क्या है ये 'हनीट्रैप' जिसमें पुरुषों को फंसाकर उन्हें 'बर्बाद' कर दिया जाता है
अखबारों से लेकर हर जगह इस शब्द का इस्तेमाल देखा जाता है, पर इसमें एक बहुत बड़ी दिक्कत है
कुछ दिनों पहले कुछ लोगों ने नोएडा के गौतमबुद्धनगर एसएसपी से शिकायत की. कहा कि पुलिस का कोई लूटेरा गैंग चल रहा है. इनमें से कुछ लोग इस गैंग के शिकार बन चुके थे. जांच-पड़ताल शुरू हुई. 10 जून को नोएडा सेक्टर 44 पुलिस चौकी के चौकी इंजार्ज और तीन सिपाहियों को गिरफ्तार किया गया. ये लोग 50 हजार रुपये लेते हुये रंगे हाथ पकड़े गए थे. पूछताछ में पता चला कि पूरी गैंग में 15 लोग शामिल थे. इनमें 3 सिपाही, 1 चौकी इंचार्ज, पुलिस पीसीआर पर तैनात 3 प्राइवेट ड्राइवर, 2 महिलाएं शामिल हैं. सभी को गिरफ्तार कर लिया गया है.
कैसे काम करता था ये गैंग?
एक लड़की सेक्टर 44 की पुलिस चौकी की तरफ जाने वाली रोड पर खड़ी होती. वहां से गुजर रहे किसी गाड़ी वाले को हाथ दिखाकर रोकती. इसके बाद कहीं तक छोड़ने की बात कहकर लिफ्ट मांगती. और कार में बैठ जाती. थोड़ा आगे जाकर महिला ऐसी जगह कार रुकवाती थी, जहां सेक्टर 44 पुलिस चौकी की पीसीआर खड़ी हो. इसके बाद महिला पीसीआर पर तैनात पुलिस कर्मियो से शिकायत करती कि जिस आदमी से उसने लिफ्ट मांगी उसने, उसके साथ रेप किया. इसके बाद पुलिसवाले लड़की और उस शख्स को पुलिस चौकी ले आते. गैंग में शामिल कुछ और लोग आते जो खुद को महिला के पक्ष का बताते. इसके बाद ट्रैप में फंसाए गए शख्स पर समझौता करने के लिए दबाव बनाया जाता था. चौकी इंचार्ज पैसे लेकर मौके पर ही मामला निपटाने की बात करते थे.
जब इस की खबरें चलीं, तो हर जगह हनीट्रैप शब्द का इस्तेमाल किया गया. कहा गया कि लोगों को ‘हनीट्रैप’ में फंसाया जाता था.
क्या होता है ये?
शब्दकोष की परिभाषा पर जाएं तो हनीट्रैप का मतलब है एक ऐसी रणनीति जिसमें किसी खूबसूरत, आकर्षक व्यक्ति का इस्तेमाल करके किसी दूसरे व्यक्ति से जानकारी जुटाई जाती है, उसे एक्सपोज किया जाता है. कुछ शब्दकोष जैसे कॉलिन्स डिक्शनरी कहती है कि हनीट्रैप का मतलब किसी व्यक्ति को अनैतिक यौन व्यवहार करने में फंसा लेना ताकि उसका ये साइड एक्सपोज हो जाए लोगों के सामने.
लेकिन अधिकतर मामलों में हनीट्रैप शब्द इस्तेमाल होता है जब लड़की का इस्तेमाल करके किसी पुरुष को फंसाया जाए. पॉपुलर कल्चर में लड़की और हनीट्रैप एक दूसरे से जुड़ गए हैं.
लेकिन इस शब्द की जड़ें और भी गहरे जाती हैं. आम तौर पर लोग कहते हैं कि ये 1930 के बाद पॉपुलर हुआ. लेकिन असल में 580 ईसापूर्व में एक हिब्रू विधवा थी जूडिथ. उसने होलोफर्नेस को सेड्यूस किया. होलोफर्नेस नेबुकडनैज़र का एक जेनेरल था जो इजराइल पर हमला कर रहा था. जूडिथ की बिब्लिकल किताब के हिसाब से जूडिथ ने उसे शराब पिलाई, उसका सिर काट दिया, और अपने मांस के झोले में रख लिया. इजराइल के खुफिया मोसाद एजेंट्स की वो पेट्रन संत है. कई लोग कहते हैं कि ये हनीट्रैप जैसा ही कुछ था.
