औरत अपना बच्चा गिराना चाहे तो क्या कानून को उसे रोकने का हक़ होना चाहिए?

तीन महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में अबॉर्शन कानून के खिलाफ याचिका दायर की है.

उमा मिश्रा उमा मिश्रा
जुलाई 16, 2019
सांकेतिक तस्वीर.

कोई भी महिला अबॉर्शन तब करवाती है, जब वो बच्चे के लिए तैयार न हो. पर कई बार रेप की घटनाओं में पीड़ित के प्रेगनेंट होने पर भी अबॉर्शन करवाया जाता है. कुछ लोग तो लिंग परीक्षण के बाद भी महिलाओं का जबरन अबॉर्शन करवा देते हैं.

खैर. देश का अबॉर्शन कानून क्या है, इसके बारे में हम आगे बताएंगे. पहले ये जान लीजिए कि हम इसकी बात क्यों कर रहे हैं-

दरअसल, अबॉर्शन कानून के खिलाफ तीन महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका के मुताबिक, प्रेग्नेंसी में महिलाओं की मर्जी सबसे जरूरी होनी चाहिए. इसलिए प्रेगनेंट होने के साथ-साथ अबॉर्शन का फैसला भी उनका खुद का ही होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए हामी भर दी है.

तीन महिलाओं की दायर याचिका के मुताबिक, अबॉर्शन सिर्फ महिला की जान बचाने के लिए या रेप से हुई प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट करने के लिए नहीं हो सकता है. इस मुद्दे पर महिलाओं की राय अगल होती है और अहम होती है. कोई महिला अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को जन्म देना चाहती है या नहीं, ये उसका फैसला होना चाहिए. किसी सरकारी तंत्र का नहीं.

baby_071619053718.jpeg

भारत में प्रेग्नेंसी के शुरुआती 20 हफ़्तों तक अबॉर्शन यानी गर्भपात वैध है. 1971 में बना MTP एक्ट यानी Medical Termination of Pregnancy Act कुछ नियमों के तहत प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करने यानी खत्म करने की इजाज़त देता है. लेकिन इसमें ये महत्वपूर्ण है कि अबॉर्शन किसी रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर के द्वारा ही किया जाए. इस एक्ट के तहत गर्भपात तब करवाया जा सकता है जब:

-प्रेग्नेंसी जारी रखने पर मां को शारीरिक या मानसिक क्षति होने के चांसेज हों.

-अगर बच्चे के पैदा होने पर गंभीर शारीरिक या मानसिक कमी, विकलांगता या गड़बड़ी का शिकार होने की आशंका हो.

-अगर प्रेग्नेंसी रेप की वजह से हुई हो.

-12 हफ़्तों तक एक प्रैक्टिशनर की सलाह पर अबॉर्शन हो सकता है. 12 से 20 हफ़्तों के बीच अबॉर्शन के लिए कम से कम दो प्रैक्टिशनरों का समर्थन चाहिए होता है. 

-अगर किसी शादी-शुदा महिला के केस में निरोध फेल हो जाता है, या गर्भ रोकने के लिए किया गया उपाय काम नहीं आता और वो प्रेगनेंट हो जाती है, तो इस आधार पर भी वो अबॉर्शन करवा सकती है. हालांकि, एक्ट में गैर शादी-शुदा महिलाओं के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.

baba_071619053734.jpeg

अबॉर्शन दो तरीके का होता है. मेडिकल और सर्जिकल. मेडिकल अबोर्शन प्रेग्नेंसी के शुरुआती छह हफ़्तों तक किया जाता है इसमें आपकी डॉक्टर आपको दवा प्रिस्क्राइब करती हैं. उनसे अबॉर्शन हो जाता है. छह हफ़्तों के बाद सर्जिकल अबॉर्शन होता है. ट्रेंड डॉक्टर और प्रैक्टिशनर की देख-रेख में होने वाले एबॉर्शन पूरी तरह सेफ होते हैं.

हालांकि एक तरह से भारत में अबॉर्शन कानूनी रूप से मान्य हैं कुछ नियमों के तहत, और दूसरे कई देशों से ज्यादा लिबरल हैं, लेकिन फिर भी भारत में लाखों की संख्या में अवैध जगहों से गर्भपात करवाए जाते हैं. 2007 में किये गए एक सर्वे के मुताबिक़, सिर्फ 23 फीसद पुरुषों और 28 फीसद महिलाओं को मालूम था कि अबॉर्शन को कानूनी मान्यता मिली हुई है. कानूनी मान्यता का मतलब इसे अपराध नहीं माना जाएगा.

इसे भी पढ़ें : वर्जिनिटी टेस्ट के ख़िलाफ़ समाज से लड़ने वाले लड़के ने जो कहा वो करके दिखाया

वीडियो भी देखें : 

 

लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे      

Copyright © 2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today. India Today Group