सोनिया-मायावती की ये घटिया तस्वीर पुरुषवाद की हद है
इन शब्दों के अर्थ तो पता होंगे, न?
हमें औरतों की इज्जत करनी नहीं आती. तबतक, जबतक वो औरत किसी पुरुष की गुलामी को माथे पर ओढ़कर न चल रही हो. खुले सर वाली औरतें, जो बिंदी न लगाती हों, बड़ी डरावनी होती हैं. इसलिए उनपर मीम बनने चाहिए. उन्हें वेश्या पुकारा जाना चाहिए. उनकी सेक्स लाइफ पर बात होनी चाहिए.
बीते दिन सोनिया गांधी और मायावती की तस्वीर को किस तरह फोटोशॉप कर फैलाया गया, अगर आपने न देखा हो तो देख लें.
तस्वीर
एक्सवीडियोज एक पॉर्न साइट है. लेस्बियन वे औरतें होती हैं जिन्हें औरतों से यौन संबंध बनाने में रूचि होती है. ऊपर लिखे वीडियो टाइटल का अर्थ है 'दो भारतीय औरतें यौन संबंध बनाते हुए.' फिंगरिंग का अर्थ है एक दूसरे के प्राइवेट पार्ट में उंगली डालकर यौन संबंध बनाना.
जाहिर सी बात है, ये एक्सवीडियोज की असल साइट की तस्वीर नहीं है. एक्सवीडियोज से किसी और वीडियो को लेकर, उसका स्क्रीनशॉट लिया गया. फिर उसके ऊपर ये तस्वीर लगा दी गई. जाहिर सी बात ये भी है कि देश में बेरोजगारी ज्यादा है.
MILF का अर्थ होता है एक ऐसी महिला जो उम्र में बड़ी, या यूं कहें कि मां की उम्र की हो. उसकी कामुकता इस बात से तय होती है कि वो 'एक्सपीरियंस' वाली औरत होती है. और यौन संबंध बनाने में हिचकेगी नहीं. इसका फुल फॉर्म होता है 'मॉम आई वुड लाइक टू फ़*'. शायद आप में से कई लोगों को इन शब्दों के अर्थ पता हों. मगर यहां मैंने इन्हें फिर से बता दिया है ताकि इस तस्वीर के जरिये जो कहने की कोशिश की जा रही है, वो कहीं आपसे मिस न हो जाए.
तस्वीर पर लोगों ने ये भी लिखा है कि ये पॉर्न इंटर-रेशियल या दो अलग नस्लों की महिलाओं के बीच है. कुछ ने ये भी कहा है कि पॉर्न वीडियो के टाइटल में इंडियन क्यों लिखा है, जब इनमें से केवल एक ही महिला इंडियन है.
ये पहली बार नहीं है जब सोनिया गांधी या मायावती को लेकर नीच बातें कही गई या नीच तस्वीरें बनाई गई हों.
मायावती
बीते साल उस वक़्त बीजेपी उत्तर प्रदेश के वाईस प्रेसिडेंट दयाशंकर सिंह ने मायावती को वेश्या कहा था. उन्होंने ऐसा चुनावों के संदर्भ में कहा था. कि मायावती कैंडिडेट्स को पैसे लेकर पार्टी टिकट बेचती हैं. कई पुरुष नेताओं पर भी इस तरह के आरोप लग चुके हैं मगर उन्हें आजतक किसी ने वेश्या नहीं कहा. क्योंकि वो औरतें नहीं हैं. किसी पुरुष को बेइज्जत करने के लिए उसकी सेक्स लाइफ को बीच में लाने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि वो तो औरत ही होती है जिसकी इज्जत उसकी योनी और छाती में बसती है.
मायावती अपने नाम के साथ कोई उपनाम नहीं लगातीं. उनका नाम 'सुश्री मायावती' लिखा जाता है. जिसे बिगाड़ कर 'ससुरी मायावती' कर देना उत्तर प्रदेश में एक पुराना चुटकुला रहा है. तब से, जब लोगों के पास सोशल मीडिया नहीं था. वजह,
1. वो सवर्ण नहीं हैं 2. वो शादीशुदा नहीं हैं 3. वो समाज के बनाए हुए सुंदरता के मानकों पर खरी नहीं उतरतीं 4. तमाम पुरुष नेताओं के बीच उत्तर प्रदेश की पॉलिटिक्स में घुसकर उन्हें एक वक़्त पुरुषों को मात देते देखा गया है.
एक दलित औरत, जो जब स्टेज पर नोटों की माला पहनकर खड़ी होती है, पुरुष उसके पांव छूते देखे जाते हैं. अखरता है न?
अगर आप कहें कि अखरने की वजह महज ये है कि वो करप्शन और टिकट बेचकर पैसे कमाती हैं, तो इसपर भरोसा करना मुश्किल है.
सोनिया गांधी
सोनिया पर कितने तरीकों से चुटकुले बन सकते हैं, इसके लिए महज 4 साल पीछे जाना होगा. सोनिया पर चुटकुले बनने की वजह सिर्फ ये नहीं कि वो 2013 में चली 'मोदी लहर' की एक कमज़ोर प्रतिद्वंदी थीं. सोनिया को सिस्टेमेटिक तरीके से नीचे लाया गया और इसमें अफवाहों का भरपूर सहारा लिया गया. सोनिया के खिलाफ भारतीय न होने का नरेटिव तैयार किया गया. सोनिया को पल्लू सर पर धरे नहीं देखा जाता. वो हिंदी टूटी-फूटी बोलती हैं. वो राजीव गांधी की लव मैरिज का नतीजा हैं. सोनिया वो कुछ भी नहीं हैं जो इस देश के हिंदू, सवर्ण संस्कारों को रिप्रेजेंट करें.
विदेशी एक्ट्रेस रीस विदरस्पून की एक बिकिनी में तस्वीर को सोनिया की शादी के पहली की तस्वीर की तरह बहुत बार प्रस्तुत किया गया. वो फोटो तो नकली थीं ही. साथ ही ये भी देखने वाली बात थी कि हम बिकिनी पहनी हुई किसी महिला नेता को स्वीकार नहीं कर सकते. और असल में महज उनके कपड़ों की वजह से देश को उनके खिलाफ खड़ा किया जा सकता है. मगर ऐसा पुरुष नेताओं के साथ नहीं किया जाता.
मैंने कभी नहीं देखा कि कोई सुषमा स्वराज, उमा भारती या स्मृति ईरानी को कोई वेश्या बुलाता हो. दलील ये नहीं है कि उन्हें ऐसा पुकारा जाना चाहिए. दलील सिर्फ ये है कि हमें महिला नेता सिर्फ तबतक अच्छी लगती हैं जबतक वो खुद को एक परंपरागत हिंदू सवर्ण महिला की तरह प्रस्तुत करती है. वरना हम उसकी पहचान एक औरत के तौर पर करना छोड़ देते हैं.
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