सबको हंसाने वाली 'हंसा पारेख' पैदा हुईं तो मां दीना पाठक रोने लगी थीं

सुप्रिया पाठक ने पहली ही फिल्म के लिए जीता फिल्मफेयर

आपात प्रज्ञा आपात प्रज्ञा
जनवरी 07, 2019
सुप्रिया पाठक को 'राम लीला' के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार मिला है. फोटो क्रेडिट- यूट्यूब

'तेरी जगह कोई और होता तो गला काट देती.'

ये बोलते ही धनकोर बा सरोता चलाती हैं और अपनी बेटी की उंगली काट देती हैं. ये सीन है फिल्म 'राम लीला' का. जहां, लीला बनीं दीपिका पादुकोण की मां धनकोर बा (सुप्रिया पाठक) अपनी बेटी से दूसरी बिरादरी में शादी करने की वजह से नाराज़ होती है. वो एक एनआरआई से लीला की शादी कराना चाहती हैं. पर लीला पहले ही शादी कर चुकी है. वो अपनी मां के कहे अनुसार शादी नहीं करना चाहती. और जबरदस्ती शादी कराने पर अपना हाथ (जिसमें वो शादी की अंगूठी पहनी होती है, शादी उसने राम बने रणवीर सिंह से की है) दिखाते हुए कहती है-

'न ये अंगूठी उंगली से निकलेगी, न राजाड़ी दिल से.'

इस बात से बा बहुत नाराज़ होती हैं और लीला की उंगली ही काट देती हैं.

4-750x400_010719074452.jpgधनकोर बा अपनी ही बेटी की उंगली काटने में ज़रा नहीं हिचकिचातीं. फोटो क्रेडिट- यूट्यूब

'राम लीला' में इतनी गुस्सैल और सख्त किरदार निभाने वालीं सुप्रिया पाठक असल ज़िंदगी में बहुत सरल और प्यारे स्वभाव की हैं. वो अपने बच्चों से बहुत प्यार करती हैं. सुप्रिया तीन बच्चों की मां हैं. साल 1988 में 'मटरू की बिजली का मंडोला', 'फाइंडिंग फैनी' और 'मकबूल' जैसी फिल्मों में यादगार किरदार निभाने वाले पंकज कपूर से उन्होंने शादी की थी. पंकज पहले से ही शादीशुदा थे. उनकी पहली पत्नी नीलिमा अज़ीम और उन्हें एक बेटा (शाहिद कपूर) है. सुप्रिया भी 22 साल की उम्र में अपनी मां के दोस्त के बेटे से शादी कर चुकी थीं. वो शादी ज़्यादा दिन नहीं चली और एक साल के भीतर ही उनका तलाक हो गया. शादी के बाद सुप्रिया और पंकज कपूर सना और रूहान के माता-पिता बने. अलग-अलग इंटरव्यूज़ में सुप्रिया पाठक ने अपने मां होने के एहसास को इन शब्दों में बयां किया है-

'जब मैं पहली बार शाहिद से मिली थी तो वो 6 साल का था. वो मुझे आंटी बोलता है लेकिन हमारे बीच मां-बेटे का रिश्ता है. मां होना मेरे जीवन का सबसे अच्छा समय है. जब मेरी बेटी सना पैदा हुई इसके बाद ही मुझे असल मायने में समझ आया कि मां होना क्या होता है. उसके बाद मेरे और शाहिद के बीच का रिश्ता और मजबूत हुआ. मुझे एहसास हुआ कि ये रिश्ता कितना खूबसूरत है. पंकज की ही तरह शाहिद भी एक खूबसूरत इंसान है. मुझे लगता है कि मेरे पास तीन पंकज हैं, एक 60 साल का जो कि वो खुद हैं, दूसरा शाहिद के रूप में और तीसरे मेरे 20 साल के बेटे रूहान के रूप में.'

10shahid-parveen-negi04_750_010719074712.jpgसुप्रिया पाठक पति पंकज कपूर और बेटे शाहिद कपूर के साथ. फोटो क्रेडिट- इंडिया टुडे

सुप्रिया पाठक अपने मां होने को जीवन का सबसे अच्छा समय बताती हैं. वो कहती हैं कि मां होना उन्हें पूरा करता है. हालांकि, अपनी मां, दीना पाठक के साथ उनका रिश्ता इतना अच्छा नहीं रहा. टाइम्स ग्रुप को दिए एक इंटरव्यू में सुप्रिया कहती हैं-

'मेरे पैदा होने पर मेरी मां खुश नहीं थीं. वो रोने लगी थीं कि दूसरी लड़की आ गई. पर मेरे पिता ने उन्हें समझाया. मेरी मां को ज़रूर लोगों की चिंता रही होगी कि वो क्या कहेंगे.'

dps47mqvsaatwjx_010719075036.jpgसुप्रिया पाठक की मां दीना पाठक अपने ज़माने में मशहूर एक्ट्रेस रही हैं. फोटो क्रेडिट- ट्विटर

मां से न सही, सुप्रिया अपने पिता से बेहद जुड़ी हुई थीं. वो बताती हैं कि उनके पिता की मृत्यु ने उन्हें पूरी तरह बदल दिया था. वो भगवान के अस्तित्व पर सवाल करने लगी थीं. सुप्रिया जब 13 साल की थीं तो उन्होंने अपनी मां से पॉकेटमनी बढ़ाने को कहा. दीना पाठक ने इसके लिए मना कर दिया. तो सुप्रिया ने ट्यूशंस लेने शुरू किए. साथ ही वो कई और तरह से अपने लिए पॉकेट मनी कमाने का जुगाड़ करती रहीं. वो बताती हैं कि उनके घरवालों को लगता था कि वो कुछ नहीं कर पाएंगी.

