उत्तराखंड में औरतों के साथ जो हो रहा है, उसे सुनकर आपका सिर शर्म से झुक जाएगा
सबसे ज्यादा दुःख की बात कि इसमें सरकार पैसा लगा रही है
उत्तराखंड में चम्पावत नाम का जिला है. यहां से खून खौलाने वाली खबर आ रही है. चम्पावत में रजस्वला औरतों यानी पीरियड्स से गुज़र रही औरतों के लिए अलग सेंटर बनाया जा रहा है.
हमने अभी हाल में ही नेपाल के पश्चिमी हिस्से में प्रैक्टिस की जाने वाली प्रथा छाउपड़ी के बारे में बताया था. इस प्रथा में औरतों को पीरियड्स के दौरान घर से बाहर झोपड़ी में रहना पड़ता है. इस वजह से कई औरतों की मौत भी हो चुकी है. चम्पावत भी नेपाल से लगा हुआ इलाका है. उसी के गांव घुरचुम से ये खबर आ रही है. वहां पर भी काफी समय से पीरियड्स के दौरान महिलाओं को घर से बाहर रखने का चलन बना हुआ है.
यही है वो केंद्र जिसके बनने पर सवाल उठे, और अब बवाल मच गया है. तस्वीर: ऑडनारी
हमारे संवाददाता गिरीश बिष्ट ने बताया कि इस इलाके में चूंकि ये प्रथा काफी समय से चली आ रही है, इसलिए महिलाओं को पीरियड्स के दौरान अलग रहने के लिए एक सेंटर बनवाने की बात की गई. इस सेंटर को बनाने के लिए पैसा ग्राम पंचायत से आया. रजस्वला केंद्र के नाम से बन रहे इस सेंटर का नाम इसलिए सामने नहीं आया कि लोगों को इस पिछड़ी हुई घिनौनी प्रथा से दिक्कत थी.
ये मामला इसलिए सामने आया क्योंकि जहां पर ये केंद्र बनना था, वहां नहीं बना और लोग इस बात को लेकर शिकायत करने पहुंच गए. तब जाकर ये खुलासा हुआ कि सचमुच यहां पर ऐसा कुछ बन रहा है जिसका होना ही अपने आप में शर्म का विषय है. वहां के डीएम इस वक़्त रणवीर सिंह चौहान हैं. उनको ये बात पता चली तो उनके भी होश फाख्ता हो गए. कि भई सरकारी पैसे से, ऐसा सेंटर कैसे खोला जा रहा है. उन्होंने पता करवाया. तब असली कहानी सामने आई.
डीएम रणवीर सिंह चौहान को भी समझ नहीं आया कि इस तरह से कोई कैसे इस तरह की हरकत कर सकता है. तस्वीर: ऑडनारी
पीरियड के दौरान महिलाओं को अलग-थलग रखने की प्रथा का नतीजा था ये. इस जगह यदि कोई भी महिला पीरियड्स पर होती है, तो उसे सबसे दूर रखा जाता है. वो रसोई में नहीं जा सकती. अगर उसने किसी को छू लिया तो उस इंसान को गाय के मूत्र से शुद्ध किया जाएगा. घास काटना, लकड़ी लाना वगैरह जैसे काम फिर भी करा लिए जाते हैं. 6 दिन तक ये सब चलता है. फिर नहा धोकर रसोई में घुसने की इजाज़त दी जाती है.
वहां के जिला अस्पताल में काम कर रही डॉक्टर वर्षा कहती हैं कि पहले पहाड़ों में रहने वाली औरतों को साफ सफाई की दृष्टि से अलग रखा जाता रहा होगा. पेशेंट्स को रेस्ट मिले इस वजह से. लेकिन अब सारे संसाधन उपलब्ध हैं. सरकार महिलाओं को फ्री में सैनिटरी नैपकिन भी दे रही है. पेशेंट्स की काउन्सलिंग भी हो रही है.
डॉक्टर वर्षा ने भी इस मामले के बारे में डीटेल्स देते हुए बताया कि लोग औरतों को आराम के नाम पर ये सब करने से रोकते हैं, लेकिन घास काटने वगैरह जैसे बाहर के काम करने ज़रूर भेजते हैं. तस्वीर: ऑडनारी
डीएम ने ये भी कहा कि हम पता करवाएंगे कि ऐसे केंद्र कहां-कहां हैं और कैसे बने. इसको लेकर अवेयरनेस प्रोग्राम भी चलाएंगे.
लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे