टीचर ने मोटी कहकर स्टेज से उतार दिया था, आज नेशनल चैम्पियनशिप खेल रही है

वो लड़की जो बुखार में कांपती हुई भी स्टेज पर गई, और मेडल जीत लाई

सातवीं क्लास की एक लड़की. उम्र 11-12 साल के आस-पास रही होगी. बड़े उछाह से स्कूल के स्टेज पर डांस करने पहुंची. उसे राधा बनना था. कृष्ण के साथ नाचना था. मन में राधा की छवि उतार रखी थी. कैसे कलाइयां मरोड़ने की एक्टिंग करेगी. कैसे नैन मिला कर पीछे खींच लेगी. कैसे मुस्कुराएगी और ताल के साथ परफेक्ट एक्सप्रेशन देगी.

लेकिन होना कुछ और था. स्टेज पर पहुंची उस लड़की को टीचर ने रोक दिया. उतरने को कहा. कहा कि वो मोटी है इसलिए कृष्ण उसके साथ नहीं नाचेंगे. वो राधा नहीं बन सकती.

उस दिन के बाद एक दशक तक वो लड़की दुबारा स्टेज पर नहीं आई. लेकिन जब आई, तो लोगों को ऐसा झटका दिया कि वो देखते रह गए.

लड़की थी, उपासना. आज नेशनल लेवल की पॉवरलिफ्टर. पॉवर लिफ्टिंग एक तरह का स्पोर्ट है. तीन तरह से झटके में काफी वजन उठाना पड़ता है. इसमें काफी दम लगता. इसलिए पॉवरलिफ्टिंग कहते. उनसे हमने बात की. जम्मू में रहती हैं. खूब नाम कमा रही हैं. मेहनत कर रही हैं. लेकिन सबकुछ बाहर से देखने में आसान लगता है. होता नहीं है. कैसे किया ये सब? बता रही हैं खुद उपासना.   

up-1_013119124655.jpgतस्वीर: ऑडनारी

  1. पॉवर लिफ्टर बनने का कैसे सोचा?

लोगों के तानो ने, बुली करने वालों ने, अपने ही लोगों के बर्ताव और मज़ाक ने मन में बहुत गुस्सा भर दिया था. ये गुस्सा कहीं से निकल ही नहीं रहा था. तो एक दोस्त ने समझाया कि हर दिन रोने से या डिप्रेशन में जाने से बेहतर है इसको ताकत बना लो. जिम शुरू कर दो. जिम मैंने वजन कम करने के लिए शुरू किया था. मैंने वजन घटाना शुरू तो किया, इसके साथ ही साथ वर्कआउट और डाइट की वज़ह से ताकत भी बढ़ रही थी. वहीं से पॉवरलिफ्टिंग की दुनिया में मन लग गया. मेरा पहला मैच 1 जुलाई 2018 को था. तब से लेकर आज तक मैंने दो स्टेट, दो नेशनल्स, और एक डिस्ट्रिक्ट खेला है. चार गोल्ड, एक सिल्वर और दो ब्रोंज मेडल हैं मेरे पास. अगर समय रहते गाइडेंस मिल जाता तो स्पोर्ट्स की दुनिया में शायद पहले ही आ जाती. 

up-6_013119124735.jpgतस्वीर: ऑडनारी

  1. एक नार्मल दिन में क्या करती हैं आप? कैसे गुजरता है दिन?

मैं सुबह उठकर 15 मिनट हनुमान जी का जाप करती हूं. उन्हें शुक्रिया अदा करती हूं कि वो हमेशा मेरा साथ देते हैं. उनसे प्रार्थना करती हूं कि आगे भी हमेशा मेरा साथ दें और हिम्मत बनाए रखें. उसके बाद फ्रेश होकर ब्रेकफास्ट करती हूं और उसके बाद कॉलेज जाती हूं. वहां से फ्री होकर ट्यूशन पढ़ाने जाती हूं. उसके बाद जिम जाकर वहीं पर फ्रेश होकर अपना रोज़ का वर्कआउट पूरा करती हूं. वर्कआउट और डाइट का बैलेंस रखना बहुत जरूरी है. उनमें से एक भी चीज़ आगे-पीछे अगर हो जाए तो अगले दिन वर्कआउट में बहुत दिक्कत होती है. वर्कआउट के बाद वहीं पर अपनी दूसरी मील लेती हूं. फिर घर आकर खाना बनाती हूं. खाने के बाद थोड़ी देर म्यूजिक सुनके, न्यूज़ अप्डेट्स और सोशल मीडिया स्क्रॉल करके फिर सो जाती हूं. अगले दिन फिर वही रूटीन.

