स्मृति ईरानी ने गांधी परिवार के गढ़ अमेठी में सेंध नहीं लगाई बल्कि दीवार ढहा दी है

राहुल गांधी ने कहा- अब स्मृति करें अमेठी की देखभाल.

पूर्वी उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट. हाई प्रोफाइल सीट है. मुकाबला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के बीच रहा. पिछली बार भी इन्हीं दोनों के बीच मुकाबला था लेकिन ईरानी हार गई थीं. इस बार ईरानी ने बाजी पलट दी और वह चुनाव जीत गई हैं.

इस सीट पर राहुल गांधी ने अपनी हार स्वीकार कर ली है. कांग्रेस अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव में जीत पर बीजेपी और पीएम मोदी को बधाई दी. अमेठी में हार पर राहुल ने कहा, 'अब अमेठी की देखभाल स्‍मृति ईरानी करें. मैं अमेठी की जनता का सम्‍मान करता हूं.' 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने स्मृति ईरानी को करीब 1 लाख 79 हजार वोटों से हराया था.

अपनी जीत की खुशी जाहिर करते हुए स्मृति ईरानी ने ट्वीट किया है, 'कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता.'

अमेठी को कांग्रेस, खासकर गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है. 1967 से लेकर अब तक इस सीट पर केवल दो ही बार कांग्रेस की हार हुई है. संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और अब राहुल गांधी इस सीट से सांसद रह चुके हैं. राजीव गांधी चार बार इस सीट से सांसद रहे, संजय गांधी और सोनिया गांधी एक बार और राहुल गांधी तीन बार सांसद रह चुके हैं. उन्होंने इस सीट पर चौथी बार सांसदी का चुनाव लड़ा.

स्मृति ईरानी की फाइल फोटोस्मृति ईरानी की फाइल फोटो

इस सीट पर जीत के लिए स्मृति ईरानी ने कड़ी मेहनत की. 2014 के चुनाव में हार के बाद भी स्मृति ईरानी लगातार अमेठी क्षेत्र का दौरा करती रहीं. कई मौकों पर स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि वह अमेठी में काम नहीं करते और यहां के लोगों को वोट बैंक से अधिक नहीं समझते. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्मृति ईरानी ने 5 साल में अमेठी के 38 दौरे किए. यहां की जनता में अपने लिए जगह बनाई.

चुनाव प्रचार के दौरान भी हमने देखा कि स्मृति ईरानी ने अमेठी में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. उन्होंने अलग-अलग इलाकों में कई रैलियां की. वहीं, वोटिंग के दिन भी वह अमेठी में ही मौजूद रहीं.

इस सीट पर बीजेपी की पकड़ मजबूत होने का पहला संकेत 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में मिला. इस चुनाव में अमेठी लोकसभा के अंतर्गत आने वाली पांच में से चार सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. वहीं एक सीट सपा के खाते में गई थी. माना जा रहा है कि इसी वजह से सुरक्षित ऑप्शन देखते हुए कांग्रेस ने राहुल गांधी को केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ाने का फैसला किया था.

 

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