बिस्तर पर पड़े-पड़े सोशल मीडिया से पाकिस्तान पर बम गिराने वालों के लिए एक वीडियो आया है
वो वीडियो जिसे कुछ समय पहले आना चाहिए था.
देश का मनुष्य हो जाना उसकी नियति का आखिरी छोर है
पहला नहीं
स्वातंत्र्य इंसान का पहला अधिकार है,
आखिरी नहीं
पर सबसे बड़ी विडंबना
आदमी का देश हो जाना है.
हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बीच खिंची LOC कई युद्ध देख चुकी है. कई परिवारों की बर्बादी, कईयों का हमेशा हमेशा के लिए उम्मीद खो देना. युद्ध में गरजते टैंक, मिसाइल, ताबड़तोड़ चलने वाली राइफलें, सब कुछ गुंजा देती हैं. इतना, कि वहां रहने वालों के कान अब सुन्न से पड़ गए हैं. जब भी बात चलती है इन दो देशों की, तो एक अजब सी मुर्दनी छा जाती है लोगों के चेहरों पर. कि बात होगी, तो खून खराबे की ही होगी.
इन दो देशों के बीच भाईचारे की नहीं, बहनापे की जरूरत सी महसूस होती है.
और इसी ज़रूरत को महसूस किया कलाकारों ने और बनाया एक इतना प्यारा रैप विडियो, कि आप बार बार देखना चाहेंगे. मैचो मर्दानगी से दूर, दो देश की औरतें जब एक दूसरे से बात करती हैं, तो उने बीच क्या पनपता है. कितनी एक सी हैं उनकी इच्छाएं, उनके डर, उनका प्यार, और उनका सांझा चूल्हा.
पहले ये विडियो देख लीजिए:
इस विडियो में दो औरतें एक दूसरे से बात करती-करती देखती हैं कि उनमें कितना कुछ एक जैसा है. कितना कुछ है जो कि अलग होते हुए भी खूबसूरत है, और वैसा है जैसा उन्होंने सोचा था. दुलार से वो बातें करती हैं, एक दूसरे को दुलारी पड़ोसन बुलाती हैं. कहती हैं कि सोचती हूं तेरा घर कैसा होगा. लोग कहते हैं हम एक दूसरे के दुश्मन हैं, कि हमारे पास बड़े-बड़े बम हैं. चलो उन बमों को चूल्हे में फेंक दें. एक दूसरे से मिल नहीं सकतीं तो चुन्नी बदल कर ही एक दूसरे से लाड़ लड़ा लेती हैं.
नफरत से भरे हुए इस समय में, ऐसे विडियो बेहद ज़रूरी हैं.
बेहद.
दुनिया का सबसे पहला देश जब बना होगा
तो लकीर खींचने के बाद ज़मीन के साथ इंसान भी बंटे होंगे
एक देश के बन जाने के बाद छोड़ दी गयी ज़मीन ने क्या अपना देश खुद चुना होगा
या उसे छोड़ दूसरे लोग पहले से खींचे गए खांचों की तलाश में निकल गए होंगे?
मुझे नहीं मालूम
तस्वीर: यूट्यूब स्क्रीनशॉट
लेकिन इतना मालूम है
कि मेसोपोटामिया के बाजारों में बोरे ढो रहे कामगारों
और मेलुहा में मसाले पीसते किसानों के पसीने के रंग
एक जैसा रहा होगा
शुंग से लेकर हूण तक एक धार से कट मरे होंगे
और उस
धरती से उपजे पेड़ों का रंग नारंगी
या पीला नहीं रहा होगा
तस्वीर: यूट्यूब स्क्रीनशॉट
देश के झण्डे का रंग ज़मीन से मिल कर एक हो जाना
उसकी नियति का हिस्सा नहीं है
ज़मीन का भी नहीं
देश की अपनी कोई चमड़ी नहीं होती
चमड़ी के भीतर बहता खून भी उसका नहीं होता
होती हैं तो सिर्फ हड्डियां
जिनपर खाल चढ़ती उतरती रहती है
तस्वीर: यूट्यूब स्क्रीनशॉट
उस खाल का हिस्सा हो जाना इंसान की मजबूरी भले हो
नियति नहीं है.
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