  1. किन चीजों ने आपको सबसे ज्यादा पीछे खींचा, आपको परेशान किया?

मोटी थी. स्कूल में इस वजह से दोस्त नहीं बने. खुद को खो दिया था. एक कमरे को दुनिया बना चुकी थी. अपने ही लोग मजाक बनाते थे. जिस चीज़ ने मुझे सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई वो था अपने ही टीचर्स, अंकल्स, और कजिन्स द्वारा यौन शोषण होना. मुझे चुप करा दिया गया. ये कहकर तुम्हारा शरीर भरा हुआ है, इसलिए वो लोग तुम्हारी तरफ अट्रैक्ट होते हैं.  

  1. इनसे डील कैसे किया आपने?

मुझे 18 साल लगे ये समझने में कि वो लोग गलत हैं, मैं नहीं. जब मैंने अपना घर छोड़ा और हायर स्टडीज़ के लिए कॉलेज गई तो वहां नए लोगों से मिली. नए दोस्त बनाए. टीचर्स मिले जिन्होंने गाइड किया. इन लोगों ने मुझे डिप्रेशन और डर से लड़ने में मदद की. 

up-4_013119124836.jpgतस्वीर: ऑडनारी

  1. फैमिली कैसी है? वो लोग सपोर्ट करते हैं आपको?

वे लोग काफी खुले विचारों वाले हैं. उनको इस बात से कोई दिक्कत नहीं कि मैं आस-पास की नई चीज़ें ट्राई कर रही हूं. पढ़े-लिखे, समझदार और कामकाजी पैरेंट्स हैं मेरे. हालांकि रहना उनको इसी समाज में है इस वजह से हमारे बीच कई बार बहस भी होती है. कई बार वो स्टैंड नहीं ले पाते. जैसे जब मेरा यौन शोषण हुआ था जब उन्होंने मुझसे कह दिया, अवॉयड करो उधर जाना, जहां ऐसा होता हो. बाकी मेरे करियर या लाइफ की चॉइस में सपोर्ट करते हैं वो.

  1. इस खेल में सबसे ज्यादा सावधानी क्या रखनी पड़ती है? कोई ख़ास दिक्कत जो आपने फेस की हो?

सबसे ज्यादा तो डाइट, वर्कआउट और पूरा आराम बेहद ज़रूरी है पॉवर लिफ्टिंग में. एक्सरसाइज की पूरी जानकारी होना ज़रूरी है. किस तरह से आप एक्सरसाइज करते हैं वो भी ध्यान रखना ज़रूरी है. नहीं तो चोट लग जाएगी. काफी भारी वजन होता है न. सब में बैलेंस बहुत ज़रूरी है.

बायोलोजिकली देखा जाए तो लड़की होने के नाते स्ट्रेंथ गेन करना थोड़ा मुश्किल है. टाइम का इशू हमारी सोसायटी में बहुत होता. देर वगैरह होना एक दिक्कत होती है. घर पर होने वाले रीत-रिवाज वगैरह भी बैलेंस्ड डायट करने में मुश्किल पैदा करते हैं. मैं वेजिटेरियन परिवार से हूं. नॉन वेज खाना शुरू करना मेरे लिए सबसे बड़ी दिक्कत थी. आज भी मुझे अपने बर्तन अलग रखने पड़ते हैं. घर पर इस को लेकर चिक-चिक भी होती है कि मैं नॉन वेज क्यों पकाती हूं. अकेले खाना बनाना पड़ता है. बर्तन भी अलग धोने पड़ते हैं. अकेले कमरे में खाती हूं. 

up-2_013119124920.jpgतस्वीर: ऑडनारी

  1. आज तक कितनी चैंपियनशिप्स जीती हैं आपने? सबसे ज्यादा मुश्किल कौन सी थी?

आज तक डिस्ट्रिक्ट में 2 गोल्ड, स्टेट में 2 गोल्ड, 1 सिल्वर, और नेशनल्स में 2 ब्रोंज़ मेडल जीत चुकी हूं.

