जिसने जिंदगी भर कालेपन की वजह से ताने सुने उसने बड़ी खूबसूरती से बदला लिया है

इस लड़की ने जो किया वो हम सब के लिए एक सीख है.

सरवत फ़ातिमा सरवत फ़ातिमा
जुलाई 13, 2018
ये लड़की अब मुंबई में रहती है. फ़ोटो कर्टसी: फेसबुक

राधिका (बदला हुआ नाम) उस वक़्त 13 या 14 साल की रही होगी. आठवीं में थी. एक दिन क्लास में बैठी थी. तभी उसी के क्लास में पढ़ने वाली एक लड़की उसके पास आई. बोली, “तुम इतनी काली हो. फेयर एंड लवली क्यों नहीं लगातीं?”

कुछ दिन बाद राधिका स्कूल के मैदान में खेल रही थी. तभी एक लड़की ने उसपर जूता फेका. बोली, “चली जाओ तुम यहां से. तुम यहां की नहीं हो.”

राधिका तब एक बच्ची थी. उसके लिए ख़ुद से नफ़रत करना बहुत आसान था. वैसे भी, उसके रंग के कारण कोई उसे पसंद तो करता नहीं था. पर ज़िल्लत का ये सिलसिला स्कूल से निकलने के बाद भी ख़त्म नहीं हुआ. अमूमन ऐसा होता है कि स्कूल से कॉलेज पहुंचने पर बहुत कुछ बदलता है. राधिका के साथ भी बदला मगर एक चीज़ यहां भी उसके साथ रही. उसे उसके रंग की वजह से परेशान किया जाता रहा. राधिका जब कॉलेज में थी तब एक दिन उसके प्रोफ़ेसर ने उसे कमरे में किसी काम से बुलाया. दरवाज़ा बंद किया. फिर उसका रेप किया.

राधिका, जिसने बहुत सालों बाद ख़ुद को पसंद करना बस अभी शुरू ही किया था, फिर से टूट गई. उसे ख़ुद से घिन आने लगी. वक़्त लगा, पर उनसे ख़ुद को फिर से समेटा. राधिका को फ़ोटोग्राफ़ी का बहुत शौक था. उसने ख़ुद को उसमें झोक दिया. बहुत काम किया.

उस घटना के तीन साल बाद वो मुंबई आ गई. अपने डर से लड़कर. यहां आकर उसने वो कर दिखाया जो एक वक़्त पर उसे ख़ुद असंभव लगता था. राधिका ने अपनी कंपनी शुरू की. मेहनत और लगन से उसे ऊंचाई तक पहुंचाया. आज वो ज़िन्दगी में बहुत अच्छा कर रही है. अपनी कमाई से अपना घर ख़रीदा है. प्यार करने वाला एक पार्टनर भी है. जो रोज़ उसे ख़ूबसूरत महसूस कराता है. अब उसके रंग-रूप पर कोई ताने नहीं कसता.

हमारी ज़िन्दगी में भी अक्सर ऐसे मौके आते हैं जब हम ख़ुद को एक कोने में सरका दिए गए पाते हैं. ऐसा मालूम देता है कि ख़ुद का ही शरीर कई हिस्सों में बंट गया है और उनका वापस उसी स्वरुप में आ पाना मुश्किल होगा. ऐसे मौकों पर ही राधिका और उसके जैसी तमाम कहानियां हमें ताकत से भरती हैं. ये ताकत ही हमें अगली सुबह इस आशा के साथ जगाती है कि बदलते दिन के साथ हालात भी पलटा मारेंगे और चीज़ें अच्छे के लिए बदलेंगी.

फेसबुक पर ‘ह्यूमेंस ऑफ़ बॉम्बे’ नाम का एक पेज है. राधिका ने अपनी कहानी उनसे शेयर की.

ये रहा वो पोस्ट:

क्यों? है न दिल को छू जाने वाली कहानी?

 

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