होली पर घर नहीं पहुंच सके हैं तो उदास मत होइए, इन लड़कियों के प्लान्स जानकर ऐसे सेलिब्रेट करें
कौन कहता है कि घर से दूर आप होली सेलिब्रेट नहीं कर सकते?
छोटी थी, तब बहुत एक्साइटमेंट रहता था होली का. कई दिन पहले से ही पापा से जिद करने लगती थी, पिचकारी-गुब्बारे-मुखौटे खरीदने की. उस दिन स्कूल की छुट्टी भी होती थी. दिन भर बस रंगों से खेलती रहती थी. खैर, वो तो बचपन की बात थी. जो कि बीत गया. अब ऑफिस में काम करती हूं. घर से दूर रहती हूं. बचपन के वो सारे दोस्त भी छूट गए, जिनके साथ रंग खेलती थी. लेकिन होली खेलने का मन तो आज भी उतना ही करता है, जितना पहले करता था. लेकिन घर दूर है इस वजह से जा नहीं सकी. फिर भी मैंने अपनी होली की इंतजाम तो कर ही लिया है. उन लोगों के साथ होली मना रही हूं, जो मेरे जैसे हैं. यानी कि जो घर नहीं जा रहे हैं.
प्रतीकात्मक तस्वीर. pixabay
अब मैंने तो अपनी होली की प्लानिंग कर ली है. लेकिन ऑफिस में काम करते-करते दिमाग में आया कि और भी कई सारे लोग होंगे जो इस मौके पर घर नहीं गए होंगे. तो सोचा कि उनमें से कुछ लड़कियों और औरतों से बात करके, ये जाना जाए कि वो अपनी होली कैसे मना रही हैं. ताकि बाकी लोगों को भी, जो भी इसे पढ़े, उन्हें घर से दूर रहकर भी होली स्पेशल तरीके से मनाने का आइडिया मिल जाए. पांच औरतों से बात की.
1. वो लड़की, जो अपने सभी दोस्तों को बुलाकर सेलिब्रेट करेगी
राधिका (नाम बदल दिया गया है), मेरी दोस्त है. जेएनयू में पढ़ती है. पीचएडी कर रही है. अब उसका घर ठहरा छत्तीसगढ़ में. जो कि दिल्ली से बहुत दूर है. रिसर्च का काम भी ज्यादा है, इस वजह से वो घर नहीं जा सकी. खैर, उसने अपना प्लान तैयार रखा है. जेएनयू में हर साल होली सेलिब्रेट होती है. राधिका भी उसी सेलिब्रेशन का हिस्सा बनेगी. उसने एक ग्रुप बना लिया है. उन सभी लोगों का, जो होली पर घर नहीं जा रहे हैं. उसने उन लोगों को (जो उसकी पहचान के हैं), इनवाइट कर लिया है होली सेलिब्रेशन में.
रंग खेलने के बाद अपने दोस्तों के साथ बाहर जाकर लंच करने का प्लान बनाया है. मैंने जब उससे पूछा कि अगर बाहर नहीं जा सकी, तो क्या करेगी. तब जवाब मिला, 'रंग में न एक नशा सा होता है. मतलब हर साल जब भी मैं रंग खेलती हूं, उसके बाद बहुत नींद आती है. तो अगर मैं लंच के लिए बाहर नहीं जा सकी. तो मेस में जो बनेगा वही खा लूंगी. और चद्दर तानकर दोपहर में खर्राटे मारूंगी.'
प्रतीकात्मक तस्वीर. वीडियो स्क्रीनशॉट
2. 'ढेर-ढेर-ढेर सारा खाना बनाऊंगी. अच्छा-अच्छा'
मेरी एक कलीग है, प्रतिभा (नाम बदल दिया गया है). वो भी होली पर घर नहीं गई है. मैंने जब उससे पूछा कि उसके क्या प्लान्स हैं. तब उसने बताया कि क्योंकि उसे गुलाल और होली के बाकी रंग से थोड़ी एलर्जी है, क्योंकि उसमें कई तरह के केमिकल्स मिले होते हैं, जिस वजह से उसे काफी दिक्कत होती है. तो वो रंग तो नहीं खेलेगी. लेकिन उसने खाने का पूरा मैन्यू तैयार कर रखा है. वो होली के दिन, घर पर ढेर-ढेर-ढेर सारा खाने का बनाएगी. वो भी अलग-अलग तरह का. यानी उसका पूरा दिन खाना बनाने में ही निकलेगा. एक और बात, इतना सारा खाना वो अपने और अपनी रूममेट के लिए बनाएगी. अब सोचिए, दो लोग इतना सारा अच्छा-अच्छा खाना आखिर खत्म कैसे करेंगे?
