'मेरी वजाइना में उंगली डालता, मुझे बुरी तरह छूता रहा पर मैं किसी को नहीं बोल पाई'

चौथी क्लास की लड़की का मामा ने किया यौन शोषण

ब्लॉगर नारी ब्लॉगर नारी
नवंबर 27, 2018
अगर कोई आपका शोषण करता है तो तुरंत ही चीखें. सांकेतिक तस्वीर. फोटो क्रेडिट- Reuters

ये स्टोरी हमें निकिता ने भेजी है.

nikita_112718064934.jpg                                                                                               फोटो क्रेडिट- फेसबुक/निकिता

निकिता लॉ स्टूडेंट हैं. वो देहरादून में रहती हैं. 3rd क्लास से बाहर रह रही हैं. साल में एक बार ही घर जा पाती हैं. उनके घर में पढ़ाई करना मुमकिन नहीं था इसलिए वो नानी के घर रह कर पढ़ीं. वो बताती हैं कि बहुत आम घर से हैं. उनकी मम्मी ने बहुत मेहनत करके पढ़ाई का खर्चा उठाया है.


मेरा नाम निकिता शेहरावत है. मैं देहरादून में रहती हूं और सिद्धार्थ लॉ कॉलेज से बीए एलएलएलबी कर रही हूं. मैं फिलहाल सैकेंड ईयर में पढ़ रही हूं. मेरे बचपन में मेरा यौन शोषण हुआ था. दो साल तक मेरा शोषण होता रहा. मैं तीसरी कक्षा तक गांव में पढ़ती थी. इसके बाद बेहतर पढ़ाई के लिए मेरी मां ने मुझे नानी के घर भेज दिया. वो पास ही में एक शहर में रहती थीं. नाना-नानी के साथ मेरी मौसी रहा करती थीं. साथ ही एक रिश्ते के मामा रहा करता था. वो ज़्यादा बड़ा नहीं था. दसवीं या ग्यारहवीं में वो था तब. मैं चौथी-पांचवी क्लास में थी.

हम किराए पर रहते थे. घर ज़्यादा बड़ा नहीं था. हम सब एक ही कमरे में रहते थे. एक बड़ा सा पलंग था. जिस पर हम सब साथ ही सोते थे. मैं, वो लड़का, मेरी नानी, मौसी और उनका छोटा सा बेटा. पहले सब ठीक चलता रहा. फिर धीरे-धीरे सब बदलने लगा. मासी सुबह चली जाती थीं. वो ग्रेजुएशन कर रही थीं तब. नाना-नानी गांव चले जाते थे. वहां पर खेती बाड़ी थी उनकी. जब मैं स्कूल से आती तो वो ही अकेला घर पर मिलता. वो मुझे खाने को देता था.

rtx1qtvd-750x400_112718071127.jpgसांकेतिक तस्वीर. फोटो क्रेडिट- Reuters

मैं बीमार पड़ गई थी. मुझे चिकन पॉक्स हो गया था. बहुत दिनों तक मैं बीमार रही. तब वो मुझसे बात करता था. इसके बाद उस लड़के को भी चिकन पॉक्स हो गया. वो अपने घर चला गया था. जब वो वापस आया तो सब फिर ठीक सा होने लगा. मेरा स्कूल काफी लंबा रहता था. मैं आकर होमवर्क करके बहुत जल्दी सो जाती थी. एक दिन रात को मेरी आंख खुली. वो मेरे लिए बहुत ही पीड़ादायक था. मैं बुरी तरह से टूट गई थी. मेरी आंख उस दर्द की वजह से खुली जो मैं महसूस कर रही थी. उस लड़के की दोनों उंगलियां मेरी वजाइना में थी. मुझे कुछ भी समझ नहीं आया. मैं तुरंत वहां से हटी. और करवट बदल कर सो गई. मैं चुप रही. मैं किसी को नहीं बोल पाई. मुझे समझ नहीं आया कि मैं क्या करूं. मुझे लगा कोई मुझे समझेगा भी या नहीं. मैं पूरी रात सो नहीं पाई. मैं कांपती रही. मुझे लगा मुझे ही गलत बोला जाएगा. मैं किसी से मदद भी नहीं मांग सकती. मुझे आज भी सबकुछ याद है उस रात का. बहुत बुरी हालत थी.

