क्या औरतों को ब्लड डोनेट नहीं करना चाहिए?
डॉक्टर्स ने बताया कि क्या कहता है साइंस.
25 साल की रश्मि (बदला हुआ नाम) ब्लड खून डोनेट करने के लिए अस्पताल पहुंची. उसके एक दोस्त को खून की ज़रूरत थी. अब अगर आपने कभी ब्लड डोनेट किया है तो आपको कुछ बातें पता होंगी. जैसे खून निकालने से पहले कुछ टेस्ट किए जाते हैं. ये देखने के लिए कि खून देने वाला इंसान हेल्दी है भी या नहीं. एक फॉर्म भी भरवाया जाता है. अब सुनिए रश्मि के साथ क्या हुआ-
फॉर्म भरते समय कुछ सवालों के जवाब देने होते हैं. जिसमें एक होता है कि कहीं आपको सेक्स से होने वाली बीमारी तो नहीं? ये जानना ज़रूरी भी है. क्योंकि अगर आपका खून किसी को चढ़ाया जा रहा है तो ये जरूरी है कि उसमें कोई इंफेक्शन न हो. खैर. फॉर्म भरने वाले आदमी ने रश्मि से पूछा कि क्या उसकी शादी हो चुकी है. रश्मि ने कहा नहीं. उस आदमी ने फॉर्म में सभी बीमारियों के आगे खुद ही क्रॉस कर दिया. कोई टेस्ट नहीं किया. अपने आप मान लिया कि रश्मि को सेक्स से होने वाली बीमारी नहीं है. अब सोचिए रश्मि को वाकई ऐसी बीमारी हो. और उसका खून निकालकर आपको चढ़ा दिया जाए? तो?
कहने का मतलब है कि फॉर्म भरने वाले आदमी ने ये नहीं पूछा कि क्या उसको कोई सेक्स से होने वाली बीमारी है. ये पूछा कि क्या आपकी शादी हुई है. ये अपने आप में ही बेहद खतरनाक है. क्योंकि कई लड़के-लड़कियां शादी से पहले ही सेक्सुअली एक्टिव होते हैं. ऐसे में उन्हें भी इस तरह की बीमारियां हो सकती हैं.
दूसरी बात ये कि फॉर्म भरवाने वाला आदमी सीधे तौर पर ये नहीं पूछ पाया कि रश्मि ने सेक्स किया है या नहीं. एक तो सेक्स एक टैबू है. दूसरा रश्मि ठहरी लड़की. लेकिन ब्लड डोनेशन के वक्त ये बेहद जरूरी है कि तफ्सील से सारी चीजें पूछी जाएं. क्योंकि इससे किसी और की जिंदगी भी खतरे में पड़ सकती है.
खैर, ये तो हुई टैबू की बात. लेकिन ब्लड डोनेशन को लेकर कई मिथक हैं जो लड़कियों से जुड़े हैं. इन्हें समझने के लिए हमने एक्सपर्ट्स से बात की.
कौन है ये एक्सपर्ट्स
-डॉक्टर अनुराधा कपूर, स्त्रीरोग विशेषज्ञ, मैक्स हॉस्पिटल दिल्ली
-डॉक्टर लवलीना नादिर, स्त्रीरोग विशेषज्ञ, फ़ोर्टिस, दिल्ली
-डॉक्टर निवेदिता ढींगरा, कंसल्टेंट, हेमेटोलॉजी (यानी खून की बीमारियों के डॉक्टर) जेपी हॉस्पिटल, दिल्ली
-डॉक्टर युद्धवीर सिंह, प्रेसीडेंट, इंडियन सोसाइटी ऑफ़ ब्लड ट्रांसफ़्यूज़न एंड इम्युनोहेमेटोलॉजी
अब क्या हैं ये मिथक:
1. लड़कियों को खून नहीं देना चाहिए
सच: सरासर बकवास बात है ये.
डॉक्टर अनुराधा कपूर बताती हैं:
“खून कोई भी दे सकता है. इसका आपके जेंडर से कोई लेना देना नहीं है. हां पर खून डोनेट करने के लिए कुछ कंडिशन्स है जिन्हें आपको पूरा करना होगा.”
ब्लड डोनेट करने की इकलौती शर्त है हेल्दी ब्लड. (फ़ोटो कर्टसी: Pixabay)
क्या हैं वो कंडीशन्स? डॉक्टर निवेदिता ढींगरा कहती हैं:
“ये मानना ग़लत है कि लड़कियों को खून नहीं देना चाहिए. बस आपको:
- अंडरवेट नहीं होना चाहिए. यानी आपकी हाइट के हिसाब से वजन कम नहीं होना चाहिए
- एनिमिक नहीं होना चाहिए. मतलब आपका हीमोग्लोबिन 12.5 से कम नहीं होना चाहिए. हीमोग्लोबिन एक तरह का प्रोटीन होता है. इसका काम आपके खून में ऑक्सीजन एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का होता है
-आपको कोई ऐसी बीमारी नहीं होनी चाहिए जो आपके खून से किसी और में ट्रांसफ़र हो जाए
-आपका ब्लड हेल्दी होना चाहिए
अगर आप इन कंडिशंस को पूरा करती हैं तो आप ब्लड दे सकती हैं."
2. लड़कियों को पीरियड्स के दौरान खून नहीं देना चाहिए
सच: ये भी एक मिथक ही है. जी. ये मिथक ही है. भले ही आपने ये कितने लोगों के मुंह से सुना हो. यहां तक ये बात मैंने अपने ऑफिस में भी कई लोगों से सुनी है.
