ये यूनिवर्सिटी लड़कियों को 'सेफ़' रखना चाहती है इसलिए लड़कों से बात करने पर रोक लगा दी

इनसे कोई बताए, बातें करने से लड़कियां प्रेगनेंट नहीं होतीं.

सरवत फ़ातिमा सरवत फ़ातिमा
दिसंबर 06, 2018
ऐसा सुरेद्र साई यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी में हुआ है. फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर

देशभर में यूनिवर्सिटीज़ अक्सर नए-नए रूल्स निकालती रहती हैं. उनका दावा होता है कि वो स्टूडेंट्स की बेहतरी के लिए बनाए गए होते हैं. पर कभी-कभी इन दावों पर भरोसा करना बहुत मुश्किल हो जाता है. जैसे ओडिशा में एक जगह है बुरला. वहां वीर सुरेन्द्र साई यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी ने एक तालिबानी फरमान ज़ारी किया है. फ़रमान ये है कि इस यूनिवर्सिटी की लड़कियां लड़कों से सड़क के किनारे खड़े होकर बात नहीं कर सकतीं.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी ख़बर के मुताबिक सुरेन्द्र साई यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी में पांच हॉस्टल हैं. उनमें से एक है रोहिणी हॉल ऑफ़ रेसिडेंस. पहली दिसंबर को एक नोटिस इस हॉस्टल के बाहर लगाया गया. उसमें लिखा था:

“वाईस-चांसलर के निर्देश के अनुसार रोहिणी हॉल ऑफ़ रेसिडेंस में रहने वाली लड़कियां मेल स्टूडेंट्स से सड़क के किनारे खड़े होकर बात नहीं कर सकतीं. अगर उन्होंने ऐसा किया तो उनके ख़िलाफ़ एक्शन लिया जाएगा.”

पहले सबको लगा ये कोई मज़ाक है. पर यही बात सुरेन्द्र साई यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी के रिलेशंस इन-चार्ज प्रोफ़ेसर पी सी स्वेन ने भी कही और इस नोटिस की पुष्टि की. उन्होंने कहा:

“हम लड़कियों की सुरक्षा चाहते हैं. इसलिए ये नोटिस लगाया गया है.”

अब लड़कों से न बात करना कब से सुरक्षाकवच का काम करने लगा? जितने देशभर में यौन शोषण के मामले होते रहते हैं क्या वो सभी सिर्फ़ इसलिए होते हैं क्योंकि कोई लड़की किसी लड़के से बात कर रही थी? ये बहुत ही बेतुका फतवा है.

हमने सुरेन्द्र साई यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी की फीमेल स्टूडेंट्स से बात करने की कोशिश की पर उनसें संपर्क नहीं हो पाया.

ये कोई पहली बार नहीं हुआ है जब किसी यूनिवर्सिटी ने ऐसा ऊल जलूल  फ़तवा जारी किया है. अक्सर लड़कियों के जीन्स पहनने और मोबाइल फ़ोन रखने पर भी पाबंदी होती है. कुछ समय पहले सत्यभामा यूनिवर्सिटी ने फ़रमान जारी किया था कि अगर लड़के-लड़कियां आपस में बात करेंगे तो भ्रष्ट हो जाएंगे. क्लासरूम से लेकर कॉलेज तक उनके आपस में बात करने की मनाही थी. अगर कॉलेज अनुशासन उन्हें आपस में बात करते हुए देखता तो उनके माता-पिता को इन्फॉर्म किया जाता.

लड़कों और लड़कियों का पर्दा करके ये यूनिवर्सिटीज़ क्या हासिल कर लेंगी? और कब तक उनके आपस में बात करने पर पाबंदी लगाएंगी? आख़िर दुनिया में एक दिन तो उन्हें बाहर निकलना ही है न.

 

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