उनके लिए, जो युद्ध का समर्थन या विरोध घायल कमांडर अभिनंदन वर्धमान की तस्वीर लगाकर कर रहे हैं

आपके पास सहानुभूति बहुत है, कॉमन सेन्स नहीं है.

सुबह से खबर आ रही थी कि भारत का एक मिग 21 विमान पाकिस्तान की सीमा में क्रैश हुआ है. तभी से पाकिस्तान की तरफ से ये दावा किया जा रहा था कि भारत का एक पायलट उनके कब्जे में है. दोपहर तीन बजे हुई मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स की प्रेस कांफ्रेंस में प्रवक्ता रवीश कुमार ने ये कन्फर्म किया कि हमारी एयर फ़ोर्स का एक पायलट लापता है. उसके बाद से पाकिस्तान से विडियो आने शुरू हो गए, जिसमें एक घायल आदमी को कहीं ले जाया जा रहा है. एक विडियो आया जिसमें उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी गई थी. उस व्यक्ति ने आर्मी ग्रीन रंग की यूनिफ़ॉर्म पहन रखी थी. एक वीडियो अभी हाल में बाहर आया जिसमें ये देखने को मिला कि उसी व्यक्ति को भीड़ पकड़ कर मार रही है. उसे पीटा जा रहा है .

यह क्लैरिटी अब मिल गई है कि जिस व्यक्ति के वीडियो वायरल हो रहे हैं वो विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ही हैं.

पाकिस्तान में भारत के युद्धबंदी. याने प्रिजनर ऑफ वॉर. PoW.

जब से ये चीज़ सामने आई है, तब से जुम्मा-जुम्मा चार घंटे भी नहीं बीते हैं. लेकिन अभी से हर जगह अभिनंदन के वीडियो हर जगह वायरल हो रहे हैं. उनकी तस्वीर शेयर की जा रही है. कुछ लोग युद्ध के रूप में मोदी जी से 'बदला' मांग रहे हैं. कुछ लोग युद्ध के ख़िलाफ़ अपनी स्टेटमेंट देने के लिए, इसे सुबूत के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं.

दोनों ही पक्षों के लिए ये तस्वीरें काम की हैं.

कि देखो, देखो अपने वतन के सैनिक का ये खून. देखो किसी के बेटे या भाई या पति का ये खून. देखो उसकी जलालत.  देखो उसकी हिम्मत. देखो कि इस वजह से हमें युद्ध चाहिए. देखो कि हमें इस वजह से युद्ध नहीं चाहिए.

कोई ये नहीं सोच रहा कि आखिर अंत में कर आप वही रहे हैं जो नहीं होना चाहिए. ड्यूटी के समय घायल हुए एक जांबाज़ अफसर से आपकी सहानुभूति, समझ आती है. पाकिस्तान के खिलाफ इसका इस्तेमाल करके आप कौन से गुस्से को हवा देना चाहते हैं, दिखाई दे रहा है. लेकिन सोशल मीडिया पर शेयर कर कर के, आप उसी जांबाज़ अफसर की बेहुरमती कर रहे हैं. उसके घरवालों, उससे जुड़े लोगों, उसके दोस्तों, सबके दिलों पर कील ठोंक रहे हैं. हर शेयर, हर पोस्ट, हर कैप्शन उन की नज़रों में भी जा रहा है जो अपने जिगर के टुकड़े को इस हालत में देख बेसांस हुए जा रहे हैं. जिनके अपने इस तरह की ज्यादतियों के शिकार हो चुके हैं. जिनका कोई न कोई इस वक़्त सरहद के पास है. सरहद पर है.

abhi-3-750x500_022719062620.jpgबाएं से तीसरे जो व्यक्ति खड़े हैं, ये कहा जा रहा है कि अभिनंदन ही हैं. तस्वीर: ट्विटर

अगर अभिनंदन का बस चलता, वो खुद को कभी इस हालत में देखा जाना पसंद नहीं करते. आज उनके हाथ बंधे हैं, उनका चेहरा खून से भलभला रहा है तो उनके उस खून का इस्तेमाल आप अपनी पॉलिटिक्स के लिए कर रहे हैं. लेकिन ये एहसास आपको नहीं कि आपका हर एक शेयर, हर एक पोस्ट ना सिर्फ अभिनंदन के घरवालों के लिए नासूर बन रहा है, बल्कि आप आम जनता को सुन्न किये दे रहे हैं. जेरबार होना क्या होता है, असहाय होना क्या होता है, इन सभी भावनाओं का ओवेरडोज़ देने की कोशिश में आप लोगों को असहज करने के बजाए उन्हें आदी बना रहे हैं. इन सभी ज्यादतियों के. इस तरह की तस्वीरों को जुगुप्सा जगाने या क्रोध को ईंधन देने के लिए इस्तेमाल करते आप, इंसानियत के खिलाफ गुनाह कर रहे हैं.