अगले दिन मैं उठ कर स्कूल चली गई. मैं चुप रही. शायद ये गलत था. पर मैं इतनी हिम्मत नहीं कर पाई कि किसी को बता पाऊं. अगली रात भी उसने वो ही हरकत दोहराई. मैं बहुत ज़्यादा डर गई थी. मैंने हटने की कोशिश की. उसने मुझे नहीं हटने दिया. वो बहुत स्ट्रॉन्ग था. वो अपनी उंगलियां मेरी वजाएना में डालता रहा. वो मेरे स्तनों को दबाता था. मुझे टच करता था. मैं किसी को नहीं कह पा रही थी. मैं डरती जा रही थी. मैं बहुत ज़्यादा चुप रहने लगी थी. ये चलता रहा. वो हर रात मेरे साथ ऐसा करता रहा.

उसकी हिम्मत बढ़ती गई. एक दिन उसने मुझे कहा कि 'लवी, चलो करते हैं.' मैंने उसे हटाया और वहां से चली गई. मैंने नानी को कहा कि मैं आपके पास सोऊंगी. मुझे डर लग रहा है. मैं जाकर नानी के पास सो गई.

ये बात शायद मेरी नानी और मासी को भी पता थी. मैं नहीं जानती पर मुझे लगता है कि उन्हें पता था पर उन्होंने मुझे बचाने के लिए कुछ नहीं किया. उन्होंने ये भी नहीं किया कि मैं उससे अलग सो सकूं. मैं जल्दी सो जाती थी. मैं हर रात ये सोचती थी कि वो मेरे पास न सोए. मुझे रात से डर लगने लगा था. नींद से डर लगने लगा थी. मुझे अजीब सी घुटन होने लगी थी. मैं सोचती थी कि मुझे नींद न आए. मैं अलग जाकर सोती थी तो भी वो मेरे पास आकर सो जाता था. उसको कोई मनाही नहीं थी.

rtx127o4-750x400_112718071215.jpgसांकेतिक तस्वीर. फोटो क्रेडिट- Reuters

ये चलता रहा ऐसे ही. मैं उसे हटाने की कोशिश करती थी. पर किसी से कह नहीं पा रही थी. फिर ठंड आ गई. सर्दियों में उसके लिए और भी आसान हो गया था. मैं जब भी उसके पास से हटने की कोशिश करती वो मेरी रजाई हटा देता था. रजाई हटती थी तो मुझे ठंड लगती थी तो मैं रजाई ढूंढती तो वो मुझे अपनी रजाई में ले लेता. मुझे पूरी रात ठंड में रहना मंज़ूर था पर उसका टच मुझे बर्दाश्त नहीं था. मुझे लगता था कि वो मुझे छू लेगा तो मुझमें ज़हर फैल जाएगा.

उस आदमी की हरकत बढ़ती गईं. वो मेरी वजाइना को मुंह से छूने लगा. मैं इतना डर गई थी कि कोई मुझे चिल्ला भी देता था या कोई ज़ोर से हाथ पकड़ लेता था तो मुझे सांस आना बंद हो जाती थी. इस सबने मुझे बुरी तरह तोड़ दिया था. मैं चुप हो जाती थी. बीमार पड़ जाती थी. मैं बीमार भी पड़ती थी तो मुझे स्कूल जाना पड़ता था. मेरी मासी का बेटा बहुत छोटा था. अगर मैं नहीं जाती थी तो वो भी नहीं जाता था. मैं किसी को नहीं बता पा रही थी. सबको दिख रहा था कि मैं परेशान हू्ं. फिर भी किसी ने कुछ नहीं किया. मुझे लगा कि कोई ये नहीं समझ रहा तो मैं बताऊंगी तो कोई क्या समझेगा. मेरे पास कोई नहीं था जिसे मैं बता पाती.

rtr4m2hf-750x400_112718084645.jpgसांकेतिक तस्वीर. फोटो क्रेडिट- Reuters

फिर दोबारा गर्मियां आ गईं. वो छत पर जाकर सोने लगा. उसके बाद मई में वो अपने घर चला गया. ये सबकुछ 8-9 महीने तक चला था. इसके बाद नाना जी ने अपना घर बना लिया था. तो हम सब लोग वहां जाकर रहने लगे थे. वहां पर मैं और मासी का बेटा अपने कमरे में सो रहे थे. वो अलग चारपाई पर सो रहा था. वो अपनी चारपाई से उठकर आकर मेरे साथ फिर से वही सब करने लगा. मैं रो रही थी. उसे दिख रहा था कि मैं रो रही हूं पर वो मुझे बुरी तरह छूता रहा. मैं कहना चाह रही थी कि प्लीज़ ये सब मत करो. उसे भी समझ आ रहा था पर वो मेरे साथ वो सबकुछ करता रहा. पहली बार अगर मना न कर पाओ तो बाद में न बोलना बहुत मुश्किल हो जाता है. अगले दिन सुबह भी उसने मुझे छूने की कोशिश की. तब नानी आ गईं तो वो चला गया.

