कॉलेज के फंक्शन में प्रोफेसर ने लड़कियों को भी बुलाया था, इसलिए उसे मार दिया गया

प्रोफेसर को मारने वाले लड़के को लगता है कि उसने अपनी संस्कृति की रक्षा की है.

नेहा कश्यप नेहा कश्यप
मार्च 23, 2019
खालिद हमीद. (फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर)

महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित पांच देशों में चौथे नंबर पर पाकिस्तान है. एक बार फिर औरतों के खिलाफ अपनी कट्टरपंथी सोच की वजह से वो खबरों में है. यहां के पंजाब प्रांत के बहावलपुर जिले में कॉलेज के एक स्टूडेंट ने 20 मार्च को अपने प्रोफेसर की हत्या केवल इसलिए कर दी, क्योंकि प्रोफेसर ने कॉलेज के एनुअल फंक्शन में लड़कों के साथ-साथ लड़कियों को भी बुलाया था. आरोपी स्टूडेंट के मुताबिक ऐसा करने वाला उसका प्रोफेसर गैर इस्लामी था.

बहावलपुर के एगर्टन कॉलेज में 21 मार्च को होने वाले एनुअल फंक्शन में सभी स्टूडेंट्स को बुलाया गया था, जिसमें लड़कियां भी शामिल थीं. पार्टी के विरोध में लड़कों और प्रोफेसर के बीच बहस हुई थी. और कुछ समय पहले लड़कों ने स्थानीय प्रशासन में शिकायत की थी, जिसमें लिखा गया था कि पार्टी में लड़कियों के डांस से अश्लील संस्कृति को बढ़ावा मिलता है.

पार्टी से एक दिन पहले बुधवार को उसी कॉलेज में पढ़ने वाले लड़के अतीख हुसैन ने प्रोफेसर खालिद हमीद की चाकू मारकर हत्या कर दी. अस्पताल में प्रोफेसर की मौत हो गई. छात्र ने पुलिस को बताया कि उसके मुताबिक लड़के लड़कियों का एक साथ पार्टी करना इस्लाम संस्कृति के खिलाफ है और मृतक प्रोफेसर गैर इस्लामी बातें करता था. पुलिस ने अतीख को गिरफ्तार कर लिया और मामले की जांच कर रही है.

बता दें कि पाकिस्तान की कई यूनिवर्सिटी में छात्राओं के लिए कई कट्टर नियम हैं, जिनमें जींस न पहनना, मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करना और बुर्का पहनना अनिवार्य है. अब बात करते हैं यहां महिलाओं की स्थिति से जुड़े कुछ फैक्ट्स पर.

college-students_032319112527.jpg

पाकिस्तान की कई यूनिवर्सिटी में छात्राओं के लिए कई कट्टर नियम हैं. (फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर)

-यहां स्कूली शिक्षा को बीच में छोड़ने वाले कुल बच्चों में दो तिहाई लड़कियां होती हैं.

-प्रत्येक दस में से महज आठ लड़कियां प्राथमिक शिक्षा तक पहुंच पाती हैं.

-महिलाओं की स्कूलिंग का औसत महज 5 साल है.

-कुल आबादी की सिर्फ 30 फीसदी महिलाएं मोबाइल फोन का इस्तेमाल करती हैं.

-महज 24 फीसदी महिलाएं वर्किंग हैं.

-पार्लियामेंट में 20 फीसदी महिला सीटें हैं.

-51 फीसदी महिलाएं अपने शहर में नाइट शिफ्ट में काम करने सुरक्षित महसूस करती हैं.

-73 फीसदी पुरुष घर की महिलाओं का घर से बाहर काम करना पूरी तरह से स्वीकार नहीं कर पाते हैं.

पढ़िए: क्या होता है जब एक औरत आधी रात को सुनसान सड़क पर अकेले निकलती है?

 

लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे      

Copyright © 2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today. India Today Group