दुनिया के सबसे अमीर आदमी की मां का संघर्ष

नाबालिग थीं जब प्रेगनेंट हुईं, किताबों के साथ डायपर रख स्कूल जाती थीं.

जैकलीन बेजोस अपने बेटे जेफ बेजोस और पति माइक बेजोस के साथ.

जेफ बेजोस. दुनिया के सबसे अमीर आदमी. अमेरिका की एक मल्टीनेशनल कंपनी अमेजॉन के मालिक. पर ई हुआ कैसे? तो जान लीजिए ई हुआ इनकी मां जैकलीन की वजह से. 

यूके की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में जैकलीन गई हुईं थीं. वहां उन्होंने अपने जीवन के बारे में बताया.

'मैं 17 साल की ही थी. जब जेफ पैदा हुआ. उस वक्त मेरे पास खर्च चलाने के लिए पैसे नहीं थे. मैं उस समय हाईस्कूल की पढ़ाई कर रही थी.अब कम उम्र में मां बनीं. तो स्कूल मैनेजमेंट ने मेरी पढ़ाई रोक दी. काफी कोशिश की और स्कूल मैनेजमेंट को मना लिया. पर मैनेजमेंट ने कई शर्त रखी. जिसके बाद मैं दोबारा पढ़ाई शुरू कर पाई.'

अच्छा शर्त भी बड़ी अजीब थी.

-एक शर्त थी कि मुझे स्कूल की घंटी बजने के 5 मिनट पहले स्कूल में एंटर होना था और आखिरी बेल के 5 मिनट में बाहर निकलना था.

-दूसरी शर्त थी कि मैं किसी भी दूसरे स्टूडेंट्स से बात नहीं कर सकती थी.

-तीसरी शर्त थी कि मुझे कैफेटेरिया में लंच की मंजूरी नहीं थी.

-आखिरी और चौथी शर्त ये थी कि मैं डिप्लोमा लेने के लिए औरों की तरह स्टेज पर नहीं जा सकती.

-बेजोस को पालने के लिए मैंने 190 डॉलर यानी 13 हजार रुपए की एक टाइपिस्ट की नौकरी की.

जेफ के जन्म के 17 महीने यानी करीब डेढ़ महीने के बाद जैकलीन का टेड जॉर्गनसन से तलाक हो गया. ये जेफ के पिता हैं. जैकलीन को पढ़ना था, तो उन्होंने नाइट स्कूल में एडमीशन लिया. जैकलीन उन प्रोफेसर की क्लास में जाती थीं, जो जेफ को साथ लाने की मंजूरी देते थे.

जैकलीन के मुताबिक, उनके पास उस समय दो बैग हमेशा साथ रहते थे. एक में किताबें, डायपर और पानी की बोतल होती थी. दूसरे में जेफ के खिलौने होते थे.

नाइट क्लासेज के दौरान ही जैकलीन माइक बेजोस से मिलीं. 1968 में दोनों ने शादी कर ली. माइक की नौकरी के कारण पूरा परिवार दूसरे शहर चला गया. इस वजह से जैकलीन ग्रैजुएशन नहीं कर पाईं.

jeckie_750x500_061519021802.jpgअपने दूसरे पति माइक बेजोस के साथ जैकलीन बेजोस.

कुछ समय बाद उन्हें लगा कि बच्चे तो बड़े हो गए हैं, तो उन्हें ग्रैजुएशन पूरी कर लेना चाहिए. जैकलीन ने 40 साल की उम्र में अपना ग्रैजुएशन पूरा किया. ठीक 20 साल बाद.

जेफ ने अपनी मां का एक वीडियो भी शेयर किया है. जिसमें वो ये सभी बात कह रही हैं.

इस बात को सुनकर उन लोगों को जरूर सीख मिली होगी. और मिलनी भी चाहिए, जो महिलाएं अपने परिवार और बच्चों के चक्कर में पढ़ाई अधूरी छोड़ देती हैं. पढ़ने की इच्छा तो होती है, पर लोग क्या कहेंगे, अरे अब तो उम्र हो गई है, नहीं कर पाएंगे, वगैरह... वगैरह बातें दिमाग में चलने से कोशिश ही नहीं करती हैं. और इस कारण पढ़ाई अधूरी ही रह जाती है.

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