मिस इंडिया कॉन्टेस्ट इस तरह बरसों से हम लड़कियों को बेवकूफ बना रहा है

बिकिनी मॉडल्स के आगे कर्वी लड़कियों ने खुद और छिपा लिया.

कुसुम लता कुसुम लता
जून 18, 2019
फिल्म 'बंटी और बबली' में रानी मुखर्जी मिस इंडिया बनना चाहती थीं (लेफ्ट), मिस इंडिया 2019 सुमन राव (राइट)

‘बंटी और बबली’ देखी है? ये फिल्म 2005 में आई थी. वही ‘धड़क-धड़क’ और ’कजरारे’ वाला गाना है जिसमें. इसमें रानी मुखर्जी और अभिषेक बच्चन हैं. इसमें रानी का कैरेक्टर यानी कि बबली मिस इंडिया बनना चाहती है. बबली सलवार कमीज पहनने वाली, हिंदी बोलने वाली, एक साधारण सी लड़की है. वो बड़े सपने देखती है. अपने सपने के लिए वो घर छोड़कर एक दूसरे शहर चली जाती है.

मिस इंडिया के ऑडिशन पर पहुंचती है. लेकिन गार्ड उसे अंदर जाने नहीं देता. लेकिन दूसरी लड़कियों को एंट्री मिल जाती है. महज एक मिनट का सीन है. दूसरी लड़कियां बबली के कपड़ों पर, उसके बात करने के तरीके पर उसका मजाक उड़ाती हैं. बबली लड़ती है, लेकिन वहां से खाली हाथ ही लौट जाती है.

फिल्म की उन दूसरी लड़कियों के हिसाब से बबली दिखने में वैसी नहीं थी, जो मिस मोहल्ले का टाइटल भी जीत सके. क्योंकि 'मिस' वाले जितने भी खिताब होते हैं, वो एक खास रंग, खास फेस कट और खास फिगर वालों के लिए रिजर्व होते हैं. गोरा रंग, छरहरा बदन, चमकती स्किन, हंसे तो जैसे मोती बिखर जाएं, मुस्कुराएं तो फूलों को भी शर्म आ जाए.

खैर, मिस इंडिया 2019 का टाइटल सुमन राव ने जीत लिया है. वो 20 साल की हैं और राजस्थान की रहने वाली हैं. हमारी तरफ से उन्हें बधाई.

आगे बढ़ने से पहले, ये जान लीजिए कि मिस इंडिया बनने के लिए जरूरी क्राइटेरिया क्या हैं.

मिस इंडियासुमन राव (बीच में) ने मिस इंडिया 2019 का टाइटल जीता है. छत्तीसगढ़ की शिवानी जाधव (लेफ्ट) फर्स्ट रनर अप रहीं. बिहार की श्रेया शंकर (राइट) सेकंड रनर अप रहीं.

हाइट 5 फीट, 5 इंच कम से कम. उम्र 18 से 25. अनमैरिड यानी शादीशुदा नहीं होनी चाहिए. सिंगल यानी रिलेशनशिप में भी नहीं होनी चाहिए. इसके अलावा अगर कोई लड़की 25 की उम्र क्रॉस कर चुकी है, तो भी 27 की होने तक वो इस कॉम्पिटीशन में हिस्सा ले सकती है. लेकिन उसे सेकंड और थर्ड पोजिशन ही मिलेगी. पहली नहीं.

अब इन क्वालिटीज में ये तो कहीं लिखा ही नहीं है कि मिस इंडिया का रंग कैसा हो, चेहरे की बनावट कैसी हो, बॉडी टाइप क्या हो. रही बात हाईट की तो भई आर्मी के लिए भी तो एक मिनिमम हाईट जरूरी है. तो फिर मिस इंडिया पर इतनी हाय-तौबा क्यों?

अखबार में एक फुल पेज ऐड छपा था. मिस इंडिया पेजेंट 2019 के फाइनल में 30 लड़कियां पहुंची थीं. ऐड में इन तीसों की फोटो का एक कोलाज था. कोलाज क्या, पहली नजर में ऐसा लगा जैसे एक ही फोटो को तीस बार पेस्ट कर दिया गया हो.

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सभी के बाल संवरे हुए, एकदम सिल्की चमकते हुए. चेहरे की बनावट एक जैसी. उभरे हुए कॉलर बोन. सभी का स्किन कलर लगभग एक जैसा.

