बीच सफ़र में लड़की को पीरियड्स आ गए, तो इंडियन रेलवे ने मदद की

बेंगलुरु से बेल्लारी जा रही थी लड़की

ट्रेन में सफ़र करते हुए कई बार ऐसी चीजें फेस करनी पड़ जाती हैं जिनके लिए हम तैयार नहीं होते. उस समय लगता है, शायद कोई हमारी सुन लेता. हमारी हेल्प कर देता. ऐसा ही कुछ हुआ ट्रेन में सफ़र कर रही एक लड़की के साथ.

उसे अचानक से पीरियड्स आ गए.

अब आप खुद सोच कर देखिए. रास्ते में आप हों. उस समय आपको दर्द उठाना शुरू हो जाए. ब्लीडिंग होने लगे. आपके पास सैनिटरी पैड्स भी ना हों. क्या करेंगी आप? उस समय आस-पास कोई लड़की भी नहीं थी जिससे वो हेल्प ले पाती. फिर क्या हुआ?

उस लड़की के दोस्त ने रेलवे को ट्वीट किया. पीयूष गोयल को टैग किया. उनको बताया कि इस इस ट्रेन में इस इस सीट नंबर पर उसकी दोस्त को मेफ्ट्ल स्पास (पीरियड्स के दर्द के लिए ली जाने वाली एक कॉमन पेनकिलर है) की ज़रूरत है.  

tweet_750x500_011719014825.jpgतस्वीर: ट्विटर

टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी खबर के अनुसार कर्नाटक के कलबुर्गी में रहने वाले विशाल खानापुरे की दोस्त होसपेट पैसेंजर में सफ़र कर रही थी. ये ट्रेन बेंगलुरु से बेल्लारी जाती है. रात के सवा दस बजे से चलकर अगले दिन सुबह 9:40 पर बेल्लारी पहुंचती है. येस्वंतपुर स्टेशन से जब ट्रेन निकल रही थी, तब विशाल ने ट्वीट किया. 11 बजे के आस-पास तुरंत ही एक ऑफिसर ने विशाल की दोस्त से कांटेक्ट किया. उसका PNR नंबर लिया. पूछा किस-किस चीज की ज़रूरत है. रात के 2 बजे अरसिकेरे स्टेशन पहुंची ट्रेन. मैसूर डिविजन के अफसर उन सभी चीज़ों के साथ खड़े इंतज़ार कर रहे थे जो उसने मांगी थी.

खबर के अनुसार मैसूर डिविजन के अफसरों ने कन्फर्म किया कि ऐसा हुआ था. उन्होंने ये भी बताया कि उनके पास अक्सर रिक्वेस्ट्स आती रहती हैं. कभी ट्वीट पर, तो कभी 138 (हेल्पलाइन नंबर) पर. इससे पहले भी खबरें आई थीं कि ट्रेन में सफ़र करते लोगों ने ज़रूरत पड़ने पर ट्वीट किया, और उनकी मदद की गई. 

rep-image-pti_750x500_011719014909.jpgसांकेतिक तस्वीर: पीटीआई

ये मामला थोड़ा और ज्यादा ज़रूरी इसलिए भी हो जाता है क्योंकि पीरियड्स को लेकर वैसे भी इस वक़्त बहुत होस्टाइल वातावरण बना हुआ है. सबरीमाला से लेकर उत्तराखंड में औरतों को पीरियड्स के दौरान घर से बाहर रखने वाले सेंटर्स बनाने तक, पीरियड्स को टैबू और घिनौनी चीज़ बनाये रखने पर जोर दिया जा रहा है. वहीं इस तरह उसे नॉर्मल मानने, और उस पर लगा टैबू हटाने के के लिए की गई छोटी-से-छोटी कोशिश भी बहुत मायने रखती है.

 

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