कौन हैं ट्रांसवुमन संयुक्ता विजयन, जिन्हें स्विगी ने इतनी अहम जिम्मेदारी दी है

'परिवार से सपोर्ट मिला इसलिए मैं पढ़ाई पर फोकस कर पाई.'

ऑडनारी ऑडनारी
जुलाई 16, 2019
संयुक्ता जिन्हें स्विगी ने प्रिंसिपल टेक्निकल प्रोग्राम मैनेजेर की पोस्ट के लिए हायर किया है.

(यह खबर हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहीं यशस्वी पाठक ने लिखी है.)

हमारे देश में ट्रांसजेंडर्स को लोग अलग ही तरह से देखते हैं. परिवार उन्हें छोड़ देते हैं, पढ़ने का मौका नहीं मिलता, कुछ हिम्मत करके स्कूल जाएं भी तो क्लासमेट्स इतना चिढ़ाते हैं कि आधे बीच ही पढ़ाई छूट जाती है. उन्हें काम करने के समान मौके नहीं मिलते. ऐसे में फुड डिलीवरी करने वाली कंपनी स्विगी ने एक नई पहल की है. 

स्विगी ने अपने यहां सीनियर पोज़िशन पर एक ट्रांसजेंडर को हायर किया है. उनका नाम संयुक्ता विजयन है. वह स्विगी में प्रिंसिपल टेक्निकल प्रोग्राम मैनेजर के तौर पर काम करेंगी. ट्रांसजेंडर समुदाय को काम का बेहतर माहौल देने, उनकी सही ट्रेनिंग के लिए स्विगी LGBTQ ग्रुप बनाने की दिशा में भी काम कर रहा है. संयुक्ता ने इसके लिए काम भी शुरू कर दिया है.

संयुक्ता कोयंबटूर शहर से हैं और उन्होंने इंजीनियरिंग की है. यूनिवर्सिटी से होने वाले प्लेसमेंट में उन्होंने सबसे ज्यादा सैलरी वाली जॉब पर अपना कब्ज़ा जमाया था. कुछ ही समय में उन्होंने एमेजॉन इंडिया में नौकरी शुरू कर दी.

swggiy_mos_071319074036.jpgसमयुक्ता. 

2014 में वह इंग्लैंड गईं और 2015 में अमेरिका. अमूमन ट्रांसजेंडर लोगों को कॉलेज, ऑफिस या किसी दूसरे संस्थान में हिंसा का ही सामना करना पड़ता है, लेकिन अमेरिका में संयुक्ता के साथ कई ट्रांसजेंडर्स काम करते थे. वहां उनका अनुभव बेहद अच्छा रहा. हालांकि, इस दौरान उन्हें अहसास हुआ कि भारत में ट्रांसजेंडर्स की स्थिति बेहद गंभीर और चिंताजनक है. उन्होंने नौकरी छोड़कर भारत लौटने का फैसला किया.

वह 2017 में भारत लौटीं और एलजीबीटी कम्युनिटी के लोगों की जिंदगी बेहतर बनाने की दिशा में काम शुरू किया. उन्होंने इसी साल अपना स्टार्टअप ‘टूट स्टूडियो’ शुरू किया है. यह इंडियन वियर फैशन बुटीक है. संयुक्ता ने हमें बताया-

“टूट स्टूडियो कई मामलों में यूनीक है. यहां 25 कारीगर हैं, जिनमें से कुछ ट्रांसजेंडर्स भी हैं. तीन ट्रांसजेंडर्स फैशन, मेकअप और हेयर स्टाइलिंग के क्षेत्र में काम करना चाहती थी. लेकिन इनके पास काम की स्किल नहीं थी. हमने इन्हें काम की ट्रेनिंग दी. आज इनमें से 2 ट्रेन्ड ट्रांसजेंडर महिलाएं दूसरे फैशन स्टोर्स में काम कर रही हैं.”

trans-750_071319074412.jpg'टूट स्टूडियो'.  फोटो कर्टसी : फेसबुक.

इंडियन एलजीबीटी कम्युनिटी के सदस्यों की बात करते हुए संयुक्ता ने कहा-

"हमारे देश में केवल 2% ट्रांसजेंडर्स ही अपने परिवार के साथ रहते हैं. जबकि 98% लोगों को उनके घर से निकाल दिया जाता है या मजबूरन उन्हें खुद घर छोड़ना पड़ता है. उन्हें न तो सही शिक्षा मिल पाती है, न ही नौकरी. मैं चाहती हूं कि ये लोग भी मेन स्ट्रीम से जुड़ें.टूट स्टूडियो में हमारे पास इतना फंड नहीं है कि हम ट्रांसजेंडर लोगों को जॉब दे सकें. इसलिए हमारी कोशिश है कि हम उन्हें ट्रेनिंग दें और नौकरी के लिए तैयार करें".

transs-750_071319074701.jpgसमयुक्ता के साथ ट्रांसजेंडर औरतें. फोटो कर्टसी : फेसबुक.

संयुक्ता ने 2016 में सियाटल में सेक्स चेंज ऑपरेशन करवाया था. उन्हें अपनी कंपनी एमेजॉन की तरफ से इस ऑपरेशन के लिए बहुत सहायता मिली. एमेजॉन की इन्श्योरेंस पॉलिसी की वजह से उनके फेशियल लेज़र ट्रीटमेंट, हार्मोन्स और साइकेट्रिक थैरेपी मुफ़्त में हो सकी. ऑपरेशन का लगभग 50% खर्च इस पॉलिसी में कवर हुआ.

आप को बता दें कि हमारे देश में कुछ सरकारी कम्पनियों में ही सेक्स रिअसाइंमेंट (सेक्स चेंज ऑपरेशन) के लिए इस तरह की पॉलिसी है जो मुफ़्त में ऑपरेशन की सहायता प्रदान करती है. निजी कम्पनियों में ऐसी पॉलिसी नहीं मिलती.

इस पर संयुक्ता कहती हैं-

"निजी कंपनियों की इंश्योरेंस पॉलिसी में सेक्स रिअसाइंमेंट को नैचुरल सर्जरी नहीं माना जाता. बल्कि इसे कॉस्मेटिक सर्जरी के दायरे में रखा जाता है. इसलिए ये सेक्स रिअसाइंमेंट को कवर नहीं करती. मैं चाहती हूं कि भारत की निजी क्षेत्र की कंपनियां ऐसी पॉलिसी लायें जो इस एस्पेक्ट को भी कवर करे. नीतियां ट्रांसजेंडर लोगों को ध्यान में रख कर बनाई जाएं. स्विगी में भी हम ट्रांसजेंडर लोगों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने और इस तरह की पॉलिसी को लाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं."

हम भी यही उम्मीद करते हैं की इंडिया में एलजीबीटी सदस्यों की लिए स्थिति बेहतर हो शिक्षा संस्थानों और दफ्तरों में उनके साथ भेदभाव न किया जाए. खासतौर पर ऊंचे पदों पर नियुक्तियों में जेंडर बेस्ड डिस्क्रिमिनेशन न हो. ताकि ऊंचे पद किसी खास सेक्स या जेंडर तक सीमित न रहें.

 

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