तमाम भद्दे कमेंट्स और झूठे आरोपों से लड़कर पहचान बनाने वालीं स्मृति ईरानी की कहानी

पुरुष नेताओं ने क्या-क्या कहा, पर लडती रहीं.

लालिमा लालिमा
मार्च 22, 2019
स्मृति ईरानी ने साल 2003 में बीजेपी जॉइन की थी. फोटो- फेसबुक/वीडियो स्क्रीनशॉट

टीवी चैनल स्टार प्लस में साल 2000 के जुलाई महीने में, एक सीरियल ऑन एयर हुआ. उस सीरियल के जरिए एक 'बहू' ने देश के सभी घरों में एंट्री मारी, और जगह बना ली. कुछ ही दिनों में उस 'बहू' ने लोगों के दिलों में भी घर बना लिया. और फिर लोग उस सीरियल को उस 'बहू' के नाम से ही जानने लगे. सीरियल काफी पॉपुलर हुआ. पूरे आठ साल चला. 1,833 एपिसोड्स आए. सीरियल था, 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी'. और वो 'बहू' थी स्मृति ईरानी. जिसने इस सीरियल में तुलसी विरानी का रोल किया था. वही स्मृति आज बीजेपी की एक बड़ी नेता हैं. और केंद्रीय मंत्री हैं. कपड़ा मंत्रालय संभाल रही हैं.

smriti-1_750_032219084723.jpgस्मृति को जब-तब औरत होने की वजह से सेक्सिज्म का सामना करना पड़ा. फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट

स्मृति अक्सर ही खबरों में रहती हैं. कभी उनके बयानों की वजह से, कभी किसी फैसले की वजह से, तो कभी मंत्रालय बदले जाने की वजह से, कभी उनके ऊपर हुए कमेंट्स की वजह से. स्मृति जबसे एक्टिव पॉलिटिक्स में आईं, उनके साथ भी वही हुआ, जो हमारे देश की कई महिला राजनेताओं के साथ होता है. माने उन्हें लेकर भी सेक्सिस्ट कमेंट्स हुए. क्या होता है न, कि जब किसी पुरुष नेता को, किसी महिला नेता पर हमला करना होता है, तो सबसे आसान हथियार उन्हें सेक्सिज्म ही लगता है. उस नेता का औरत होना ही, सामने वाले का हथियार बन जाता है. स्मृति भी जब-तब इसी का शिकार हुईं. उनके ऊपर हुए कुछ सेक्सिस्ट कमेंट्स के नमूने हम आपको बताने जा रहे हैं-

- 2014 में जब बीजेपी की सरकार बनी थी, तब स्मृति को मानव संसाधन विकास मंत्री बनाया गया था. लेकिन जुलाई 2016 में उनसे ये विभाग छीन लिया गया, और कपड़ा मंत्रालय दे दिया गया. तब जेडीयू नेता अली अनवर ने कहा था, 'स्मृति को भी कोई खराब विभाग थोड़े मिला है. तन ढंकने वाला विभाग मिला है. कपड़ा मंत्रालय तो अपना है.'

बयान पर जोरदार बवाल कटा. तब अनवर ने सफाई दी. कहा, 'हमने स्मृति ईरानी जी को नहीं, विभाग को कहा है कि ये तन ढंकने वाला है. हमारा स्वभाव ऐसा नहीं है. हमारे मन में महिलाओं के लिए बहुत सम्मान है.'

smriti-irani-pti_647_030716014031_750_032219084810.jpgस्मृति को जुलाई 2016 में कपड़ा मंत्री बनाया गया. फोटो- इंडिया टुडे

- साल था 2014. उस समय एचआरडी मिनिस्ट्री स्मृति के पास थी. संसद का सत्र चल रहा था. लोकसभा में TMC सांसद सुल्तान अहमद ने मिड डे मिल स्कीम पर सवाल उठाया. कहा कि पूर्व टीवी एक्ट्रेस, जो पूरे देश में आदर्श बहू के रोल के लिए पॉपुलर थीं, उनसे उम्मीद थी कि वो मंत्री के तौर पर अच्छा प्रदर्शन करेंगी.

खैर, इस कमेंट पर तो कांग्रेसी सांसदों ने ही विरोध जता दिया था. सांसद रंजीत रंजन और सुष्मिता देव ने उसी वक्त स्मृति का समर्थन किया था. कहा था कि स्मृति के एक्टिंग करियर का इन सबसे कोई लेना-देना ही नहीं है. उसे बीच में नहीं लाना चाहिए.

- संजय निरुपम. कांग्रेस के नेता हैं. साल 2012 में एक टीवी डिबेट में निरुपम ने बहुत ही बेहूदा बात कही थी, स्मृति के लिए. कहा था, 'आप तो टीवी पर ठुमके लगाती थीं. आज चुनाव विश्लेषक बन गईं.'

smriti_750_032219084849.jpgबढ़ते वज़न की वजह से उन्हें 'हट्टी-कट्टी गाय' भी कहा गया. फोटो- फेसबुक

- कुछ दिनों पहले एक वीडियो वायरल हुई थी. राष्ट्रीय लोक दल के नेता अजीत सिंह का. बहुत ही बेहूदा बयान दिया था. उत्तर प्रदेश के अमरोहा में एक जनसभा हुई थी, वहां अजीत सिंह पहुंचे थे. बीजेपी के नेताओं पर हमला बोल रहे थे. स्मृति ईरानी को भी बीच में ले आए. कहा, 'खेतों में घुस आने वाले छुट्टे बछड़े और बैल उनके यहां योगी और मोदी कहे जाते हैं. हट्टी कट्टी गाय को देखकर स्मृति ईरानी भी कह देते हैं.'

मतलब, अगर किसी औरत का विरोध करना है, तो कुछ मत करो, सीधा स्त्री विरोधी बातें कह दो. उसके औरत होने का ही मज़ाक बना दो. आपका मकसद पूरा हो जाएगा. किसी की बात का समर्थन नहीं करते, तो तार्किक अंदाज में विरोध करो. हम यहां इस पर बात नहीं कर रहे, कि स्मृति ने क्या किया, क्या सही किया, या क्या गलत किया. लेकिन मुद्दा ये है कि जब-तब उनके महिला होने पर उन्हें क्यों कमेंट किया जाता है?

इसे भी पढ़ें- कुमार विश्वास पढ़े-लिखे हैं, कवि हैं, पर क्या फायदा जब बात घटिया ही कर रहे हों

 

लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे      

Copyright © 2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today. India Today Group