अंकल जी, पति अपनी पत्नी का बॉस नहीं होता. कृपया, अपनी घटिया सोच अपने पास रखें
पति को तुम कहना कौन सा पाप है?
आज सुबह मेरी मम्मी ने मुझे फ़ेसबुक पर एक वीडियो भेजा. मोबाइल पे बनाया गया 1-2 मिनट का यह वीडियो बहुत मज़ेदार था. एक औरत सब्ज़ियां काटती नज़र आ रही है. जब उसका पति, जिसकी हम आवाज़ ही सुनते हैं, घर आता है. औरत बहुत बिगड़े मूड में है. पति के आते ही उस पर बरस पड़ती है. दिनभर की तमाम शिकायतें उससे करने लगती है. कमेंट्स में कई औरतों ने वीडियो की तारीफ़ की. क्योंकि अपने देश में शादीशुदा औरतों का यही हाल है. सारा दिन घर-परिवार के कामों में लगे रहने से दिमाग ख़राब हो जाता है.
यह है वह वीडियो.
इस पर कई नेगेटिव कमेंट भी आए थे. उनमें से एक कमेंट पढ़कर मैं हैरान रह गई. किसी मर्द ने लिखा था. और मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि आज के ज़माने में भी कोई ऐसे ख्याल रख सकता है. उनका जवाब एक महिला को था. महिला कह रहीं थीं कि वह भी अपने पति को ‘आप’ की जगह ‘तुम’ या ‘तू’ बुलाती हैं. कमेंट का स्क्रीनशॉट नीचे है.
बेसिकली इन अंकल का कहना है कि:
- हम ऑफ़िस में अपने बॉस को इज़्ज़त देते हैं. फिर घर पर पति को क्यों नहीं?
- हम अपने पिता के साथ तू-तड़ाक नहीं करते. पिता के बाद हमारी ज़िम्मेदारी पति लेता है. तो पति के साथ क्यों करें?
- पति के साथ फ़ॉर्मली बात न करनेवाली औरतें ‘बदतमीज़’ होती हैं.
- जो औरतें खुद को पति के समान मानती हैं वे वामपंथी फेमिनिस्ट हैं. हमारी संस्कृति खत्म करना चाहती हैं.
- बच्चे सबकुछ मां से ही सीखते हैं. अगर मां बदतमीज़ हो तो बच्चे भी बदतमीज़ी सीख लेंगे.
- अच्छी-भली औरतें शालीन होती हैं. घर पर रहती हैं. बच्चे पालती हैं. पश्चिमी फ़ेमिनिज़्म ने सारी औरतों को बिगाड़ रखा है.
तो सुन लीजिए, अंकल. एक बदतमीज़ वामपंथी फ़ेमिनिस्ट बतानेवाली है कि आप कितने ग़लत हैं और क्यों. आगे से ख़ुदा के लिए मुंह खोलने से पहले दो बार सोच लीजिएगा.
- पति पत्नी का बॉस नहीं होता.
शादी एक पार्ट्नरशिप है. लोग शादी इसलिए करते हैं कि वह एक-दूसरे को पसंद करते हैं. एक-दूसरे का साथ देना चाहते हैं. यहां कोई किसी का बॉस नहीं है. कोई एम्प्लॉयमेंट का कॉन्ट्रैक्ट भी नहीं है. दोनों सबसे पहले एक-दूसरे के दोस्त हैं. और आप अपने दोस्तों के साथ तो 'आप-आप' नहीं करते होंगे.
शादी एक पार्ट्नरशिप है. फोटो क्रेडिट: Ezwed.com
और फिर हम तो अपने बॉस को 'सर' भी बुलाते हैं. उनसे सैलरी और पेड लीव भी लेते हैं. पति के साथ भी ऐसा करें फिर? बॉस बनाके रखना ही है अगर.
- हम किसी की प्रॉपर्टी नहीं हैं. न पापा की. न पति की.