ऊपरी तौर पर इसमें कोई बुराई नहीं दिखती. लेकिन भारत जैसे देश में जहां भाषा-बोली, खानपान, पहनावे में इतना अंतर दिखता है. जहां स्किन कलर को लेकर इतनी विविधता है. वहां के 29 राज्यों और 7 यूनियन टेरिटरीज में ढूंढने के बाद, जो तीस चेहरे ऑर्गनाइजर्स को मिले वो एकदम एक जैसे थे. ये हैरान करने वाला है.

मिस इंडिया पेजेंट इस देश में कई सालों ने खूबसूरती के मानक तय कर रहा है. वैसे तो मानक तय करना ही प्रॉब्लमैटिक है. लेकिन ये हो रहा है. इतने सालों में कभी भी मिस इंडिया का ताज किसी प्लस साइज मॉडल के सिर पर नहीं सजा. बिकिनी बॉडी फ्लॉन्ट करने वाली मॉडल्स के आगे कर्वी लड़कियों ने खुद और छिपा लिया. अपने क्राइटेरिया में मेंशन किये बिना ही मिस इंडिया पेजेंट ने तय कर दिया कि स्लिम, छरहरी लड़कियां ही खूबसूरत हैं.

मिस इंडिया पेजेंट पर रेसिस्म के आरोप भी लगते रहे हैं. रेसिस्म यानी रंग भेद. हालांकि, ऐश्वर्या राय-सुष्मिता सेन से, प्रियंका चोपड़ा-लारा दत्ता और अब मानुषी छिल्लर, अनुकृति वास तक हम नजर डालें, तो पाएंगे कि इस दाग को धोने की भरपूर कोशिश की गई है. यानी सांवली लड़कियों को मिस इंडिया का ताज, या दूसरे टाइटल्स दिए गए हैं. ज्यादा पीछे नहीं जाएंगे, 2010 में निकोल फारिया और 2018 में अनुकृति वास मिस इंडिया बनी थीं.

वैसे कई लोग ऐसे भी हैं जो इन ब्यूटी पेजेंट्स का सपोर्ट भी करते हैं. दलील दी जाती है कि सिर्फ चेहरा या फिजीक देखकर या कैटवॉक करवाकर पेजेंट्स नहीं चुने जाते हैं. बल्कि उनका आईक्यू लेवल भी चेक किया जाता है. इसके लिए कई टफ राउंड्स भी होते हैं. होते होंगे. लेकिन इस पेजेंट ने तो पहले ही तय कर दिया है कि फेयर है, स्लिम है तो ही खूबसूरत होगी.

तो जो लड़कियां मोटी हैं. हां मोटी ही लिखा है. क्योंकि मोटी शब्द में कोई अपमान नहीं है. इस शब्द को जिस तरीके से इस्तेमाल किया जाता है, वो अपमानजनक है. खैर, तो जो लड़कियां मोटी हैं, और जिनकी हाईट कम है. या जिनके दांत शायद आड़े-तिरछे हैं. ऐसी कोई लड़की हिम्मत करके फॉर्म भर भी दे, तो शायद पहले ही राउंड में बाहर हो जाएगी. वो इन पेजेंट्स की नजर में खूबसूरत नहीं हैं.

और जैसा कि हमारे ब्यूटी प्रोडक्ट्स के ऐड प्रचारित करते हैं. ब्यूटी नहीं है तो ब्रेन तो क्या ही होगा.

इन ब्यूटी पेजेंट्स ने खूबसूरती का एक खाका खींच दिया है. एकदम पक्के मार्कर से. ये इतना मजबूत है कि मेरी तरह साधारण सी दिखने वाली कई लड़कियां इस कॉम्प्लेक्स का शिकार होती हैं. पैशन जो भी हो, वो ऐसा कुछ करने के बारे में नहीं सोचती जिसके लिए ‘ब्यूटीफुल’ होना जरूरी हो. क्योंकि उन्हें बचपन से बताया गया है कि एक लड़की के लिए खूबसूरत होना जरूरी है. वो जैसी है वैसी खूबसूरत नहीं है. उसके लिए उस खाके में फिट होना जरूरी है. वो मिस इंडिया बनने का सपना नहीं देखती हैं.

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