क्या अपने रिश्ते में हर छोटी-छोटी बात का ख़याल आप ही रखती हैं?
सालगिरह, जन्मदिन, सबकी पसंद का खाना और मेहमाननवाजी, सब आप ही देख रही हैं तो ये स्वस्थ रिश्ता नहीं है.
अगर आप किसी रिलेशनशिप में हैं या शादीशुदा हैं, तो हो सकता है यह बात आपके लिए सही हो. कि अपने रिश्ते में हर छोटी से छोटी बात का ध्यान आप ही को रखना पड़ता है. और यहां मैं सिर्फ़ घर के काम की बात नहीं कर रही.
अपनी ऐनिवर्सरी की तारीख़ से लेकर सास का बर्थडे तक आप ही को याद रखना पड़ता है. क्योंकि आपके हज़्बेंड को याद रहेगा. ये आप यकीन के साथ कह नहीं सकतीं. बदले में आपका बर्थडे शायद ही कोई याद रखता हो. हर पार्टी या गेट-टुगेदर में आपको एक मुस्कान पहने रहना पड़ता है. चाहे उस दिन आपका मन चुपचाप पड़े रहने का हो. आख़िर आपके हज़्बेंड की, फैमिली की इज़्ज़त का सवाल जो है. बच्चों की सारी ज़िम्मेदारी आप पर है.
यहां तक कि हज़्बेंड के साथ रिलेशनशिप में भी सारी मेहनत आप ही करती हैं. उनसे बात करने की कोशिश. उन्हें समझने की कोशिश. इंटिमेट होने की कोशिश. वह सिर्फ़ दूसरी ओर करवट लिए लेटे रहते हैं. और आपकी बातों का जवाब सिर्फ ‘हां’ या ‘ना’ में देते हैं.
कहीं आपकी भी हालत तो ऐसी नहीं? क्रेडिट: यूट्यूब स्क्रीनशॉट
यह सारे काम ‘इमोशनल लेबर’ कहलाते हैं. हमारे देश की औरतों से हद से ज़्यादा इमोशनल लेबर की उम्मीद की जाती है. रिलेशनशिप संभालना, फ़ैमिली के हर सदस्य की हर ज़रूरत का ध्यान रखना. ये इमोशनल लेबर में आता है. वैसे यह कोई बुरी या ग़लत चीज़ नहीं है. आप जिन लोगों के साथ रहती हैं, उनका ध्यान तो आपको रखना ही चाहिए. पर मुसीबत तब होती है जब यह सिर्फ़ वन-साइडेड यानी एकतरफ़ा हो जाता है. आप सबका ख्याल रखती हैं पर आपका ख्याल रखने के लिए कोई नहीं है.
अमेरिकन समाजशास्त्री डैनियल फ़ोर्शी के मुताबिक़ ‘इमोशनल लेबर का मतलब है शारीरिक, मानसिक और भावुक तौर पर अपने रिलेशनशिप पर मेहनत करना. किसी रिश्ते की बेहतरी के लिए इमोशनल लेबर करना आम बात है. मगर यह मेहनत दोनों को बराबर करनी चाहिए. सारा काम कोई एक व्यक्ति नहीं कर सकता.’
डैनियल फ़ोर्शी. फोटो क्रेडिट: ट्विटर
ज़्यादतर इमोशनल लेबर अक्सर औरतें ही करतीं हैं. क्योंकि उनसे इसकी उम्मीद की जाती है. उन्हें अभी भी ‘माताओं’ और ‘बहनों’ के तौर पर देखा जाता है और यह एक्स्पेक्ट किया जाता है कि ये उनका काम है. और कठोर होना पुरुष का काम है.
- अमेरिका के ऐक्रन विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र की प्रोफ़ेसर हैं डॉ. रेबेका एरिक्सन. 2005 में उन्होंने 355 कामकाजी कपल्स पर स्टडी की थी. स्टडी से पता चला कि ज़्यादातर औरतें नौकरी के साथ बच्चे, घर और पार्ट्नर की इमोशनल ज़रूरतों का ध्यान रखती हैं. और उनका ऐसा करना कुदरत नहीं बल्कि उनकी परवरिश की वजह से है. यानी
घर का कामकाज सबसे ज़्यादा महिलाएं ही देखती हैं. फोटो क्रेडिट: यूट्यूब स्क्रीनशॉट
- ब्रिटेन के लैंकैशर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग ने 2011 में एक स्टडी की थी. 71 औरतों पर इस स्टडी से पता चला कि 10 में से 8 औरतें सेक्शुअली संतुष्ट नहीं हैं. सेक्स के दौरान 'ऑर्गैज़्म' होने का नाटक करती हैं. ताकि उनके पार्ट्नर की सेल्फ़-एस्टीम को ठेस न पहुंचे. मतलब पार्ट्नर की भावनाओं का ध्यान रखते हुए उन्होंने अपने सुख की बलि चढ़ा दी. और झूठ का सहारा ले लिया.