माना जाता है लड़कियां शादी से पहले अपने पिता के अंडर रहती हैं. शादी के बाद पति की ज़िम्मेदारी बन जातीं हैं. जैसे वह लड़की नहीं, GPS चिप वाला 2000 रुपए का नोट हों. और क्योंकि वह पति की 'छत्रछाया' में रहती है, उसे 'इज़्ज़त' देना उसका फर्ज़ है.
औरत है, भाई. 2000 का नोट नहीं. फोटो क्रेडिट: Leftovercurrency.com
पर आज कोई किसी की छाया में नहीं रहता. पिता को इज़्ज़त इसलिए दी जाती है क्योंकि वह हमसे बड़े हैं. पति के साथ जो रिश्ता है, वह बहुत अलग होता है. और दोनों की तुलना करना निहायत बेवकूफ़ी है.
- 'तुम' कहना बदतमीज़ी नहीं है.
क्योंकि यह शब्द उनके लिए इस्तेमाल होता है जो हमारे करीबी हैं. चाहे वह अज़ीज़ दोस्त हों या भाई-बहन. हम पति के साथ फ़ॉर्मल रहने लगेंगे तो रिश्ते में कोई मिठास रहेगा क्या? दूरी नहीं आ जाएगी? फिर शादी करके क्या फ़ायदा?
पति को परमेश्वर की जगह अपना दोस्त मानना चाहिए. इससे पति-पत्नी एक दूसरे को अच्छे से समझ पाते हैं. और करीब आते हैं. और उनमें प्यार बढ़ता है. आपको लगता होगा कि यह फेमिनिस्टों/नक्सलियों/फ़िरंगियों/एलियन्स द्वारा घर तोड़ने की साज़िश है.
पति परमेश्वर नहीं, दोस्त होता है. (फ़िल्म 'साथिया' में रानी मुखर्जी और विवेक ओबरॉय)
- क्यों औरतों पर इतनी पाबंदियां हैं? ताकि बच्चे न बिगड़ें?
यह बच्चे सबकुछ अपनी मां से ही क्यों सीखते हैं? बाप किसी काम का नहीं है क्या? सारे रेस्ट्रिक्शन औरतों पर हैं. ताकि बच्चे उनसे कुछ 'गलत' न सीख जाएं. उनके बाप से कोई नहीं कहता कि सड़कों पर थूका मत करो जी. बच्चे देख रहे हैं. वह भी सीख जाएंगे.
वैसे बच्चे अगर अपने पेरेंट्स को एक दूसरे के साथ सहज और फ़्रेंडली होते हुए देखें, तो यह अच्छी बात है. इस तरह वह जानेंगे कि एक हेल्दी रिलेशनशिप कैसा होता है. अपनी शादी होने पर वह इसी से प्रेरणा लेंगे.
पेरेंट्स से बच्चे सीखेंगे एक हेल्दी रिलेशनशिप क्या होता है. ('तुम्हारी सुलु' में विद्या बालन और मानव कौल)
- फ़ेमिनिज़्म ने देश की लड़कियों को आज़ाद किया है. हम समझ सकते हैं आपकी क्यों तकलीफ हो रही है.
फ़ेमिनिज़्म की वजह से ही आज दहेज लेना ग़ैरकानूनी है. लड़कियों को स्कूल भेजना अनिवार्य है. बीवी को थप्पड़ मारने के लिए जेल हो सकती है. औरतों को शादी के बाद भी अपना पैशन फ़ॉलो करने की पूरी आज़ादी है. जिसका नतीजा हम उन तमाम औरतों के रूप में देख रहे हैं जिन्होंने हर फ़ील्ड में अपनी क़ाबिलियत दिखाई है.
फ़ेमिनिज़्म की वजह से हम आज इन औरतों को जानते हैं. फोटो क्रेडिट: Scroll, TimesNow, SheThePeople
और हम समझ सकते हैं आपको इससे क्या दिक्कत है. अब आप लड़कियों को दबाकर नहीं रख सकते. उन्हें अपने हिसाब से नहीं चला सकते. इसी बात का दर्द है आपको. आपके लिए हमारे पास सिर्फ सहानुभूति और एक किलो बर्नॉल है.
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