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डियर आयुषी, याद रखो कि जो वक्त है, बस आज और अभी है, कल जैसा कुछ नहीं
आशुतोष चचा
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कल या थोड़ी देर बाद की आदत जो है, इसी ने मुझे कामकाजी बनने से रोक रखा है. तुम इस चक्रव्यूह में मत फंसना.
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