वो वहां नहीं रहता था. लखनऊ में रहा करता था. वो एक दिन आया. लगभग एक साल के बाद वो घर आया हुआ था. शाम का समय था. वो मासी का इंतज़ार कर रहा था. मासी को उसके साथ जाना था. मैं स्कूल से वापस आकर पढ़ रही थी. नाना जी की मौत हो गई थी. नानी सबकुछ संभालती थी. तो इस कारण ज़्यादातर बाहर रहा करती थीं. उसने मुझे कहा कि मेरे साथ रूम में चल. मैंने मना कर दिया. उसने फिर मुझसे कहा कि चल छत पर चल. मैंने उसे मना कर दिया. वो मेरे पास आया और मुझे छूने लगा. मैंने उसका हाथ हटाया और बस एक ही बात कही- 'आपको शर्म नहीं आती. आपको शर्म तो है ही नहीं.' मैं वहां से उठ कर चली गई. मैंने ये बोलने में बहुत देर कर दी. ये सबकुछ मुझे पूरी ज़िन्दगी के लिए असर कर गया.

नौंवी क्लास में मेरा एक दोस्त बना. मैंने पहली बार उसे बताया कि मेरे साथ ऐसा कुछ हुआ. उसने मुझे हिम्मत दी. इस कारण मैं यहां भी बता पा रही हूं. मुझे लगने लगा कि मैं गलत हूं. मैं मना नहीं कर पाई तो ये मेरी गलती है. पर मेरे दोस्त ने मुझे बताया कि मेरी गलती नहीं है. मैं मना नहीं कर पाई ये मेरी गलती नहीं है. उस आदमी की गलती है.

rtx5pxle-750x400_112718071320.jpgसांकेतिक तस्वीर. फोटो क्रेडिट- Reuters

जब मैं दसवीं में थी तो उस लड़के का मैसेज आया. उसने मुझे कहा कि 'मैंने जो कुछ भी किया उसके लिए क्या तू मुझे माफ कर सकती है?' मैं उसे माफ करने के बारे में सोच रही थी. मेरे दोस्त ने ही मुझे समझाया कि मैं उसे कुछ जवाब नहीं दूंगी. उस लड़के का फिर से मेरे पास मैसेज आया. इस बार उसने मुझसे कहा कि जो कुछ उसने किया क्या उसके कारण मैं उससे शादी करूंगी. उसकी इतनी हिम्मत थी कि वो मेरा शोषण करने के बाद भी मुझसे ये पूछ सकता था. जब मैंने मना किया और कहा कि तुम ऐसा कह भी कैसे सकते हो तो उसने मुझसे कहा कि उसे लगा कि मैं उसमें इंट्रस्टेड हूं. अगर कोई आपके छूने से कोई रो रहा है, कोई बार-बार हटा रहा है खुद को तो वो उस सब को कैसे इंजॉय कर सकता है. मैंने उसको बस इतना कहा कि तू नहीं समझ सकता. तू तब ही समझेगा जब तेरे किसी अपने के साथ ऐसा होगा.

उसे कुछ बुरा नहीं लगता. न ही कोई शर्म है. मुझे सबसे ज़्यादा बुरा इस ही बात का लगा कि मेरे पास कोई सपोर्ट नहीं था. इस समाज की नज़र में लड़की की ही गलती होती है. चाहे कुछ भी हो जाए लड़की की ही गलती होती है. मैं अपने माता-पिता को भी नहीं बता पाई हूं. अब मैं ज़रूर बताना चाहूंगी. मैं हर लड़की से कहना चाहती हूं कि अगर आपको लगता है कि आपके साथ गलत हो रहा है तो पहली ही बार में चिल्ला दो. उस आदमी को दूसरा मौका मत दो. दोबारा आवाज़ उठाना बहुत मुश्किल है. पहली ही बार में मना कर दो.

 

लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे      

Copyright © 2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today. India Today Group