हिंदुत्व ट्रोल्स शांत हो जाएं, जैक डोरसी ने 'ब्राह्मणवाद' पर सवाल उठाया है, 'ब्राह्मणों' पर नहीं

लैंग्वेज आपकी भाईसाब बहुत गंदी है. सुधारिए इसको.

मेरे भाई ने अंतरजातीय विवाह किया. तो किसी रिश्तेदार को फुसफुसाते सुना: 'दूसरी जात से लड़की आ जाए तो ठीक है, कम से कम हमारी जात में आ रही है. पर अपनी खुद की बेटी कभी नीची जात में नहीं देनी चाहिए. उससे हमारा ही नुकसान होता है.'

आपने कभी बकरियां या भेड़ खरीदी हैं? या फिर मार्केट में जाकर कोई पालतू कुत्ता? अरे नहीं, रुकिए रुकिए. बहुओं की तुलना जानवरों से ठीक नहीं. जानवरों को तो हम प्रेम दे देते हैं. आज भी शादी करना कई लोगों के लिए एक जातीय अरेंजमेंट है. अगर परिवार के हाथ में हो, तो कभी अपने बच्चों के लिए जाति के बाहर का रिश्ता न लेकर आएं.

ऐसे ही अरेजमेंट को हमें तोड़ना है, इसकी अपील ट्विटर के हेड जैक डोरसी ने की थी. अगर आप एक प्रोग्रेसिव व्यक्ति हैं, खुली सोच रखते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं दिखेगी. मगर डोरसी के ऊपर हेट स्पीच के आरोप लगे! और उन्हें दुनिया के सामने माफ़ी मांगनी पड़ी. तमाम न्यूज़ संस्थानों ने लिखा कि ब्राह्मण विरोधी पोस्टर के चलते डोरसी को माफ़ी मांगनी पड़ी.

jack-dorsey_112118015636.jpgट्विटर हेड जैक डोरसी को इस तस्वीर ने मुश्किल में डाल दिया

इस पोस्टर को ब्राह्मण विरोधी कहना, या हेट स्पीच कहना जानते हैं कैसा है?

- मैं कहूं दिल्ली में बड़ा प्रदूषण है. सांस नहीं ली जा रही. जवाब में दिल्ली के लोग कहें कि मैं उनके खिलाफ बाकी देश को भड़का रही हूं.

- पेरेंट्स अपने बच्चे से कहें कि जंक फ़ूड मत खाया करो. इससे तबीयत खराब हो जाएगी. और बच्चा मां-बाप के खिलाफ FIR लिखा दे. कि मुझे खाने का हक नहीं दिया जा रहा.

हास्यास्पद लगता है न? बिना सोचे-समझे, महज नफरत फैलाने के मकसद से डोरसी को ट्रोल करना भी इतना ही हास्यास्पद है. असल में त्रासद है.

brahmin-whatsapp_112118015735.jpgवॉट्सऐप पर सुबह का नाश्ता

ब्राह्मणवाद और ब्राह्मण एक नहीं होता रे बांगडू

ब्राह्मण जाति व्यवस्था में एक जाति है. कथित तौर पर ये ऊंची है. वर्ण व्यवस्था के मुताबिक़ बाकी सभी जातियां ब्राह्मणों के नीचे आती हैं. रिमेंबर योर ओल्ड ब्रह्मा स्टोरी? कि ब्राह्मण उनके मस्तिष्क से बने हैं. बाकी अब अलाने-फलाने अंगों से? इस परपंच को सच मानकर ब्राह्मणों को सबसे ऊंचा मानना ब्राह्मणवाद है.

ब्राह्मण ही सर्वश्रेष्ठ है, इसे तथ्य मानते हुए ब्राह्मणों को नौकरी में पहला हिस्सा देना, उन्हें बाकियों के पहले प्रोमोट करना, ब्राह्मण संतानों को ज्यादा काबिल मानना और कथित नीची और पिछड़ी जातियों को नाकाबिल मानकर मौका न देना, ये ब्राह्मणवाद है. संस्थानों में हर ऊंचे पद पर ब्राह्मण को बैठा देना ब्राह्मणवाद है. यानी जातिवाद को अगर ब्राह्मण के सर्वश्रेष्ठ होने पर फोकस कर दिया जाए तो वो हुआ ब्राह्मणवाद.

