शिल्पा शुक्ला: चक दे इंडिया की बिंदिया नायक से लेकर बीए पास की सारिका आंटी तक

इनकी डेब्यू फिल्म देखेंगे तो प्यार हो जाएगा

जब चक दे फिल्म आई थी, अचानक से सब लोग हॉकी के बारे में बात करने लग गए थे. सबकी जुबान पर इस फिल्म की चर्चा थी. शाहरुख़ खान ने जिस तरह से कबीर खान का किरदार निभाया था, उसकी लोग आज भी मिसाल देते हैं. कहते हैं इससे बेहतर स्पोर्ट्स फिल्म बॉलीवुड में कम ही बनी हैं या बन सकती हैं.

लेकिन इसकी एक बहुत बड़ी वजह इस फिल्म की हॉकी टीम की वो लड़कियां रहीं जिन्होंने इस फिल्म को रियल बनाया. वो 16 लड़कियां जिनको कास्ट किया गया परदे पर इंडियन विमेंस हॉकी टीम को जिंदा करने के लिए. परदे पर रोल सबने बेहतरीन निभाए. लेकिन इन्हीं में से कुछ चेहरे, कुछ नाम, हमेशा के लिए याद रह गए.

जिनमें से एक थी- बिंदिया नायक. टीम की खलनायिका. किरदार निभाया था शिल्पा शुक्ला ने. इस फिल्म के बाद रातों-रात छा गई थीं. जिस तरह से उनके किरदार में ग्रे शेड दिखाए गए थे, वो काफी रिफ्रेशिंग था. ऐसा लगा, कोई असलियत दिखा रहा, लेकिन फूहड़ता से नहीं. बिंदिया नायक के किरदार के भीतर की आग स्क्रीन पर लपटें फेंक रही थी. वो पैशन, वो अग्रेशन. सब कुछ लोगों को मंत्रमुग्ध कर देने वाला था .

chak-de_750x500_022219021940.jpgतस्वीर: ट्विटर

शिल्पा शुक्ला की ये पहली फिल्म नहीं थी. बहुत से लोगों को लगा कि शायद यही उनका डेब्यू है. लेकिन वो इससे पहले ही खामोश पानी नाम की फिल्म से डेब्यू कर चुकी थीं. इंडो-पाकिस्तानी फिल्म थी ये, जो 2004 में सबसे पहले पाकिस्तान में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में आएशा का किरदार उन्होंने निभाया था. इस फिल्म को देखने के बाद शिमीत अमीन ने शिल्पा को बताया कि उन्हें ये फिल्म बहुत पसंद आई थी. ये बात तब हुई थी जब वो चक दे के लिए पहली बार मिले.

खामोश पानी फिल्म में उनका किरदार एक सिख औरत का था जो बंटवारे के समय अपने परिवार से बिछड़ गई थी. उसके बलात्कारी ने उससे शादी की, और उसे मुस्लिम बना लिया. ये राज़ बाद में खुलता है फिल्म में. आएशा का पानी भरने कुएं पर ना जाना भी अपनी एक वजह से है. इस फिल्म में शिल्पा का किरदार दिल को छू लेने वाला है.

वैसे तो शिल्पा ने थियेटर की ट्रेनिंग ली है. लेकिन कन्वेंशनल सीखने के तरीके उनको पसंद नहीं हैं कुछ ख़ास. 55 मिनट तक स्टेज पर खड़े होकर अकेले उन्होंने डारिओ फ़ो के नाटक अ वुमन अलोन (A Woman Alone) का मंचन किया था. ये मोनोलोग है, यानी एकल संवाद. अपनी लाइफ में बेनज़ीर भुट्टो जैसे किरदार भी निभाना चाहती हैं. मुम्बई, जिसे मायानगरी कहते लोग, वहां पूरा-पूरा दिन वडा पाव खाकर भी निकाला है उन्होंने. बिना पैसों के दिन गुज़ारे हैं.

shilpa-3_750x500_022219021959.jpgतस्वीर: ट्विटर

इनकी फिल्म BA Pass ने भी काफी तारीफ बटोरी थी. इसमें उनका रोल सारिका आंटी का था, जो मोहन सिक्का की किताब The Railway Aunty पर आधारित था. अपने से कम उम्र के लड़के को सेड्यूस करके उसे प्रोस्टीट्यूशन में भेजने वाली सारिका आंटी का किरदार बहुत से लोगों की नफरत का बायस बना. लेकिन उसके कई शेड्स बाहर आये जो शिल्पा ने बेहतरीन तरीके से निभाए.

शिल्पा बिहार की हैं. वैशाली जिले से. इनका भाई तेनजिन प्रियदर्शी ने बौद्ध धर्म अपनाया है. भिक्षु बन चुके हैं. उनकी काफी टॉक्स भी होती रहती हैं. शिल्पा खुद भी बुद्ध धर्म को मानती हैं.

जब चक दे इंडिया ने उनको फेम और अटेंशन दिलाई, तब एक नुई दुनिया के द्वार खुल गए. फिल्म के रिलीज के बाद अपने ब्लॉग में शिल्पा लिखती हैं,

shilpa-2_750x500_022219022036.jpgतस्वीर: ट्विटर

‘फैन्स के साथ का वो पहला फोटो और ऑटोग्राफ सेशन मैं कभी नहीं भूलूंगी. वो 25 मिनट तक चला था. लोग बिंदिया बिंदिया चिल्ला रहे थे. मैं मुस्कुराए जा रही थी. जो बिंदिया रहते हुए मैंने कभी नहीं किया था. अब ये नॉर्मल हो गया है. मेरे साथ रोज़ होता है. लेकिन मैं कम्फर्टेबल नहीं हूं. मुझे अजीब लगता है जब वो मुझे शिल्पा ना बुलाकर बिंदिया बुलाते हैं. तब भी अजीब लगता है जब एअरपोर्ट पर लोग मुझसे पूछते हैं कि तुम्हारी टीम कहां है. मुझे बेहद बुरा लगता है जब मीडिया के लोग मुझे बिंदिया के रूप में इंट्रोड्यूस कराना चाहते हैं.  मैं तब सबसे ज्यादा उदास हो जाती हूं जब लोग भूल जाते हैं कि मैं एक एक्टर हूँ जिसने दिल  लगाकर हॉकी सीखी ताकि अपने किरदार में वो फिट बैठ सके. लेकिन मुझे तब ख़ुशी हो जाती है जब इंडस्ट्री के लोग मुझसे पूछते हैं, ‘ खामोश पानी के बाद तुम कहां गायब हो गई’. उन्हें मेरे किरदार याद तो हैं’.

shilpa-1_750x500_022219022020.jpgतस्वीर: ट्विटर

आजकल फिल्म लव की तैयारी में जुटी हुई हैं.

शिल्पा ने एक ‘उन्मुक्त’ औरत के किरदार को परदे पर संभाल के साथ उतारा है. जैसे लाइनों के भीतर साफ़-सुथरे तरीके से रंग भरते हैं न, उस सलीके के साथ, हर कोई शायद वो सलीका ना ला पाए, लेकिन शिल्पा सिर्फ वही नहीं हैं. स्टीरियोटाइप की दुनिया में A Woman Alone की तरह खड़ी हैं. अगर उनकी बात दुनिया नहीं सुन रही, तो नुकसान ना सुनने वालों का ही है.   

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