गर्भवती औरतों को सेक्स क्षमता बढ़ाने वाली गोली दी गई, उन्होंने अपने नवजात बच्चे खो दिए
इन औरतों के रिसर्च के तौर पर वायग्रा दी गई थी.
शायद हममें से कोई भी उस मां का दर्द नहीं समझ सकता, जिसका बच्चा पैदा होते ही मर गया हो. हाल-फिलहाल में नेदरलैंड नाम के देश में एक ऐसी घटना हुई है जो आपको बहुत डरा देगी. वहां एक साथ 11 नवजात बच्चों की मौत हो गई. सबके मरने की एक ही वजह थी. उन मांओं को वहां की सरकार ने एक दवाई खिलाई थी. ये एक मेडिकल ट्रायल के तहत हुआ था.
कोई भी नई दवा मार्किट में लाने से पहले टेस्ट की जाती है. ये देखा जाता है कि वो कितना असर करती है. बहुत बार दवाई बनाने वाली कंपनियां लोगों को पैसे देकर उनपर टेस्ट करती हैं. कई बार लोग ख़ुद अपनी मर्ज़ी से कुछ दवाइयां टेस्ट करवाने के लिए तैयार हो जाते हैं. इसलिए क्योंकि वो किसी बीमारी से जूझ रहे होते हैं. और वो दवाई उनकी बीमारी ठीक करने में मदद कर सकती है. पर कई बार दवाई असर करने की जगह नुकसान पहुंचाती है. ऐसा ही कुछ नीदरलैंड में भी हुआ.
वहां 11 महिलाओं को एक दवा दी गई. वायग्रा. जिन्हें न पता हो, उन्हें बता दें कि वायग्रा एक सेक्स वर्धक दवा होती है. रिसर्च की ख़ातिर, वायग्रा को नीदरलैंड के 10 अस्पतालों में बांटी गई. ये सिर्फ़ उन औरतों को दी गई थी जिनका प्लेसेंटा सही ढंग से विकसित नहीं था. प्लेसेंटा औरतों के गर्भाशय में होता है. वो बच्चे तक ऑक्सीजन और खाना पहुंचाने का काम करता है. जिसे हम आम भाषा में 'नार' कहते हैं. वो औरतों इसी कमी तो ठीक करने के लिए वायग्रा ले रही थीं.
वायग्रा आमतौर पर उन पुरषों को दी जाती है जिनके लिंग में उत्तेजना नहीं होती. आमतौर पर जिसे हम मर्दाना कमजोरी कहते हैं. ये दवाई उनके खून में घुल जाती है. ये उन लोगों को भी दी जाती है जिनको हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है. औरतों को दिए जाने से पहले, ये दवाई चूहों पर टेस्ट की गई थी. रिसर्च कर रहे लोगों को लगा था कि ये काम करेगी. प्लेसेंटा में खून का बहाव बढ़ाएगी. जिससे उसका विकास जल्दी होगा. औरतों ने भी इसी उम्मीद से वायग्रा लेना शुरू कर दिया था.
इन औरतों के बच्चे जब पैदा होने शुरू हुए तो पता चला उनको फेफड़ों में दिक्कत है. ये रिसर्च 2015 में शुरू हुई थी और 2020 तक चलनी थी. इसमें कुल मिलाकर 350 औरतें हिस्सा लेने वाली थीं. पर जब 11 औरतों के बच्चे पैदा होते ही मर गए तो पिछले हफ्ते इसे रोक दिया गया.
एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर ने 93 औरतों को ये दवाई बतौर एक्सपेरिमेंट दी थी. उनमें से 17 बच्चों के फेफड़े ख़राब हो गए. अभी तक उन 17 में से 11 मर चुके हैं. अब ये सोचिए, 15 औरतें अभी भी इंतज़ार कर रही हैं कि उनका बच्चा बचता है या नहीं.
माना जा रहा है कि दवाई ने इन बच्चों के फेफड़ों में खून का दबाव बढ़ा दिया था. इस वजह से उनको सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा था. एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के प्रवक्ता कहते हैं कि एक्सपेरिमेंट में कोई गड़बड़ नहीं हुई. पर इस मामले की तफ़सील से जांच होगी.
साथ ही इस यूनिवर्सिटी ने एक स्टेटमेंट भी निकाला है. उसके मुताबिक:
'इस दवाई का बच्चों पर कोई अच्छा असर नहीं हुआ है. पर जो भी असर हुआ, वो उनके पैदा होने के बाद ही पता चला. इस वजह से ये रिसर्च रुकवा दी गई है.'
बहुत ज़रूरी है कि हम दवाइयां थोड़ा सावधानी के साथ ही लें. ख़ासकर वो दवाइयां जो किसी भी तरह की ताकत बढ़ाने या घटाने का दावा करती हैं. कुछ कंपनियां वादे बहुत बड़े-बड़े करती हैं. पर उनका असर जानलेवा हो सकता है.
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