3_750_010719075134.jpgफिल्म 'वेक अप सिड' में सुप्रिया सिड बने रणबीर कपूर की मां बनी हैं. फोटो क्रेडिट- यूट्यूब

सुप्रिया के पहले नाटक की डायरेक्टर उनकी मां ही थीं. सुप्रिया की मां को बहुत लोगों ने सुझाव दिए कि ये नाटक सुप्रिया की बड़ी बहन रत्ना को करना चाहिए. लेकिन रत्ना पाठक उस वक्त एनएसडी में पढ़ाई कर रही थीं. नाटक भक्ति पर आधारित था तो उनकी मां ने उन्हें ये नाटक करने को कहा. पिता की मृत्यु के बाद सुप्रिया भगवान और भक्ति में विश्वास खोने लगी थीं इसलिए दीना पाठक उनके साथ ये नाटक करना चाहती थीं. ये नाटक 'मैना गुर्जरी' था. इसके बाद उन्होंने 'बीवियों का मदरसा' नाम का नाटक किया. नाटक पृथ्वी थिएटर में हुआ था. नाटक में शशि कपूर की पूर्व पत्नी जैनिफर ने उन्हें देखा और कलयुग फिल्म करने के लिए कहा.

dwilq80uuaah2oc_750_010719075433.jpgसुप्रिया कई खूबसूरत फिल्मों और सीरियलों का हिस्सा रही हैं. फोटो क्रेडिट- ट्विटर

'कलयुग' फिल्म के निर्देशक श्याम बेनेगल सुप्रिया के साथ वो फिल्म नहीं करना चाहते थे क्योंकि वो मोटी हुआ करती थीं. लेकिन शशि कपूर उन्हें फिल्म में चाहते थे. तो सुप्रिया ने फिल्म की और अपनी पहली ही फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का पुरस्कार मिला. इसके बाद उनका जीवन काफी बदल गया. फिल्मों के साथ उन्होंने टीवी के लिए कई नाटकों में काम किया. 'खिचड़ी' सीरियल में निभाए उनके किरदार 'हंसा पारेख' ने हम सबको बहुत हंसाया. और इस किरदार के लिए उन्हें बहुत प्यार भी मिला. 2002 में शुरू हुआ ये नाटक इतना पसंद किया गया कि 2010 में इस पर फिल्म भी बनी. साथ ही इस सीरियल का सीक्वेल भी बना.

11_010719082234.jpgफिल्म खिचड़ी में सुप्रिया पाठक. फोटो क्रेडिट- यूट्यूब

सुप्रिया ने शादी के बाद फिल्मों से दूरी बना ली थी. जिन्हें लगता है कि औरतें शादी के बाद कुछ नहीं कर सकतीं. उनका करियर वहीं खत्म हो जाता है. ऐसे लोगों को सुप्रिया बिना बोले ही बहुत तगड़ा जवाब देती हैं. आज ये बात आम है लेकिन पहले अक्सर ऐसा होता था कि शादी के बाद एक्ट्रेसेज़ को काम नहीं मिलता था. सुप्रिया ने शादी के काफी साल बाद फिल्मों और सीरियलों में काम किया. उनके काम को बहुत सराहा भी गया.

सुप्रिया पंकज कपूर से शादी करने को सबसे बढ़िया फैसला बताती हैं. उनका मानना है कि पंकज बहुत अच्छे इंसान हैं. सुप्रिया कहती हैं कि पंकज ने ही उन्हें अपने आप से मिलवाया है. उनसे मिलने के बाद वो एक इंसान के रूप में और अच्छी हुई हैं. उनका आत्मविश्वास भी बड़ा और वो ज़िंदगी को ज़्यादा सकारात्मक नज़रिए से देखने लगीं. पंकज और वो एक फिल्म के सेट पर मिले थे. फिल्म तो रिलीज़ नहीं हुई लेकिन दोनों की कहानी चल पड़ी. सुप्रिया बताती हैं कि वो दोनों इस बात पर बहुत हंसते हैं कि फिल्म उन्हें मिलाने के लिए ही शुरू हुई थी.

09mausam8_750_010719075606.jpgसुप्रिया और उनका परिवार. फोटो क्रेडिट- इंडिया टुडे

फिल्म 'मटरू की बिजली का मंडोला' के लिए सुप्रिया और पंकज दोनों ही फिल्मफेयर अवॉर्ड्स के लिए नॉमिनेट हुए लेकिन पुरस्कार सुप्रिया को ही मिला. सुप्रिया बताती हैं कि पंकज इस बात से बेहद खुश हुए थे. पर उन्हें लगता रहा कि पंकज को पुरस्कार मिलना चाहिए था. सुप्रिया पाठक को फिल्म 'कलयुग (1980)', 'बाज़ार (1982)' और 'गोलियों की रासलीला- राम लीला (2013)' के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुके हैं.

सुप्रिया पाठक के जन्मदिन पर उन्हें सम्मानित करने के लिए 'Shemaroo' प्रोडक्शंस ने उनकी पुरानी फिल्म का वीडियो शेयर किया. 

 

लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे      

Copyright © 2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today. India Today Group