
# बात क्या है
नोएडा सेक्टर 93 से एक ख़बर आई. हिम्मत वाली ख़बर. हिम्मत, जो हर दिन हमारे दिमाग़ के कारखानों में ढल रहे तालों की चाभी है.
नेहा (बदला हुआ नाम) नोएडा सेक्टर 93 में अपने पिता के साथ रहती हैं. 19 साल की नेहा अपने पिता के साथ घर में अकेली रहती है. तीन चार दिन पहले नेहा की एक दोस्त पश्चिम बंगाल से उससे मिलने आई. शालिनी (बदला हुआ नाम) नेहा के साथ ही उसके घर में रह रही थी.
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो नेहा के पिता को शराब की लत थी. बुधवार 21 अगस्त को नेहा की दोस्त शालिनी शाम 4 बजे नहा रही थी. नेहा अपने कमरे में थी. तभी शालिनी के चीखने की आवाज़ आई. नेहा ने देखा कि उसका पिता शालिनी के साथ बाथरूम में छेड़छाड़ कर रहा था. नेहा ने अपने पिता को बाथरूम से खींचकर बाहर निकाला. शालिनी ने बताया कि जब वो नहा रही थी तभी नेहा के पिता ने दरवाज़े पर धक्का दिया और अंदर आ गए. आकर नहाती हुई शालिनी से बदसलूकी करने लगा.
नेहा का पिता तब भी नशे में था. नेहा ने पिता को डांटा और बाहर जाने के लिए कहा. नेहा के पिता ने नेहा के साथ मारपीट की. नेहा को बचाने आगे आई शालिनी के साथ भी नेहा के पिता ने मारपीट की. हालांकि नेहा और शालिनी ने मिलकर पिता को घर से भागने पर मजबूर कर दिया.
# फिर क्या हुआ
नेहा अपनी दोस्त शालिनी के साथ तुरंत पुलिस स्टेशन गई. थाना फेज़ 2 में नेहा ने अपने पिता के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई. पुलिस को लिखाई अपनी शिकायत में नेहा ने अपने पिता पर आरोप लगाया कि उसने ना सिर्फ़ नेहा की दोस्त से बदसलूकी की बल्कि रोके जाने पर नाराज़ होकर नेहा और शालिनी के साथ मारपीट भी की.
पुलिस नेहा के पिता की तलाश में जब घर गई तो वो फ़रार था.
# इसमें एक अच्छी बात है
नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो महिलाओं के साथ हुए अपराध भी दर्ज करता है. लेकिन रिपोर्ट्स बताती हैं कि महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले अपराधों के आंकड़े का एक बड़ा हिस्सा पुलिस की फाइलों तक नहीं पहुंच पाता. समाज में बदनामी, लड़की की शादी का डर, उसकी बहनों और भाइयों के रिश्ते का डर जैसे तमाम मुद्दों की वजह से ये अपराध कभी रौशनी में नहीं आ पाते.
नेहा की हिम्मत तारीफ़ के लायक़ है. इस हिम्मत का ज़र्रा जिस दिन पहाड़ बन गया उस दिन हम वो समाज भी देखेंगे जब हमें नेहा की ख़बर लिखते हुए ‘बदला हुआ नाम’ नहीं लिखना होगा. हमारी रिपोर्ट्स में समाज की सब नेहाएं और शालिनियां अपने-अपने अस्तित्वों की तरह अपने असली नामों से मौजूद होंगी, और अपराधियों के नाम बदले जाएंगे. ताकि उन्हें समाज के घनघोर बहिष्कार के बाद भी नौकरियां मिल सकें और लोग उनके साथ उठने बैठने से ना कतराएं.
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