स्मृति जी, whatsapp से बाहर आइए, सबरीमाला में कोई लड़की खून से सने पैड लेकर नहीं घुसी थी
प्रोपेगैंडा के तहत फैलाई गई झूठी ख़बरों को सच्चा न बनाइए.
23 अक्तूबर को मुंबई में ब्रिटिश हाई कमिशन ने ‘यंग थिंकर्ज़ कॉन्फ़्रेरेंस’ का आयोजन किया था. कॉन्फ्रेरेंस के पैनल डिस्कशन में प्रवक्ताओं में से कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी भी थीं. कई सामाजिक मुद्दों पर चर्चा हो रही थी. जिनमें से एक था सबरीमाला विवाद. इस पर अपनी राय देते हुए स्मृति जी ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का विरोध करनेवाली मैं कोई नहीं होती. मैं इतना ही कहूंगी कि मुझे सिर्फ़ प्रार्थना करने का अधिकार है. प्रदूषण फैलाने का नहीं.’ उन्होंने आगे भी कहा, ‘जब आप अपने दोस्त के घर जाते हैं, आप खून से सना सैनिटरी पैड तो नहीं लेकर जाते, न? फिर भगवान के घर में यह चीज़ लेकर जाना क्यों सही है?’
I have right to pray,but not right to desecrate.I am nobody to speak on SC verdict as I'm a serving cabinet minster. Would you take sanitary napkins soaked in menstrual blood into a friend's home? So why would you take them into the house of God: Smriti Irani on #SabarimalaTemple pic.twitter.com/lueaHNCITF
— ANI (@ANI) October 23, 2018
ऑडनारी को दो बातें कहनी हैं इस पर.
पहली बात, पीरियड्ज़, पैड्ज़ और प्रदूषण का आपस में कोई कनेक्शन नहीं है. मेंस्ट्रुएशन एक ज़रूरी प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसके होने से कोई औरत ‘प्रदूषित’ नहीं हो जाती.
दूसरी बात, ख़ून से लथपथ पैड लिए मंदिर जाने की बात किसी ने की भी नहीं. यह महज़ धार्मिक कट्टरपंथियों का बनाया हुअ प्रोपेगैंडा है. जिससे वह सबरीमाला जानेवाली महिलाओं पर कीचड़ उछाल सकें.
प्रदर्शनकारी औरतें खून से सने पैड्स लेकर मंदिर जा रही हैं, ये सच नहीं प्रोपेगैंडा है.
सबरीमाला जानेवाले श्रद्धालू अपने साथ एक गठरी लेकर चलते हैं जिसे मलयालम में ‘इरुमुडी केट्ट’ कहते हैं. यह गठरी दो हिस्सों में बंटी होती है. आगेवाला हिस्सा (मुनमुडी) जिसमें पूजा सामग्री रखी जाती है और पीछेवाला हिस्सा (पिनमुडी) जिसमें भक्त अपना निजी सामान रखते हैं.
इरुमुडी केट्ट
अब फेमिनिस्ट ऐक्टिविस्ट रेहाना फ़ातिमा जिस समय मंदिर जा रही थीं, उस समय उनके पीरियड्ज़ चल रहे थे. जिसकी वजह से उन्होंने अपनी पिनमुडी में सैनिटरी पैड्ज़ का एक पैकेट रखा था. बाकायदा सिक्योरिटी चेक भी करवाई. यह पैड्ज़ उनकी निजी ज़रूरत के लिए थे. मगर अजेंडाबाज़ों ने यह ढिंढोरा पीट दिया कि वह धार्मिक भावनाएं आहत करने के लिए यह पैड्ज़ देवता को चढा रही थीं. फिर यह झूठ भी फैलाया गया कि पैड्ज़ खून से सने थे.
पीरियड्ज़ एक बहुत नॉर्मल सी चीज़ हैं. इनके रहते महिलाएं स्कूल जाती हैं, ऑफ़िस जाती हैं, घर के दस काम करती हैं. फिर मंदिर क्यों न जाएं? और जाएं तो अपने हेल्थ के लिए ज़रूरी सामान क्यों न लेकर जाएं? अपने बैग में अपनी ज़रूरत के लिए सैनिटरी पैड रखना हर औरत का हक़ है. वह चाहे मंदिर में हो या नाइट्क्लब में. फिर इसमें इतना छी-छी करने का क्या है?
इन घटिया लोगों से इतना कहना है कि पीरियड्ज़ से, औरतों के शरीर की ज़रूरतों से अगर आपका धर्म भ्रष्ट होता है, तो धर्म बदल लीजिए. और स्मृति जी, आप निश्चिंत रहें. सबरीमाला के पवित्र स्थल को कोई प्रदूषित नहीं कर रहा. अगर प्रदूषण से आपका मतलब मेंस्ट्रुएट करती औरतें न हों तो. और हां, ज़रा 'whatsapp दैनिक' पर ख़बरें पढ़ना बंद कर दीजिए.
यह स्टोरी ईशा ने लिखी है
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