सूरत अग्निकांड: मौत के मुंह से बची 16 साल की लड़की ने फायर ब्रिगेड का असली हाल बताया

इस वारदात की पूरी कहानी और मंजर आपको रुला देगा.

लालिमा लालिमा
मई 25, 2019
कोचिंग क्लास में पढ़ने वाली लड़की ने पूरी घटना के बारे में बताया.

गुजरात के सूरत में सरथाणा इलाका है. वहां तीन मंजिला एक बिल्डिंग है. नाम तक्षशिला कांप्लेक्स. सबसे ऊपर के फ्लोर पर कोचिंग क्लास है. नाम है अलोहा क्लासेज. आर्किटेक्ट और डिज़ाइनिंग के स्टूडेंट यहां आते थे. नाटा, यानी नेशनल एप्टीट्यूड टेस्ट इन आर्किटेक्चर की तैयारी करने. ये एक प्रवेश परीक्षा होती है. तो उसी की तैयारी के लिए अलोहा क्लासेज में बच्चे आते थे. गर्मी में इनकी संख्या ज्यादा हो जाती थी. क्योंकि छुट्टियां चल रही होती हैं, तो समर क्लास में बहुत सारे बच्चे एडमिशन लेते हैं. इनमें से ज्यादातर लड़कियां होती हैं.

24 मई के दिन भी, इस कोचिंग क्लास में बच्चे आए थे. करीब 40 बच्चे. बिल्डिंग के पास ही गुजरात इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड ट्रांसफार्मर था. जिसमें अचानक से स्पार्क हुआ. और आग लग गई. थोड़ी ही देर में आग तक्षशिला बिल्डिंग के तीसरे माले तक पहुंच गई. जहां अलोहा कोचिंग क्लास थी. अब जो कोचिंग क्लास थी, वो छत पर ही टीन का शेड डालकर चलाई जा रही थी. उसी शेड ने आग को पकड़ लिया. अचानक से भभक-भभक कर वो टीन का शेड जलने लगा. बच्चे अंदर ही थे. खुद को बचाने के लिए कुछ बच्चे नीचे भागे, तो कुछ खिड़कियों के जरिए नीचे कूद गए. अफरा-तफरी मच गई. जलने और कूदने से 20 बच्चों की मौत हो गई.

उर्मी वेकरीया, 16 साल की लड़की है. ये भी उन 40 बच्चों में शामिल थी, जो कोचिंग में थे. उर्मी बाल-बाल बच गईं. उन्हें केतन चौडवाडिया नाम के एक लड़के ने बचाया. आपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो देखा होगा. जिसमें एक लड़का तीसरे माले पर खड़ा हुआ है, और बच्चों की मदद करते हुए दिख रहा है. वो लड़का केतन ही है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक केतन ने दो लड़कियों की जान बचाई. जिनमें से एक उर्मी है. आग की वजह से उर्मी का कान और हाथ थोड़ा जल गया है. लेकिन वो इस वक्त सुरक्षित है. हमारी रिपोर्टर गोपी मनियर ने उर्मी से खास बातचीत की. उर्मी इस पूरे हादसे से उबर नहीं पाई है.

surat-2_052519042607.jpgइस तस्वीर में केतन नाम का लड़का स्टूडेंट्स को बचाते दिख रहा है. उर्मी को भी केतन ने ही बचाया. फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट

वो बताती है, 'नीचे आग लगी थी, वहां से धूआं ऊपर आ रहा था. धूआं बढ़ गया, और फिर हमारे कोचिंग में भी आग लग गई. कुछ लोग खुद को बचाने के लिए कूद गए. कुछ जल गए.'

सूरत में इस वक्त हर कोई दमकल विभाग पर गुस्सा कर रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक फायर ब्रिगेड का कार्यालय तक्षशिला बिल्डिंग से महज 3 किलोमीटर दूर था, लेकिन उन्हें घटनास्थल पहुंचने में 45 मिनट लग गए.

फायर ब्रिगेड के बारे में जब उर्मी से सवाल किया गया, तब उन्होंने बताया, 'फायर ब्रिगेड वाले पहुंच तो गए थे, लेकिन उनके पास कुछ था ही नहीं कि हमें बचाया जा सके. कुछ कपड़ा, सीढ़ी कुछ भी नहीं था. उनके पास सीढ़ियां नहीं थीं. जो थीं वो केवल एक फ्लोर पर आकर खत्म हो जा रही थीं.'

उर्मी के पिता ने बताया, 'फायर ब्रिगेड आया था, लेकिन उनके पास कोई सुविधा नहीं थी. नेट नहीं थी, सीढ़ी नहीं थी, रस्सी नहीं थी. तो वो सब बच्चे जो अभी अस्पताल में हैं, या जिनकी मौत हो गई है, वो बच जाते अगर फायर ब्रिगेड के पास सुविधा होती.'

सूरत में इस वक्त मातम पसरा हुआ है. गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने 24 मई को ही बच्चों के पैरेंट्स से मुलाकात की. चार-चार लाख रुपए का मुआवजा देने का ऐलान किया. इसके अलावा घटना की जांच के आदेश भी दिए. क्योंकि आग से बचने का कोई इंतजाम कोचिंग क्लास में नहीं था. पुलिस ने अलोहा क्लासेज के संचालक भार्गव बुटानी को गिरफ्तार कर लिया है. यही टीन के शेड में कोचिंग क्लास चलाते थे.

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