इस पर डॉक्टर लवलीना नादिर कहती हैं:
“ये बहुत आम मिथक है. कई लोग ऐसा सोचते हैं. पर ये ग़लत है."
पीरियड्स कोई हौवा नहीं हैं. (फ़ोटो कर्टसी: Pixabay)
डॉक्टर निवेदिता ढींगरा भी इस बात से सहमत हैं. वो बताती हैं:
“आप जानती हैं आपका पीरियड ब्लड किस चीज़ से बना होता है? गर्भाशय के अंदर खून की एक परत बनती है. समय के साथ वो मोटी होती जाती हैं. पीरियड्स के दौरान वो ही टूट कर पीरियड ब्लड बनती है. इस खून की आपके शरीर को वैसे भी ज़रूरत नहीं होती. और इसका आपके ब्लड डोनेट करने से कोई लेना देना नहीं है. आमतौर पर पीरियड के दौरान आप 80 मिलीलीटर से कम खून लूज़ करती हैं. यानी छह से आठ चम्मच के बराबर. तो पीरियड्स के दौरान ब्लड डोनेट करने से इसपर कोई फ़र्क नहीं पड़ता.”
उन्होंने आगे बताया:
“देखिए, आप एक बार में 470 मिलीलीटर खून दे सकती हैं. ये आपके शरीर के खून का आठ प्रतिशत होता है. जितना खून आप देती हैं उतना आपका शरीर दोबारा बनाता है. नया. वो भी 24 से 48 घंटों के अंदर. पीरियड के दौरान होने वाले ब्लड लॉस से इसका लेना देना नहीं है.”
यही बात डॉक्टर अनुराधा कपूर ने भी कही:
“ आमतौर पर लोग ये मानते हैं कि औरतों को हर महीने पीरियड होते हैं. ब्लड लॉस होता है. अगर वो इस दौरान ब्लड डोनेट करेंगी तो उनको कमज़ोरी होगी. ये ग़लत है.”
3. गे आदमियों को खून नहीं देना चाहिए पर गे औरतें डोनेट कर सकती हैं?
सच: इस बात पर तो हमारे सारे एक्सपर्ट्स हंस दिए. इस तर्क का कोई लॉजिक नहीं है. ऐसा इसलिए माना जाता है कि गे पुरुषों में एचआईवी होने के चांसेस ज़्यादा होते हैं. इसलिए उनका खून नहीं लेना चाहिए. इस बात का कोई भी मेडिकल प्रूफ मौजूद नहीं है. इस बात पर सभी एक्सपर्ट्स ने हामी भरी.
सभी डॉक्टर्स ने कहा कि ब्लड लेने से पहले उसकी जांच बेहद जरूरी है. अगर ब्लड और डोनर हेल्दी हैं तो गे, स्ट्रेट, बाइसेक्सुअल किसी का भी ब्लड लिया जा सकता है.
4. औरतें एनिमिक होती हैं इसलिए उनका खून नहीं लेना चाहिए
इसपर डॉक्टर ढींगरा ने बताया:
“हिंदुस्तान में औरतों में एनिमिया एक बड़ी दिक्कत है. 75 प्रतिशत औरतों को एनिमिया है. इस वजह से कई डॉक्टर्स औरतों को ब्लड डोनेट करने से मना कर देते हैं. लेकिन हर औरत एनिमिक होगी ये मानकर सबको ब्लड देने से मना करना गलत है."
अब ये एनिमिया क्या होता है? इसका मतलब है कि आपके खून में हीमोग्लोबिन की कमी है. हीमोग्लोबिन की कमी की वजह से आपके सेल्स को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलेगा. इसलिए आपको हर वक़्त थकान महसूस होगी, धड़कन तेज़ रहेगी, चक्कर आएगा, नींद नहीं आएगी. वगैरह.
एनिमिया का मतलब है आपके खून में हीमोग्लोबिन की कमी है. (फ़ोटो कर्टसी: Pixabay)
डॉक्टर नादिर ने इसमें जोड़ा:
“आप खून नहीं दे सकती अगर आप एनिमिक हैं. पर एनिमिया से निपटने के लिए आपको हरी सब्जियां, मीट, चिकन वगैरह खाना चाहिए.”
5. ब्लड डोनेट करने के बाद सेक्स नहीं करना चाहिए
सच: इस बात में कोई सच्चाई नहीं है. खून डोनेट करने से आपकी सेक्स लाइफ पर कोई असर नहीं पड़ता.
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ये तो हुए कुछ आम मिथक. अब बात करते हैं कि क्या वाकई औरतें खून देने से झिझकती हैं? इस बात से पर्दा उठाया डॉक्टर युद्धवीर सिंह ने. उन्होंने बताया:
“ये सोचिए हमने साल 1997 में एक ब्लड डोनेशन कैंप किया था. लिमका बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में इसका ज़िक्र भी है. तब 2451 लोगों ने खून डोनेट किया था. उसमें से 447 महिलाएं थीं. अभी भी जब हम कैंप करते हैं तो उसमें औरतें खुलकर शामिल होती हैं. तो लोगों का ऐसा सोचना कि लड़कियों और महिलाओं को खून नहीं देना चाहिए एकदम ग़लत है. इसमें कोई तर्क नहीं है.”
तो लेडीज़ अगर आप खून डोनेट करने की सोच रही हैं तो बिंदास करिए. साइंस आपके साथ है.
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