पुरुषवाद भी बताएं अब

ये है वो सोच जो मानती है कि पुरुष बेहतर होते हैं. इसे ज्यादा समझाने की जरूरत नहीं है. औरत नौकरी नहीं करेगी क्योंकि पुरुष करेगा. औरत पुरुष के सामने घूंघट रखेगी क्योंकि इज्जत इशूज. बेटा, अपने से ज्यादा कमाने वाली लड़की से शादी मत करना, दबाकर रखेगी. दैट इज पुरुषवाद फॉर यू. आसान शब्दों में. मगर पुरुषवाद छोटी-छोटी चीजों में भी दिखता है. क्योंकि वो हमारे अंदर घर कर चुका है. पर पुरुषवाद का मोटा-मोटी मतलब यही है कि पुरुष सर्वश्रेष्ठ है. सिर्फ महिलाओं से ही नहीं, गे पुरुष, हिजड़ों, जानवरों, सबसे.

तो ब्राह्मणवाद का मतलब ब्राह्मण नहीं है. और पुरुषवाद का मतलब पुरुष नहीं है. ये दोनों ही विचारधाराएं हैं, विशेष समुदाय नहीं हैं. इसे ऐसे समझिए. अगर एक दलित व्यक्ति खुद ही ये माने कि ब्राह्मण उससे श्रेष्ठ है, तो वो भी ब्राह्मणवाद से घिरा हुआ है. उसका दलित होना इस समय मायने नहीं रखेगा. वहीं एक औरत अगर माने कि पति ही भगवान है, तो वो भी पुरुषवादी है.

chhoti-bahu_112118015849.jpgसीरियल में सभी आदर्श बहुएं दिखती हैं. ये सभी कथित ऊंची जातियों की होती हैं.

∴ ब्राह्मणवादी पुरुषवाद ≠ ब्राह्मण पुरुष

चमका? अब जानिये ब्राह्मणवादी पुरुषवाद क्या होता है

जब ब्राह्मणवाद और पुरुषवाद एकसाथ मिलकर काम करें. इन उदाहरणों पर ध्यान दीजिए:

- जो भी कथित ऊंची जाति में पैदा हुए हैं, उन्होंने कुल की पवित्रता की बात बचपन से सुनी होगी. ब्राह्मण और राजपूत घरों में औरतें आज भी पल्लू रखती हैं. ससुर और जेठ के सामने सर नहीं खोल सकतीं. इसको इज्जत और लिहाज के नाम से बेचा जाता है. इतनी ही इज्जत करनी है बड़े भाई की तो पति क्यों नहीं रखता घूंघट?

- हमारे घर की औरतें किसी और के लिए नौकरी नहीं करेंगी क्योंकि हम ब्राह्मण हैं. भले ही औरत कितनी भी पढ़ी-लिखी हो. और उसे नौकरी करने की कितनी भी इच्छा हो. औरत की इच्छा और मर्ज़ी गौण हो जाती है.

- लड़की ने भागकर कथित नीची जात में शादी कर ली तो उसको मार डालेंगे. पहले इसे ऑनर किलिंग कहा गया. फिर हॉरर किलिंग. यानी घर की बेटी और बहू की योनी में में पूरे कुल की इज्जत डालकर रखना.

honour-killing_112118020130.jpgहरियाणा के सुनीता और जसबीर की लाशें. अलग जातियों के होकर भी विवाह करने पर इन्हें 2008 में मार डाला गया था.

- दलित औरत का ब्राहमण पुरुष के हाथों बलात्कार होना. इस सोच के साथ कि ये तो दलित है. इसकी तो इज्जत ही क्या है. इसकी कौन सी इज्जत है जो लुट जाएगी. ये कुलीन थोड़े ही है.

- दलित औरत रेप की शिकायत करे तो उसे ही सजा देना. ये कहकर कि ये झूठ बोल रही होगी. ऊंचे कुल को बदनाम करना चाहती है. या उनका पैसा चाहती है. या ये कहना कि ऊंचे कुल का आदमी नीची जात की औरत का रेप क्यों करेगा, जब उसे अशुद्ध होने का खतरा हो.

ये हेट स्पीच क्यों नहीं है

क्योंकि ये किसी जाति या समुदाय विशेष के खिलाफ की गई टिप्पणी है ही नहीं. ये एक विचारधारा के खिलाफ की गई टिप्पणी है. भेदवाद की संस्कृति को ख़त्म करने की अपील है. अब आप राहुल गांधी के खिलाफ पप्पू जोक बनाएं और मैं कहूं कि ये 'गांधी' जाति विशेष के खिलाफ टिप्पणी है. तो अर्थ का अनर्थ हो जाएगा न.

बैठ जाइए, बैठ जाइए

ज्यादा तिलमिलाने की जरूरत नहीं है. ब्राह्मण होंगे आप क्योंकि आप ब्राह्मण परिवार में पैदा हो गए. इसके लिए पसीना नहीं बहाया है आपने. कोई तप नहीं किया है. औरत, पुरुष होकर या दलित जाति में पैदा होने के पीछे भी यही लॉजिक है. चांस की बात है. एक स्पर्म पर इतना अहंकार ठीक नहीं.

 

 

लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे      

Copyright © 2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today. India Today Group