- 2018 में UNICEF के एक रिपोर्ट ने बताया कि औरतें मर्दों से दुगने से ज्यादा ज़्यादा काम करती हैं. इसमें घर या ऑफ़िस का काम ही नहीं, फ़ैमिली और रिश्तों का ध्यान रखना भी आता है.
मर्दों से दुगना काम करती हैं औरतें. क्रेडिट: OpenClipArt
- 2018 में कोरिया के एक मेडिकल रिसर्च पेपर से पता चला है कि ज़्यादा इमोशनल लेबर ‘बर्नाउट’ का कारण हो सकता है. बर्नाउट का मतलब है स्ट्रेस की वजह से शारीरिक और मानसिक थकान.
तो यह बात ज़ाहिर है कि औरतें ज़रूरत सें ज़्यादा इमोशनल लेबर करतीं हैं. और यह उनकी सेहत के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं है. अब सोचना यह है कि कहीं आप तो ज़्यादा इमोशनल लेबर नहीं करतीं?
अगर यह सारी चीज़ें आपके लिए सही हैं, तो हो सकता है यह एफ़र्ट एकतरफा है. और आपके पार्टनर को भी थोड़ी मेहनत करने की ज़रूरत है.
- घर का सारा काम आप करती हैं. घर का सारा प्रेशर आप अकेले संभालती हैं, यह बड़ी नाइंसाफ़ी है. यह आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए ठीक नहीं. घर की ज़िम्मेदारी दोनों लें तो यह बोझ काफ़ी हद तक हल्का होता है.
फोटो क्रेडिट: Scroll.in
- ज़रूरी तारीखें आप ही याद रखती हैं. चाहे बर्थडे हो या ऐनिवर्सरी या कोई बड़ा फैमिली गेट-टुगेदर. यह सब याद रखने का काम सिर्फ़ आपका नहीं है. सामाजिक और पारिवारिक रिश्ते बनाए रखने की ज़िम्मेदारी उनकी भी है. उनकी तरफ़ से भी एफ़र्ट आना चाहिए.
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- आप सेक्शुअली सैटिस्फ़ाइड नहीं है. बर्थ कंट्रोल की ज़िम्मेदारी भी आपकी है. अगर वह बेडरूम में भी स्वार्थी हैं, आपके प्लेज़र का ध्यान नहीं रखते, यहां तक कि कॉन्डम यूज़ करने के बजाय आपको बर्थ कंट्रोल लेने को कहते हैं, तो यह ग़लत बात है. सेक्स एकतरफ़ा नहीं हो सकता. इसमें दोनों को एक दूसरे की खुशी और सेफ्टी का ध्यान रखना होता है.
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- आप अपने दोस्तों से उनकी शिकायत करते नहीं थकतीं. कभी-कभी थोड़ा फ्रस्ट्रेशन निकाल लेना ठीक है. लेकिन अगर आप दूसरों के सामने उनकी तारीफ़ से ज़्यादा उनकी शिकायत करती हैं तो कुछ गड़बड़ है. इसका मतलब है कि आपके पार्टनर आपको खुश नहीं रख पा रहे.
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- आप उन्हें अपनी ज़रूरतें बताने से डरती हैं. शायद यह इसलिए है क्योंकि आप उनके लिए जिम्मेदार महसूस करती हैं. आपको लगता है अपनी प्रॉब्लम्ज़ बताकर आपको उन्हें परेशान नहीं करना चाहिए. पर वह आपके पार्टनर हैं. उन्हें याद दिलाएं कि आपकी तरफ़ उनकी भी ज़िम्मेदारी बनती है.
एक रिलेशनशिप या शादी तभी सफल हो सकता है जब दोनों एक-दूसरे को समझने की कोशिश करें. एक-दूसरे की ज़िम्मेदारी लें. दूसरे व्यक्ति को ‘फ़ॉर ग्रांटेड’ न लें. सिर्फ इतना ही काफ़ी नहीं कि आप दोनों नौकरी करें, बराबर कमाएं, फिजिकल काम बांटें. इमोशनल जरूरतें बांटनी भी जरूरी हैं. बहुत जरूरी. ताकि आपके बीच प्रेम बना रहे.
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