तमिलनाडु: सिर्फ एक बच्चे के लिए खोला गया 76 साल पुराना, बंद पड़ा स्कूल
एक भी बच्चे ने नाम नहीं लिखाया तो स्कूल बंद हो गया था.
तमिलनाडु से एक बहुत प्यारी खबर आई है.
1943 से, यानी आज़ादी के पहले से वहां के चिन्नाकल्लर में एक बच्चों का स्कूल चल रहा था. ये खोला गया था ताकि वहां आस-पास चाय के बागानों में जो लोग काम करते थे, वो अपने बच्चों को पढ़ने भेज सकें. पिछले साल ये स्कूल बंद हो गया था. 2017-18 में इकलौती बच्ची जो वहां पढ़ रही थी, उसके वहां से चले जाने के बाद स्कूल को कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया था.
अब इसे दुबारा खोला गया है.
चिन्नाकल्लर अपने झरनों के लिए मशहूर है
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक़ आदि द्रविड़र एंड ट्राइबल वेलफेयर डिपार्टमेंट ने अपना ये एलीमेंट्री स्कूल दुबारा खोला है. चिन्नाकल्लर में काम करने वाले राजेश्वरी को अपने छह साल के बेटे शिवा का एडमिशन कराना था. लेकिन चिन्नाकल्लर वाला स्कूल तो बंद हो गया था. और आदि द्रविड़र का दूसरा स्कूल जो था, वो चार किलोमीटर दूर पेरियाकल्लर में था. राजेश्वरी ने अपने इलाके के अफसरों से गुहार लगाई कि वहां का स्कूल खुलवा दें. उसे उम्मीद नहीं थी कि ऐसा होगा, लेकिन स्कूल वापस खुल गया. एक अफसर के हवाले से ये पता चला कि जब स्कूल खुला था तब यहां 300 कर्मचारी रहते थे जो चाय के बागानों में काम करते थे. 70 सालों तक इस स्कूल से हर साल 50 छात्र पढ़कर निकलते थे. जैसे काम करने वाले लोग दूसरे क्षेत्रों में जाने लगे, वैसे वैसे स्कूल की चमक फीकी पड़ती गई.
चिन्नाकल्लर घने जंगल के बीच बसा है. यहां हाथियों का और दूसरे जानवरों का डर बना रहता है.
आदि द्रविड़र एंड ट्राइबल वेलफेयर डिपार्टमेंट के उच्चाधिकारी ने बताया कि पिछले साल तक सिर्फ एक टीचर और एक हेड मास्टर के बल पर उन्होंने ये स्कूल चलाया. लेकिन उसके बाद कोई भी बच्चा स्कूल में नाम नहीं लिखवाना चाह रहा था क्योंकि हाथी घूमने लगे थे, और स्कूल के दरवाजे-खिड़कियां भी तोड़ने-फोड़ने लगे थे. अभी हाल फिलहाल में यहां पर ऐसा कोई हमला नहीं हुआ है. जो परिवार है उसे हाथियों के आने-जाने की आदत है,तो उनको इसका कोई डर नहीं है. फिर भी हम कोशिश कर रहे हैं कि वो अपने बच्चे को पेरियाकल्लर वाले स्कूल में शिफ्ट कर लें, अगर ऐसा होता है तो ये स्कूल बंद हो जाएगा.
सांकेतिक तस्वीर: पिक्साबे
इस वक़्त चिन्नाकल्लर में सिर्फ 15 परिवार हैं, ऐसा बताया गया है. पेरियाकल्लर के आदि द्रविड़र वेल्फेयर स्कूल के जो हेडमास्टर हैं, एम शक्तिवेल, उनके ऊपर ज़िम्मेदारी है इस स्कूल का भी ध्यान रखने की. उन्होंने बताया कि चिन्नाकल्लर के जो टीचर और हेड मास्टर थे, उनको दूसरे स्कूल में भेज दिया गया. अब इस स्कूल को खोलने में डिपार्टमेंट ने बहुत मेहनत की है.
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