शत्रुघ्न सिन्हा आएं तो कह देना, 'छेनू नहीं, शर्म आई थी'

ऐसी बकवास बातें करने से तो यही बेहतर है कि सिन्हा साहब 'खामोश' ही रहें.

कुछ लोग होते हैं जो बोलने से पहले सोचते हैं. कुछ लोग होते हैं जो बोलने के बाद सोचते हैं.  और फिर आते हैं शत्रुघ्न सिन्हा. जिनका बोलना और सोचना दोनों किस टाइमलाइन में चल रहे हैं, कुछ पता नहीं.

मतलब हमें भी मालूम है कि जब घर का माहौल टेंशन वाला हो तो मजाक करने वाला पिट जाता है. ये लेसन हम पांच साल की उम्र से पहले सीख लेते हैं. लेकिन इस धरती पर  सात दशक गुज़ार लेने के बाद भी शत्रुघ्न सिन्हा को ये मोटी सी बात नहीं समझ आई.

shatru-3_750_020719112131.jpgबोलने से पहले सोच भी लेते तो शायद ही फर्क पड़ता

एक इवेंट था. बुक लॉन्च का. वहां पर जाकर शत्रुघ्न सिन्हा ने ज्ञान के मोती बांटे. फ्री में. जैसे:

‘आज कल मी टू का टाइम चल रहा है, और ये कहने में कोई शर्म या हिचक नहीं होना चाहिए कि हर सक्सेसफुल आदमी के पतन के पीछे एक औरत है. सफल पुरुषों की मुश्किलों और बदनामी के पीछे अधिकतर औरतें ही हैं, जिनको मैंने इस मूवमेंट में देखा है’.

सुनते जाइए. पिक्चर अभी बाक़ी है.

‘मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि तमाम हरकतें करने के बावजूद मेरा नाम मी टू मूवमेंट में नहीं आया. इसलिए मैं अपनी बीवी की सुनता हूं, और हर जगह उसे अपनी ढाल बनाकर ले जाता हूं.ताकि अगर कुछ ना भी हो तो भी मैं दिखा सकूं कि भई मैं शादी शुदा हूं, मेरी जिंदगी अच्छी है’.

‘पूनम, मेरी बीवी, देवी है, मेरी सबकुछ है’.

‘अगर किसी को मेरे बारे में कुछ कहना भी है तो प्लीज मत कहना’.

‘इसको अन्यथा ना लीजिए. इसे सिर्फ सादा ह्यूमर समझिए. मैं उन सभी औरतों की तारीफ करता हूं जो देर से ही सही लेकिन सामने आई हैं. मैं उनकी हिम्मत और जज्बे को सलाम करता हूं’.

shatru-4_750_020719112309.jpgपूनम सिन्हा आपकी इस बेवकूफी पर क्या कहेंगी, सोच रही हूं.

(जज्बा और हिम्मत इस वक़्त दरांती लेकर सिन्हा साहब के घर का पता ढूंढ रहे हैं. सुना है उनके साथ विडंबना भी है, आंसू पोंछ रही है.)

‘इससे आगे मैं नहीं बढ़ना चाहता क्योंकि ये एक बुक लॉन्च इवेंट है और हमें अपनी सीमाएं नहीं लांघनी चाहिए. लेकिन मैं समझता हूं कि आप क्या कह रहे हैं और जो भी आपने कहा मैं उसका समर्थन करता हूं’.

(सीमा इस बार भावना की जगह आहत हो गई है क्योंकि उसको इतनी चोट पहले कभी नहीं पहुंची थी.)

रेस्पेक्टेड (?) शत्रुघ्न सिन्हा साहब.

  1. सक्सेसफुल पुरुषों के पतन के पीछे उनके किये हुए कुकर्म हैं जिनका किसी को पता नहीं चला क्योंकि वो पॉवर में थे. क्योंकि उनकी ‘शिकार’ हुई औरतें सत्ता की सीढ़ी में उनसे हेठी थीं. जिनको अब हिम्मत मिल पाई है. लेकिन आप पढ़े-लिखे इंसान हैं. आपको पता ही होगा. ऐसा हम सोचते थे. लेकिन आपको कहां पता है. नहीं पता है.
  2. मी टू मूवमेंट में आपका नाम नहीं आया, वो भी तब, जब आपने ‘इतनी सारी हरकतें कीं’. सोच कर देखिए उन ‘हरकतों’ का कितना बुरा असर पड़ा होगा आपके चंगुल में फंसने वाली औरतों पर, कि वो बिचारी आज तक बोल नहीं पाईं. इस पर शर्म नाम की चीज़ है जो आनी चाहिए. लेकिन रास्ता भूल गई होगी. खैर. 

    shatru-5_750_020719112428.jpgसोनाक्षी विमेन एम्पॉवरमेंट की बात करती हैं. पिताजी ये सब रायता फैला रहे.

  3. अगर आपको इस मामले में अपनी बीवी की ढाल बनानी पड़ रही है, तो आपसे कमजोर इंसान इस दुनिया में कोई न होगा. अपने कैरेक्टर को साबित करने के लिए आपको शादी-शुदा होने का बहाना बनाना पड़े तो आपकी शादी एक सर्टिफिकेट से ज्यादा कुछ नहीं है.
  4. आप एक ही समय में किसी को बेइज्जत कर उसे इज्जत नहीं दे सकते. कल को कोई आपको थप्पड़ मार दे. फिर पैर छू ले. इसको इज्जत बोलेंगे आप? वही किया है आपने. और ऑनेस्टली, इस तरह की चप्पलमार इज्जत चाहिए भी नहीं किसी को.

इसलिए शत्रुघ्न सिन्हा साहब, खामोश.

 

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