3. एक लड़की, जो ऑफिस के बाद नेटफ्लिक्स के साथ होली मनाएगी.
स्नेहा (नाम बदल दिया गया है), जो कि एक मीडिया हाउस में काम करती है. उसकी प्लानिंग तो काफी अलग है. उसे ऑफिस जाना है होली वाले दिन. मॉर्निंग शिफ्ट है. वो सुबह 7 बजे ऑफिस पहुंचेगी. 9 घंटे काम करेगी. उसके बाद, उसे अपने पीजी पहुंचने में शाम के 5-6 बज जाएंगे. ऐसे में वो क्या ही होली सेलिब्रेट करने कहीं जा सकेगी. लेकिन फिर भी उसने बढ़िया सी प्लानिंग
क्या? स्नेहा ने कुछ चुनिंदा फिल्मों की एक लिस्ट बना रखी है. वो उस लिस्ट में से एक फिल्म नेटफ्लिक्स पर देखेगी. बाहर से अपनी पसंद का खाना मंगाएगी. और अपनी पसंद की फिल्म देखते हुए, खाने का मजा लेगी. रात में पीजी की कॉमन गैस पर बढ़िया सी चाय बनाएगी, अदरक वाली. सही है न? ये प्लान भी कोई बुरा नहीं है. कई बार खुद के साथ टाइम बिताना भी बहुत ज़रूरी होता है. स्नेहा होली के दिन वही करेगी.
प्रतीकात्मक तस्वीर. pixabay
4. पढ़ते-पढ़ते मनेगी इनकी होली.
मेरी एक दोस्त है चारू (नाम बदल दिया गया है). एमबीबीएस हो चुका है. दिल्ली में अपनी एमबीबीएस वाली कुछ दोस्तों के साथ रहकर आगे की पढ़ाई के लिए एग्जाम्स दे रही है. उसकी तैयारी कर रही है. अब कुछ ही दिनों में उसका एक पेपर है. इसलिए वो घर नहीं जा रही होली पर. जब मैंने उससे पूछा कि वो क्या करेगी होली वाले दिन. जवाब मिला, 'एग्जाम है, इसलिए पढ़ना है. लेकिन सुबह थोड़ा सा टाइम निकालकर फ्लैट की बाकी लड़कियों को गुलाल तो लगाऊंगी ही. साथ बैठकर सुबह चाय की चुस्कियां लूंगी. घर पर फोन करके बात करूंगी. सबको होली विश करूंगी. और फिर पढ़ने बैठ जाऊंगी.'
ये प्लान भी सही है. अब पढ़ना भी तो ज़रूरी है न.
प्रतीकात्मक तस्वीर. pixabay
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5. वो लड़की जो पड़ोस के बच्चों के साथ रंग खेलेगी.
अंकिता (नाम बदल दिया गया है), दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करती है. पीजी में रहती है. घर नहीं जा रही, क्योंकि दूर है. और केवल एक दिन की ही छुट्टी है. अब होली तो उसे बहुत पसंद है. लेकिन पीजी में भी कोई लड़की नहीं रहेगी, तो क्या करे? इसके लिए उसके पास तगड़ी प्लानिंग है. पड़ोस के घर में छोटे-छोटे बच्चे रहते हैं. जिससे अंकिता की बढ़िया बनती है. वो उन्हीं बच्चों के साथ होली खेलेगी.
ये प्लान तो बेस्ट है. कई बार बच्चों के साथ टाइम बिताने से आपका बचपन भी लौट आता है.
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