नवजात बच्चे रोते हैं तो उनके आंसू क्यों नहीं आते?
महीने भर से छोटे बच्चों को कभी रोते हुए देखा है?
तुरंत जन्मे नन्हे-नन्हे बच्चे या तो शान्ति की मूर्ति लगते हैं, या रो-धो कर घर सर पर उठा लेते हैं. बीच का कुछ नहीं होता. जिन्होंने भी घर में छोटे बच्चे देखे होंगे, उनको पता होगा कि उनको संभालना कितना मुश्किल होता है. ख़ास तौर आर जब वो रोना शुरू कर दें तो सीधे उन्हें उनकी मां की गोद में ट्रान्सफर कर बाकी लोग तो भग लेते हैं. लेकिन कभी अपने ध्यान दिया है, कि महीने भर से छोटे बच्चे जब रोते हैं तो आवाज़ बहुत आती है, आंसू नहीं गिरते?
जो गरजे सो बरसत नाहीं टाइप?
इसकी एक वजह है. भल्ल भल्ल आंसू गिरना तभी मुमकिन है जब आंखों तक आंसू लाने वाली जो पाइपलाइन है वो ढंग से बन जाए. जब बच्चे पैदा होते हैं, तो ये पाइपलाइन जो है ये पूरी तरह ढंग से बनी नहीं होती है. इस वजह से उनकी आंख में इतने ही आंसू आ पाते हैं जितने में उनकी आंखें नम बनी रहें. टप टप आंसू गिरने लायक आंसू बनने में समय लगता है.
कैसे काम करती है ये पाइपलाइन?
Tear Duct (टियर डक्ट) जो होते हैं वो लैक्रिमल ग्लैंड (Lacrimal Gland) से आंसू लेकर आते हैं. ये लैक्रिमल ग्लैंड क्या हैं. बादाम के आकार की दो थैलियां सी होती हैं. दो आपकी भौंहों के ठीक नीचे, थोड़ा सा बाहर की तरफ. इसी में आंसू बनते हैं. अब जन्मतुआ बच्चों की आंखों में लैक्रिमल ग्लैंड्स से आँखों तक आंसू लाने वाले डक्ट्स उनके जन्म के एक महीने के बाद से पूरी तरह बनते हैं. इसमें तीन महीने तक का भी समय लग सकता है.
लैक्रिमल ग्लैंड्स
अगर आंसू बाद में भी ना आयें तो?
बच्चा बड़ा हो गया है, तीन महीने से ज्यादा उम्र हो गई है फिर भी आंसू नहीं आ रहे तो इसका मतलब है कि बच्चे की आंखों तक आने वाले टियर डक्ट्स में कोई ब्लॉकेज या रुकावट है. इसके लिए आपको बच्चे को डॉक्टर से दिखाना ज़रूरी होता है. लेकिन उससे पहले चिंता लेने की कोई बात नहीं. अगर आपका बच्चा रो रहा है तो देखिए उसे कहीं भूख तो नहीं लगी. उसे कुछ परेशान तो नहीं कर रहा. उसके कपड़े तो ख़राब नहीं हुए. आंसुओं की चिंता मत करें, समय के साथ वो भी आ जाएंगे.
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