स्त्रीरोग: प्राइवेट पार्ट से गाढ़ा पदार्थ या खून आने लगे तो ये जानलेवा बीमारी हो सकती है
क्या होता है बच्चेदानी के मुंह का कैंसर?
1.
तारा कॉलेज के आखिरी साल में है. रेगुलर कॉलेज नहीं होता. एग्जाम देने जाती है बस. छोटे शहरों में ये दिक्कत काफी है. घर पर रहकर ही पढ़ती है. अगले साल तक उसकी शादी की बातें चल रही हैं. मां बाप लड़के देखना शुरू कर चुके हैं. उसके पेट के निचले हिस्से में काफी समय से दर्द हो रहा था. पहले उसे लगा कि शायद उसे पीरियड आने वाले हैं. लेकिन डेट आस पास भी नहीं थी. फिर भी उसने किसी तरह पेनकिलर खाकर कुछ दिन निकाले. दर्द कम हो गया. तारा इस बात को भूल गई. दो महीने तक उसे हल्का हल्का दर्द होता रहा, लेकिन चूंकि एग्जाम आने वाले थे तो उसने ध्यान नहीं दिया.
डॉक्टर के पास जा कर आखिरकार चेक अप कराया उसने. पता चला उसकी बच्चेदानी में गांठें बन गई थीं. इतना फ़ैल चुकी थीं कि उसकी नाभि तक पहुँच रही थीं. डॉक्टर ने सलाह दी कि इनको चेक करवा कर फ़ौरन ऑपरेशन करना चाहिए. अगर कैंसरस ट्यूमर हैं, तो फिर और ज्यादा जल्दी की ज़रुरत है.
लेकिन उस लड़की की मां ने मना कर दिया. कहा, “अगर मेरी बेटी के पेट पर चीरा लग गया तो लोग समझेंगे सफाई करवा कर लायी हूँ. आप दवाई से ठीक कर दीजिये. चाहे कितनी भी कड़ी क्यों न हो.”
सफाई का मतलब जानते ही होंगे आप. एबॉर्शन. बच्चा गिराना..
2.
सायरा एक मल्टीनेशनल कम्पनी में हाउसकीपिंग स्टाफ हैं. उम्र है बमुश्किल 17-18 साल. सुबह तीन ऑटो बदलकर ऑफिस पहुंचती हैं. नौ घंटे की शिफ्ट करती हैं. वापस तीन ऑटो बदल कर घर पहुंचती हैं. घर पर दो छोटे भाई हैं. मां हैं. पिता नहीं हैं. कमाने वाली इकलौती हैं. उनकी मां को पिछले कुछ महीनों से सफ़ेद पानी जाने की शिकायत थी. सफ़ेद पानी जाना यानी वजाइना से सफ़ेद गाढ़े लिक्विड का निकलना. कई बार सायरा ने अपनी मां को कहा डॉक्टर को दिखा लेने को. लेकिन मां ने यह कहकर मना कर दिया कि इस उम्र में ये सब होता रहता है. जब उनका डिस्चार्ज सफ़ेद से लाल होने लगा, तब सायरा ज़बरदस्ती उनको डॉक्टर के पास लेकर गई. डॉक्टर ने चेकअप किया. टेस्ट लिखे. दवाई लिखी. टेस्ट की रिपोर्ट्स आई तो डॉक्टर ने सायरा को बुलाया. बताया उसकी मां को बच्चेदानी के मुंह यानी सर्विक्स का कैंसर है.
सायरा को पता नहीं कि सर्विक्स क्या होता है. सायरा को कैंसर की स्पेलिंग भी नहीं आती शायद. लेकिन सायरा को इतना मालूम है कि अब उसकी मां नहीं बचेंगी. क्योंकि डॉक्टर ने ऐसा ही कहा है.
आप पढ़ रहे हैं हमारी स्पेशल सीरीज़- स्त्री रोग. जिसमें हम बात करने वाले हैं उन सभी शारीरिक और मानसिक तकलीफों के बारे में जिनसे जूझते हुए औरतें कई बार अपनी पूरी ज़िन्दगी बिता देती हैं लेकिन किसी से खुल कर बात करने में झिझकती हैं. इस सीरीज़ के लिए हमने ख़ास तौर पर छोटे शहरों में गायनकॉलजी की प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टरों से बात की है, उनकी राय पूछी है, और यह भी जानने की कोशिश की है कि आखिर क्या परेशानियां आती हैं औरतों को अपनी समस्याएं खुल कर बताने में. आज के इस एपिसोड में हम बात करेंगे सर्वाइकल कैंसर के बारे में.
क्या है सर्वाइकल कैंसर?
सर्वाइकल कैंसर यानी बच्चेदानी के मुंह का कैंसर काफी खतरनाक बीमारी है. मेडिकल की दुनिया में देखें तो इसे गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर कहा जाता है . सर्विक्स यानी बच्चेदानी का मुंह वो जगह है जहाँ से बच्चा बाहर आता है. यहाँ पर कैंसर हो जाए तो बचना मुश्किल होता है. कैंसर में जहाँ पर भी असर वहां होता है, वहां पर शरीर के सेल एबनॉर्मल रूप से बढ़ने लगते हैं.
क्या हैं लक्षण ?
