तेरे नाम-2 : राधे के हाथों इस बार कौन सी लड़की टॉर्चर होगी
16 साल बाद राधे समझ सकेगा कि निर्जरा की न का मतलब न ही था.
एक लड़का है. गुंडा टाइप, बिगढ़ा हुआ सा. सबको पीटता रहता है. कॉलेज में उसके साथ एक लड़की पढ़ती है. वो उस लड़की का मजाक बनाता है. उसके बोलने के तरीके का, उसके रहन-सहन पर हंसता है. फिर एक दिन उसी लड़की से कहता है कि वो उससे प्यार करता है. लड़की इंकार कर देती है. लड़के को गुस्सा आता है. वो दोस्तों की मदद से लड़की किडनैप कर लेता है. उसे डराता धमकाता है, ऑलमोस्ट पीटने वाला होता है. लेकिन तभी लड़की (शायद डर से) हां कर देती है.
अगर आप इस लड़के को जज करना शुरू कर चुके हैं, तो बता दें कि साल 2003 में एक फिल्म आई थी, "तेरे नाम". यहां उसके लीड कैरेक्टर राधे की बात हो रही है. खैर, 16 साल बाद इस फिल्म की बात इसीलिए हो रही है, क्योंकि फिल्म के डायरेक्टर सतीश कौशिक ने कहा है, कि वो तेरे नाम का सिक्वल बनाने जा रहे हैं. यानी "तेरे नाम-टू" में राधे फिर किसी लड़की को टॉर्चर और मोलेस्ट करता नजर आ सकता है.
क्या है ये, क्यों है, जो भी है...
2 घंटे 18 मिनट की "तेरे नाम" में यही जस्टिफाई किया गया कि प्यार जितना ज्यादा होगा, हिंसा भी उतनी ज्यादा होगी. फिल्म के हिसाब से इश्क में पड़ा लड़का हिंसक हो सकता है, लेकिन गलत नहीं. वो न सुनकर आहत है, इसीलिए हिंसक है. दरअसल फिल्म का लॉजिक ये है कि लड़की भी नहीं जानती की वो उससे प्यार करती है. खुद पर हिंसा होने के बाद उसे ये अहसास होता है कि वो भी उससे प्यार करती है. लड़की को इस बात का अहसास कराने के लिए लड़का उसके साथ कुछ भी कर सकता है. किडनैप, मोलेस्ट, रेप या हत्या भी. कुछ भी. ये फिल्में हिंसक या छिछोरे हीरो के कैरेक्टर इश्क और जंग में सब जायज़ है के साथ आसानी से जस्टिफाई कर देती हैं.
रख लो, प्यार से दे रहे हैं, वरना थप्पड़ मार के भी दे सकते हैं
"दबंग" में सोनाक्षी सिन्हा के पैसे लेने इंकार करने पर पुलिसवाले के कैरेक्टर में सलमान खान कहते हैं कि प्यार से पैसे दे रहे हैं, रख लो वरना मार-पिटाई भी कर सकते हैं. यानी दुनिया के लिए रॉबिनहुड टाइप का आदमी भी प्यार में जोर-जबरदस्ती कर सकता है. इन फिल्मों की प्रेम की अवधारणा पर यकीन करें, तो हिंसा प्यार का दूसरा रूप है. दो-तीन गानों के बाद सोनाक्षी उनसे शादी कर लेती हैं. यानी लड़की को सहमति लेने का हिंसा का सबसे सटीक तरीका है.
तू हां कर या न कर तू है मेरी किरन
हिंसा के अलावा हिंदी फिल्मों के हीरो के पास और भी तरीके होते हैं. साउथ इंडियन फिल्मों में ऐसी सिचुएशन नॉर्मल हैं, जिनमें हिरोइन की प्यार में असहमति होने पर हीरो उसे स्टॉक करता है. सड़कों पर पीछे दौड़ता है. उसके स्तन, पेट, कमर पर हाथ रगड़ता है. उसे चूमता है, जबरदस्ती करने की कोशिश करता है. इंटरवल के पहले हिरोइन भी उस हीरो से प्यार करने लगती है. फिर वही बात. प्यार में पड़े लड़के को 'हां' कहलवाने के लिए लड़की के साथ कुछ भी करने का अधिकार मिल जाता है.
इश्क और जंग में सब जायज है
ये बात जिसने भी कही है, उससे ज्याद नाजायज कुछ नहीं है. इश्क और जंग में सब जायज नहीं होता. प्यार के नाम पर राधे की निर्जरा के साथ बदसलूकी गलत ही है. उसे सही नहीं कहा जा सकता है. कई लड़कियों पर सिर्फ इसीलिए तेजाब डाल दिया जाता है, क्योंकि उन्होंने लड़के के प्यार को खारिज कर दिया. इसे इश्क के नाम पर जायज नहीं कहा जा सकता है. हिंसा, बदसलूकी, यौन शोषण, रेप को किसी भी तरह से जस्टिफाई नहीं किया जा सकता है.
फिल्मों का असर
तेरे नाम सुपरहिट हुई थी. 1990 में आई "दिल" से 2014 में आई "हाईवे" तक जिन फिल्मों में हीरो ने हिरोइन से बदसलूकी की गई, वो हिट ही रहीं. लोग सिनेमाघर में जाते हैं. ऐसे सीन पर ताली बजाते हैं. कैरेक्टर का कुछ हिस्सा अपने साथ ले आते है. हिंसा, जबरदस्ती 'प्यार है' वाली अवधारणा को सिनेमा को बदलना होगा.
तेरे नाम सिक्वल
सतीश कौशिक ने मुंबई मिरर को इंटरव्यू में कहा, "तेरे नाम की कहानी बिल्कुल नई होगी. ये पिछली फिल्म का दूसरा पार्ट नहीं है. फिल्म की स्क्रिप्ट पूरी हो चुकी है. ये फिल्म नॉर्थ इंडिया के एक गैंगस्टर की लवस्टोरी पर बेस्ड होगी." उम्मीद है 16 साल बाद राधे समझ सकेगा कि निर्जरा की न का मतलब न ही था.
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