सबसे ज्यादा डिफिकल्ट मेरे लिए पुणे में हुआ नेशनल बेंचप्रेस कंपटीशन था. मुझे 103 डिग्री बुखार था. ऊपर से वहां पहुंचते ही हमारे टीम के अधिकतर लोग बीमार हो गए. वो सारा फिजिकल और इमोशनल स्ट्रेस मेरे लिए लिफ्ट करना मुश्किल कर रहा था. स्टेज पर लिफ्ट करने जाते हुए कांप रही थी. रेफरीज ने भी ये नोटिस किया. आंखों में आंसू छलक रहे थे, फिर भी लिफ्ट किया. उस नेशनल बेंच प्रेस चैंपियनशिप में मैंने ब्रोंज मेडल जीता. जम्मू पॉवरलिफ्टिंग एसोसियेशन के हेड अज्जू अजय ने भी इस पूरे सफ़र में मेरी बहुत मदद की.

  1. क्लीशे सवाल है. लेकिन सबकी जिंदगी में एक ऐसा मोमेंट आता है जो उन्हें पूरी तरह बदल देता है. आपकी लाइफ में ऐसा कोई मोमेंट रहा है?

जम्मू में एक मॉडलिंग इवेंट हुआ था. द लायनेस हंट के नाम से. कई ‘फिट’ और ‘पतली’ मॉडल्स के बीच एक ‘कम हाइट’ वाली, ‘मोटी’ लड़की का मॉडल बनना मेरी जिन्दगी का टर्निंग पॉइंट था. मैंने 15-16 साल के बाद स्टेज पर डांस किया. मुझे याद है मैं सातवीं क्लास में थी. मेरी टीचर ने मुझे स्टेज से उतार दिया था. डांस करने से रोककर. कहा,

‘राधा का कैरेक्टर मोटा नहीं हो सकता. एक मोटी राधा के साथ कृष्ण कैसे प्रेम करेंगे और कैसे नाचेंगे?’.

वो दिन स्टेज पर डांस करने का मेरा आखिरी दिन था. उस साल के बाद उपासना 2018 में स्टेज पर आईं, और जमकर नाचीं. मैंने अपने खोए हुए कांफिडेंस को पा लिया. खुद का प्यार पा लिया.  

up-5_013119124939.jpgतस्वीर: ऑडनारी

  1. बाकी सब तो ठीक है, पैसा कैसे कमाती हैं? कोई जॉब है या फ्यूचर प्लैन कुछ?

अपना बीटेक और एमबीए खत्म करने के बाद दिल्ली में कई जगहों पर काम किया. लेकिन एक दिन सबकुछ छोड़कर घर चली आई. मेरा एक ही गोल था. अपने डिप्रेशन से लड़ना. मैं सुकून पाना चाहती थी. शरीर का फैट लूज करना चाहती थी. अपने शरीर और दिमाग को फिट बनाना चाहती थी. फिलहाल मैं टीचिंग लाइन में हूं. बीएड का लास्ट सेमेस्टर चल रहा है. बच्चों को पढ़ाने में मुझे वो सुकून मिल गया जिसे मैं ढूंढ रही थी. उनको पढ़ाने, उनके भीतर की हीनभावना को दूर करने में मदद करना मुझे बेहद अच्छा लगा. बिना पैसे लिए भी ट्यूशन दिए मैंने. मैं एक अनाथालय में पढ़ाती हूं. इसके अलावा उन लोगों को ट्रेन करती हूं जिनको डाइटिंग और वर्कआउट में मदद चाहिए होती है. इस साल जुलाई तक मैं अपना बीएड और डिप्लोमा इन न्यूट्रीशन एंड हेल्थ एजुकेशन पूरा कर चुकी रहूंगी. आने वाले समय में उन संस्थानों के साथ जुड़ना चाहूंगी जो फिजिकली और मेंटली बेहतर होना चाहते हैं. टीचिंग लाइन में तो रहूंगी ही. 

up-7_013119125054.jpgतस्वीर: ऑडनारी

  1. आपकी लाइफ की ‘ऑडनारी’ कौन है?

मेरी मासी नीना शर्मा. मेरी जिंदगी में मिली सबसे मजबूत औरतों में से एक हैं वो. अपने खुद के बुरे सपनों से जूझते हुए भी वो जिस तरह शांत और स्थिर रहती हैं, वो मुझे हिम्मत देता है. हार न मानने और आगे बढ़ते जाने का हौसला मिलता है मुझे उनसे. मेरी मम्मी, पॉवरलिफ्टिंग में मेरी सीनियर मालवी, मेरी कजिन फागुन, ये सभी मेरे लिए कहीं-न-कहीं इंस्पिरेशन का जरिया हैं.

 

 

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