कई मामलों में इसका कोई लक्षण नहीं दिखाई देता . कभी-कभी एकाध लक्षण ही दिखते हैं. अलग अलग मामलों में इसके अलग-अलग लक्षण देखे गए हैं. पर जो सबसे कॉमन हैं वो ये रहे:
1. पेडू यानी पेल्विस में दर्द रहना
2. सेक्स के समय दर्द होना
3. वजाइना से सफ़ेद डिस्चार्ज होना, उसमें दुर्गन्ध होना
4. पीरियड ना होते हुए भी खून आना
5. पीरियड का अनियमित होना, काफी ज्यादा खून जाना
6. वजन गिरना, उलटी जैसा महसूस होना
7. बाथरूम जाने की आदतों/ टाइम में बदलाव.
क्या है इलाज?
इसके इलाज के बारे में बात करने से पहले ज्यादा ज़रूरी है ये देखना कि इसका बचाव का कोई उपाय है क्या. इसको लेकर बात इतनी कम होती है कि लोगों को पता भी नहीं होता कि आखिर परेशानी क्या होती है इसमें. कहीं पर आपने सुना होगा कि शादी के बाद सर्वाइकल कैंसर होने के चांसेज कम हो जाते हैं. कहीं पर आपने ये भी सुना होगा कि बच्चा होने के बाद सर्वाइकल कैंसर के चांसेज नहीं होते. हमने इन सभी सवालों के जवाब लिए डॉक्टर विजया रानी से. डॉक्टर विजया रानी बिहार के सारण जिले के छपरा शहर में पिछले 28 सालों से प्रैक्टिस कर रही हैं . हमने उनसे बात की, सवाल पूछे.
उन्होंने बताया कि सर्वाइकल कैंसर 50 की उम्र से ऊपर की औरतों में अभी तक ज़्यादातर देखा गया है. हमने पूछा इससे बचाव का कोई उपाय?
डॉक्टर विजया रानी : एक वैक्सीन है. एच पी वी यानी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस की वैक्सीन. नौ साल की उम्र के बाद कभी भी लगवा सकते हैं. आपके नजदीकी अस्पताल में जाकर पूछें. सबसे सही उम्र है 16 से 18 के बीच. लेकिन उसके बाद भी लगवा सकते हैं. बस बच्चा नहीं ठहरना चाहिए बीच में. दिक्कत हो जायेगी. विजया रानी ने बताया कि छोटे शहरों में अभी भी कम ही लोग लगवाते हैं. ये सीन बदलने में अभी भी टाइम लगेगा. रही बात शादी के बाद सर्वाइकल कैंसर के खतरे कम होने की तो इसमें कोई सच्चाई नहीं है.
ज़्यादातर शुरुआत में सर्वाइकल कैंसर के लक्षण दिखाई नहीं देते. लक्षण दिखाई दने शुरू हो जाएँ तो इसका मतलब कैंसर एडवांस स्टेज में पहुँच गया है. इससे बचने के लिए 21 साल की उम्र के बाद हर साल पैप स्मीयर (Pap Smear) टेस्ट कराना चाहिए. इस टेस्ट से पता चल जाता है कि सर्विक्स में कैंसरस सेल तो नहीं बन रहे. अगर ऐसा हो रहा होता है तो बच्चेदानी निकाल दी जाती है. ये सबसे ज्यादा सफल होने वाला तरीका होता है.
ट्रीटमेंट में अधिकतर वही तरीके अपनाए जाते हैं जो किसी भी कैंसर के लिए इस्तेमाल होते हैं. अगर कैंसर बढ़ गया है तो बच्चेदानी निकाल दी जाती है, उससे भी फायदा नहीं हो तो कीमोथेरपी और रेडियेशन से इलाज किया जाता है. इसके लिए आपके केस को ध्यान से देखकर आपकी डॉक्टर आपको पर्सनल तरीके से इलाज का सबसे बेहतर तरीका बता पाएंगी.
जब बात आई औरतों की बीमारियों पर बात करने की तो डॉक्टर मंजू गीता मिश्रा से हमने पूछा कि ऐसे मामलों में सबसे ज्यादा ज़रूरी क्या होता है. डॉक्टर मंजू गीता मिश्रा पटना शहर के कदमकुआं इलाके में प्रैक्टिस करती हैं. काफी जानी- मानी डॉक्टर हैं. 40 साल की प्रैक्टिस है उनकी. उन्होंने बताया कि जब बात महिलाओं की बीमारियों की आती है तो इलाज के साथ दवाइयां तो ज़रूरी होती ही हैं, लेकिन उससे भी ज्यादा ज़रूरी होता है पेशेंट की काउन्सलिंग करना.
उसको ये बताना कि वो कोई ‘गन्दी औरत’ नहीं है. ये बीमारियाँ किसी को भी हो सकती हैं. कई बार ऐसा भी होता है कि ससुराल वाले ऐसी हालत में बहुओं का जीना हराम कर देते हैं. उन्हें लगता है , ‘डिफेक्टिव पीस’ पकड़ा दिया गया उन्हें धोखे से.
अपने शरीर को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही ना बरतें . कोई उटपटांग सलाह दे, तो बस सीधे पूछ लें, क्या आप डॉक्टर हैं? अगर नहीं, तो उनकी सलाह को लिफाफे में डाल कर कोने वाले बरगद के पेड़ के नीचे दबा आयें. उसकी जगह वहीं पर है.
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