अभिनंदन के चाचा ने कहा है कि बचपन से उन्होंने अभिनंदन को देखा है. उनको वापस लाया जाना चाहिए. अभिनंदन की खून से सनी ये तस्वीरें देखकर वो उनके माता-पिता से मिलने जा रहे हैं.  क्या सोच सकते हैं कि उनके दिल पर क्या गुजर रही होगी इस वक़्त? आप जिस भी ख़ुदा/भगवान/गॉड को मानते हों, अगर आपके बच्चे का खून से सना चेहरा इस तरह बार बार उछाला जाता रहे हर जगह तो क्या करेंगे आप?

1862 में हेनरी ड्यूनंट ने सोल्फेरिनो का युद्ध देखने के बाद एक किताब लिखी. उसकी भयावहता पर. ये भी प्रस्ताव दिया कि युद्ध के समय होने वाली ज्यादतियों को रोकने के लिए सभी देशों को मिलकर आगे आना चाहिए. अक्टूबर 1863 को इस तरह पहले जेनेवा कन्वेंशन का जन्म हुआ. लेकिन इसने ना तो प्रथम विश्व युद्ध में फर्क पड़ा, ना ही द्वितीय विश्व युद्ध में. आखिरकार 1949 में जब दूसरा विश्व युद्ध ख़त्म हुए 4 साल हो गए थे, तब जेनेवा कन्वेशन के नियम कानून अपडेट हुए. 2005 तक  इसमें अपडेट्स हुए. प्रोटोकॉल 1 और 2 जोड़ा गया. 2005 में सिम्बल ऑफ रेड क्रॉस के साथ रेड क्रिस्टल को भी यूनिवर्सल सहायता के प्रतीक के रूप में अपनाया गया. इस वक़्त 190 के करीब देश इस कन्वेशन को फॉलो कर रहे हैं. इसके सबसे महत्वपूर्ण पॉइंट्स हैं:

  • रेड क्रॉस को चोटिल/घायल/बीमार लोगों की मदद का हक होगा.
  • टूटे जहाज़ों/नावों के लोगों को बचाया जाएगा, भले ही वो दूसरी साइड के ही क्यों न हों
  • हॉस्पिटल की शिप्स को युद्ध के काम में ना तो लाया जाएगा, ना ही उन पर अटैक किया जाएगा
  • घायल और बीमार लोगों की हत्या नहीं होगी, उनको टॉर्चर नहीं किया जाएगा, उन पर बायोलॉजिकल एक्सपेरिमेंट नहीं किए जाएंगे
  • कैद किये गए धार्मिक नेता तुरंत छोड़े जाएंगे
  • युद्धबंदियों को टॉर्चर नहीं किया जाएगा
  • कैद कर लिए जाने की स्थिति में युद्धबंदी को नाम, रैंक, जन्म की ताखरी और सीरियल नंबर ही बताना होगा.
  • उनके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा.
  • उनको रहने की जगह और पर्याप्त भोजन दिया जाएगा.
  • उनको अपने परिवारके विजिट करने और उनसे खान-पान/बाक़ी ज़रूरत का सामान लेने की आज़ादी होगी .
  • रेड क्रॉस उनसे मिलने और उनकी हालत पर नज़र रखने के लिए कभी भी विजिट कर सकता है.
  • सभी सिविलियंस को मेडिकल केयर मिलनी चाहिए जैसी ज़रूरत हो, और उनके रोजाना के कामों में कोई दखल नहीं पड़ना चाहिए.

पाकिस्तान के साथ इस वक़्त वैसा युद्ध नहीं चल रहा जिस तरह का 1965 या 1971 में हुआ था. लेकिन हालात ठीक नहीं हैं. प्रॉक्सी युद्ध की स्थिति बनी हुई हैं. ऐसे में जितने संयम से काम लिया जा सके, लिया जाना चाहिए, उसमें सोशल मीडिया पर शेयर करने में संयम भी शामिल है.

mig-21-bison-750x500_022719062739.jpgमिग 21 को उड़ाते हुए घायल हुए अभिनंदन. मिग विमानों को हवा में उड़ता ताबूत भी कहा जाता है. तस्वीर: विकिमीडिया

यूनानी दार्शनिक एस्केलस ने कहा था, In war, truth is the first casualty. यानी जब युद्ध होता है, तो पहली मौत सत्य की होती है. पोस्ट ट्रुथ के इस दौर में अपने इमोशंस को खुद से परे ना होने दें. अपनी नहीं, तो उनकी सोच लीजिए जिनको सचमुच युद्ध की विभीषिका से फर्क पड़ेगा. उसके नाम से ही जिनकी जिंदगियां बदल जाएंगी. बाकी राहत इंदौरी जो कह गए हैं, उन्होंने इसी समय के लिए कहा होगा,

लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में

यहां पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है.

अभिनंदन के पिता सिम्हाकुट्टी वर्धमान एयर मार्शल रह चुके हैं. उनको कायरता पता नहीं. उनके नाम पर भावनाओं को मत भुनाइए. उनके लौट आने की दुआ कीजिए. उनके ठीक होने की प्रार्थना कीजिए. बस उनके असहाय, बेबस तस्वीरें सोशल मीडिया पर जिधर-तिधर शेयर मत कीजिए.

प्लीज.    

 

लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे      

Copyright © 2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today. India Today Group