हम सब औरतें इसी दिन के इंतजार में बैठी थीं, तुम्हारा फायदा उठाने के लिए

सिर्फ ये एक जवाब दे दो, मैं मान लूंगी #MeToo बकवास है.

आपात प्रज्ञा आपात प्रज्ञा
अक्टूबर 13, 2018
हमें सभी सर्वाइवर्स की बात पर यकीन करना ही होगा. फोटो क्रेडिट- Reuters

आप सही कह रहे हैं. बिल्कुल सही कह रहे हैं. हम बैठे थे मौके का फायदा उठाने के लिए. हम चुप थे ताकि जब समय आये तो बोल सकें. लोगों को डरा सकें. उनसे पैसे ऐंठ सकें. यही तो कह रहे हैं न आप? हम पैसे और सस्ती पब्लिसिटी के लिए लिख रहे हैं. भोले-भाले लोगों को बदनाम कर रहे हैं. जी, बिल्कुल ठीक समझ रहे हैं आप. हमें बस पैसे चाहिए. तो बताइए, कितना दाम लगाएं अपना? आप देंगे पैसे? कितने दे सकते हैं? 2-4 लाख? 2-4 हज़ार? चलिए एक काम करते हैं, 1000 रुपए तय करते हैं. ठीक है न?

अब चलते हैं इस देश की औरतों के पास. सबसे पूछते हैं कि क्या उन्हें कभी भी अपने जीवन में किसी भी मर्द के शोषण का शिकार होना पड़ा है? अगर 10 में से 8 औरतें 'हां' में जवाब नहीं दें तो मैं मान लूंगी कि ये #MeToo बकवास है. कि सब झूठ है. ज़मीन पर उतर कर देखिए. अपने घर में, आस-पड़ोस में, अपनी मां से पूछ कर देखिए. हर लड़की के पास उसके जीवन का #MeToo किस्सा होगा. हर औरत के पास कोई न कोई घटना बताने को होगी जब उसकी मर्ज़ी के बिना किसी मर्द ने उसे जबरदस्ती छुआ होगा. उसका शोषण किया होगा. उस पर भद्दे कॉमेंट्स किए होंगे. उसको नीचा दिखाया होगा. उसको मारा होगा. या कुछ बुरा किया होगा. बहुत बुरा.

आपके बड़े नामी सितारों पर इल्ज़ाम बर्दाश्त नहीं हो रहे हैं. फोटो क्रेडिट- ट्विटर आपके बड़े नामी सितारों पर इल्ज़ाम बर्दाश्त नहीं हो रहे हैं. फोटो क्रेडिट- ट्विटर

आपको बड़े नामी सितारों पर इल्ज़ाम बर्दाश्त नहीं हो रहे हैं न, और हम ज़मानों से आपके हाथों दुर्व्यवहार को बर्दाश्त कर के जी रहे हैं. आपकी जबरदस्ती को. आपके द्वारा पैदा किए डर को. आपकी मनमानी को. आपके वहशीपने को बर्दाश्त करके जी रहे हैं. अब #MeToo हमारे पास मौका है जब हम बता सकते हैं, जो हमारे साथ हुआ. जब हम बोल सकते हैं -

'MeToo, तुम अकेली नहीं हो दोस्त, मेरे साथ भी ऐसा हुआ है.'

जब हम अपने डर से बाहर निकलने की कोशिश कर सकती हैं. जब उस दुष्ट की आंखों में आंखें डाल कर उसे शर्मसार कर सकते हैं. जैसे हमको हमेशा किया गया है.

फोटो क्रेडिट- ट्विटर फोटो क्रेडिट- ट्विटर

एक बात तो मैं पूछना भूल ही गई. आप ही हैं न वो लोग जो कल तक कहते थे 'उसने तुम्हें छू लिया. चुप रहो. किसी को मत बताओ. बदनामी होगी.' आप ही हैं न वो लोग जो कहते थे 'तुम्हारा रेप हो गया. कोई बात नहीं. शान्त रहो. किसी को पता चल गया तो समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं बचोगी.' ये एक दिन में आपके नियम कैसे बदल गए, महाराज? कल तक जो घटना बताने से लड़की समाज में मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहती थी, आज उस ही घटना के बारे में बता कर वो पब्लिसिटी पा रही है? कल तक जिस बारे में ज़िक्र करने से वो खुद बदनाम होती थी आज उसी के बारे में ज़िक्र करके वो दूसरों को बदनाम कर रही है?

फोटो क्रेडिट- ट्विटर फोटो क्रेडिट- ट्विटर

एक बात बताइए, आप अभी हम पर विश्वास नहीं कर रहे, 10-20 साल पहले बोलने पर विश्वास कर लेते क्या? क्या भरोसा है कि कर लेते? तब क्या करते हम? आज तो बारबार बोल सकते हैं. तब क्या करते? आज हज़ार बार अपनी बात रख सकते हैं. तब कहां जाते?

हम चुप थे क्योंकि हमें पता था कि कोई ऐसा मूवमेंट आएगा जब हम बोल सकेंगे. हम चुप थे क्योंकि हम जानते थे कि अन्याय का घड़ा कभी तो भरेगा. हम चुप थे क्योंकि हमें चुप कराया गया था. हम चुप थे क्योंकि तुमने हमारे मुंह में कपड़ा ठूंस दिया था. हम चुप थे क्योंकि कोई यकीन नहीं करता. हम चुप थे क्योंकि समाज ने हमें चुप रहने को मजबूर किया था. बस, अब नहीं. अब हम बोलेंगे और इस समाज को सुनना होगा. अपने दोहरे रवैये को बदलना होगा. अपने मायनों को बदलना होगा.

 

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