3 सेक्स वर्कर्स को 3 लड़कों के दाम पर बुलाया, फिर 9 लोगों से गैंगरेप करवाया

जहां की बात हुई, उससे कई किलोमीटर दूर लेकर गए.

दिल्ली का लाजपत नगर मेट्रो स्टेशन. 3 लड़कियां क्लाइंट्स का इंतजार कर रही थीं. एक कैब आती है. कैब में ड्राइवर के अलावा एक आदमी और था. उन्होंने लड़कियों को साथ चलने के लिए कहा. लड़कियों ने डील की. एक क्लाइंट का 3000 रुपए. कैब में बैठे लोगों ने 3 लोगों के लिए बात की. 3600 ए़डवांस दिए.

बात नोएडा सेक्टर 18 चलने की हुई. लेकिन कैब में सवार लोग तीनों लड़कियों को लेकर सेक्टर 135 पहुंचे. एक फार्म हाउस पर. वहां पर 7 लोग और आ गए. बात 3 लोगों की ही हुई थी. लेकिन अब यहां 9 लोग थे. लड़कियों का आरोप है कि इन लोगों ने उनपर जबरन संबंध बनाने का दबाव बनाया. मना करने पर मारपीट की. और फिर सबने गैंगरेप किया.

उनके पास से 3600 रुपए भी छीन लिए. काफी मिन्नत करने पर एक ने उन्हें सड़क तक छोड़ा. लड़कियों ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी पुलिस को दी. पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया. और 9 में 7 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. कैब का ड्राइवर और एक अन्य आरोपी अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं.  

मीडिया से बात करते हुए नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण ने बताया,

''लड़कियों और 2 आरोपियों के बीच सौदा तय हो गया था. एक क्लाइंट के साथ सेक्स के लिए लड़कियों को 3000 रुपये मिलते. लड़कियों से कहा गया कि उन्हें नोएडा सेक्टर 18 चलना होगा. लड़कियों को 3,600 रुपये अडवांस भी दिए गए. लड़कियों को लाकर इन लोगों ने उनका रेप किया. लड़कियों का कहना है कि उन लोगों ने मार-पिटाई भी की. सेक्स सर्विस के बदले पैसे भी नहीं दिए.

बाद में लड़कियों के गिड़गिड़ाने पर आरोपियों में से एक उन्हें सड़क तक छोड़ आया. वहां आकर लड़कियों ने 100 नंबर पर फोन किया. इस समय सुबह के पांच बजे थे. एक्सप्रेसवे पुलिस थाने से एक टीम लड़कियों के पास पहुंची. उनकी शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ सामूहिक बलात्कार और जान-बूझकर नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज़ कर लिया गया है.''

फार्म हाउस दिल्ली परिवहन विभाग के किसी अधिकारी का बताया जा रहा है. आरोपियों में से एक वहां चौकीदारी करता था. फार्महाउस को सील कर दिया गया है. पुलिस का कहना है कि दोनों फरार आरोपियों को भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा. 

देश में सेक्स वर्कर्स की स्थिति

ये पहला मसला नहीं है जब कुछ लड़कियों का रेप इसलिए हुआ है क्योंकि वो सेक्स वर्कर हैं. एक सर्वे के मुताबिक भारत में सेक्स वर्कर्स की संख्या 80 हजार से ज्यादा है. ये उतनी ही संख्या है जिनको किसी तरह दर्ज किया जा पाया है. हिंदुस्तान में सेक्स वर्कर्स के लिए कोई कानून नहीं है. और न ही सेक्स वर्कर्स को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी है.

सेक्स वर्कर्स को समाज अपराधी मानता है, नागरिक नहीं. यही कारण है कि समानता, स्वाभिमान और कानून सम्मत जीवन जीने के अधिकार जैसे उनके अधिकारों की परवाह किसी को नहीं होती. उन्हें खुद भी नहीं. अधिकतर मामलों में वे किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई करने से बचते हैं. कानूनी कार्रवाई के लिए पुलिस के पास जाएं तो वहां भी उनका अनुभव ठीक नहीं है. शिकायतों पर कार्रवाई की बात तो बहुत दूर की है. पैन इंडिया ने 3000 सेक्स वर्कर्स के बीच एक सर्वे किया. इस सर्वे के मुताबिक-

# 60% सेक्स वर्कर्स के साथ उनके क्लाइंट हिंसा करते हैं.

# 31% सेक्स वर्कर्स घरेलू हिंसा का सामना करती हैं.

# 24.7% सेक्स वर्कर्स दुकानदार, ऑटो ड्राइवर्स और गुंडों-बदमाशों के उत्पीड़न का शिकार होती हैं.

# 40% सेक्स वर्कर्स के साथ उनके पार्टनर मारपीट और हिंसा करते हैं.

# 35% सेक्स वर्कर्स को पुलिस ने पीटा, बाल खींचे और बेल्ट से मारा.

# 50% के साथ पुलिस ने गाली गलौज की.

# 20% को घूस देने के लिए मजबूर किया गया.

हम उस समाज में रहते हैं जहां रेप पीड़ित महिलाओं की गलती ढूंढ़ी जाती है. उन पर उंगली उठाई जाती है. उसी समाज में सेक्स वर्कर्स की स्थिति बयां करने के लिए ये आंकड़े काफी हैं.

वेश्या है, इसकी क्या इज्जत. क्या वेश्या का भी रेप हो सकता है? इन वेश्याओं का भी कोई ईमान होता है क्या? ये वो सवाल हैं जिनसे सेक्स वर्कर्स को हर रोज दो-चार होना पड़ता है. और ये सवाल एक निहायत ही घटिया मिथ को मजबूत करते हैं. जो कहता है, सेक्स वर्कर्स का रेप नहीं हो सकता.

ऐसे समय में नोएडा में गैंगरेप पीड़ित इन महिलाओं का शिकायत दर्ज कराना और अपने साथ हुए अपराध के खिलाफ खड़ा हो जाना, थोड़ी राहत ज़रूर देता है.

 

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