जूडिथ की एक प्रतीकात्मक पेंटिंग
जैसे जासूसी फिल्मों में ख़ुफ़िया जानकारी उगलवाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था ‘सुंदर’ लड़कियों का. जेम्स बांड की फिल्मों में ये अक्सर देखने को मिलता था. हनीट्रैप शब्द का इस्तेमाल हाल के वर्षों तक भी रुका नहीं है. इस मामले में भी हनीट्रैप शब्द का इस्तेमाल किया गया. कुछ साल पहले ब्रिटेन के बैंक्स और बिजनेसेज को डॉक्यूमेंट बांटे गए. इनमें लिखा था कि चीन की इंटेलिजेंस सर्विसेज़ सेक्स का इस्तेमाल करके जानकारी निकलवाने की कोशिश कर सकती हैं.
अंग्रेजी में एक शब्द है- सायरन. वैसे सायरन वो भी होता है जो पुलिस कार और एम्बुलेंस पर बजता है. लेकिन ये सायरन शब्द दूसरा है. ये वो समुद्री जीव होते थे जो नशीली, सुरीली आवाज़ में गाकर नाविकों को भटका देते थे. इनकी आवाज़ से सम्मोहित होकर नाविक रास्ता भूल खिंचे चले आते थे, और मौत के शिकार होते थे. मर्दों पर इस तरह के असर डालने वाली महिलाएं आज भी पॉपुलर भाषा में सायरन कही जाती हैं.
सायरन ग्रीक मिथकों का हिस्सा थीं.
ये फेम फटाल (Femme Fatale) से अलग हैं. परिभाषा के अनुसार ये वो औरत होती है जो बेहद ‘खूबसूरत’ हो, और उसके साथ जो भी पुरुष इन्वोल्व होता है उसका विनाश निश्चित है. ये वो औरत होती है जो बेहद रहस्यमयी, आकर्षक होती है. उसे पता होता है उसे क्या चाहिए. उसके लिए वो कुछ भी करने से नहीं चूकती.
बॉलीवुड में ऐसे कई उदाहरण हैं. ऐतराज़ की प्रियंका चोपड़ा, इश्किया की विद्या बालन, रेस की कैटरीना कैफ, गुप्त की काजोल, ये सभी फेम फटाल के उदाहरण हैं. हॉलीवुड में बॉडी हीट की कैथलीन टर्नर, डबल इन्डेम्निटी की बारबरा स्टेनविक, बेसिक इंस्टिंक्ट की शेरोन स्टोन.
लेकिन अंतर ये है कि फेम फटाल के भीतर कॉन्फिडेंस होता है. अपने निर्णय खुद लेने की ताकत होती है. वो अपने लिए लाइन क्रॉस करने से नहीं चूकती. हनी ट्रैप में इस्तेमाल की जाने वाली औरतें सिर्फ एक मोहरा बन कर रह जाती हैं, या उसी तरह ट्रीट की जाती हैं.
विद्या बालन का किरदार एक बहुत ही अच्छा उदाहरण है फेम फटाल का..
हनी ट्रैप शब्द का इस्तेमाल जब से होता आया है, तब का समय अलग था. उस समय मिसोजिनी, टॉक्सिक मैस्कुलिनिटी पर सवाल उठाने वाला कोई नहीं था. उस समय के विज्ञापन ऐसे आते थे जिसमें जूते बेचने वाली कम्पनियां सरेआम ऐसा प्रिंट ऐड छाप सकती थीं:
तस्वीर: ट्विटर
हनीट्रैप शब्द का इस्तेमाल न केवल सेक्सिस्ट है, बल्कि मर्दों के ऊपर भी गहरे सवाल उठाता है. उन्हें एक ऐसी लाईट में दिखाता है जिसमें उनके सोचने-समझने की शक्ति उनके लिंग पर आकर खत्म हो जाती है. ये दिखाता है कि वो नैतिक रूप से इतने कमज़ोर हैं कि एक लड़की को देखकर अपनी हर ज़िम्मेदारी भुला देंगे. सोचने वाली बात ये है कि मेल हनीट्रैप के लिए कोई शब्द नहीं है. क्या दुनिया में ऐसी महिला साइंटिस्ट, ख़ुफ़िया अफसर, या राजनेता नहीं हैं जिनको इस तरह सेड्यूस किया जा सके और उनसे खबरें निकलवाई जा सकें? अगर कोई पुरुष इस तरह इस्तेमाल किया जाए, तो क्या उसके लिए हनीट्रैप शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा?
समय के साथ कुछ चीज़ें हम लेकर आगे बढ़ जाते हैं. कुछ को पीछे छोड़ जाते हैं ताकि पलट कर उनसे सीख ले सकें. कुछ को भूल जाते हैं क्योंकि आने वाले समय में उनकी कभी कोई ज़रूरत नहीं पड़ेगी. हनीट्रैप जैसे घटिया शब्द समय में हमारे साथ आगे जाने लायक नहीं हैं.
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