जानना चाहते हैं 'पाकिस्तान की भाभी' सानिया कौन सी तारीख को स्वतंत्रता दिवस मनाती हैं?
जानकर आश्चर्य होगा, मगर यही सच है.
कभी प्रलय आई और सभी देशों की भौगोलिक सीमाएं पानी में मिल गईं, तब भी कुछ लोग बचे होंगे जो उनसे पूछेंगे कि तुम कितनी भारतीय हो. और सानिया मिर्ज़ा फिर से फ्रस्टियाकर कर कहेंगी, मैं भारतीय ही हूं. पाकिस्तान में रहती हूं. मेरे पति पाकिस्तानी हैं, बस. ये सिंपल सा लॉजिक समझने में हमें इतना टाइम क्यों लग रहा है, मालूम नहीं. आज़ादी के बाद हर बीतते साल हम देश और देशभक्ति को लेकर और कुंद होते जा रहे हैं.
सुबह-सुबह आज़ादी की छुट्टी मनाते हुए ट्विटर स्क्रॉल किया तो ये ट्वीट पाया.
रोमियो गोल्ड 2.0 नाम के भाई साहब ने अपने नाम के आगे भारत का झंडा लगा रखा है. जाहिर है, वो देशभक्त हैं. चूंकि वो देशभक्त हैं, उनका फ़र्ज़ है कि लोगों की देशभक्ति चेक करते रहें. कोई कहीं रास्ता न भटक जाए. आखिर बार-बार भारत माता का जयकारा लगाने से ही तो देश की सभी समस्याएं ख़त्म होंगी. चाहे आत्महत्या करते किसान हों या रेप का शिकार होती 8 साल की बच्चियां.
रोमियो ने सानिया मिर्जा से उनकी देशभक्ति पर सवाल पूछा और परसाद पा गए. ये तो होना ही था. इतिहास गवाह है, सानिया मिर्जा ने किसी भी ऐरे-गैरे से लेकर पत्रकारों तक, बेवकूफी बर्दाश्त नहीं की है. खरा जवाब देती हैं. कहती हैं इंडिया की बेटी हूं, पाकिस्तान की बहू.
मगर मुझे ये बात परेशान करती है कि हर साल सानिया से ये सवाल पूछा ही क्यों जाता है? क्योंकि उन्होंने ब्याह कर लिया है? दुनिया भर में चलन है, कि शादी के बाद पत्नी, पति का सरनेम लगाती है. कहते हैं पति का घर ही औरत का घर होता है. इसलिए सभी मानते हैं कि सानिया मिर्जा का 'घर' भी अब भारत नहीं रहा. अब तो वो पाकिस्तानी हो गईं. बेटियों के लिए तो ये भी कहते हैं कि अब उसके सास-ससुर ही उसके नए मां-बाप हैं.
अजी घंटा. हां, घंटा. अगर मेरे सास-ससुर मेरे मां-बाप हैं तो मेरे मां-बाप भी मेरे पति के मां-बाप होने चाहिए. क्या सिर्फ उनके बुढ़ापे में बेटे ही मां-बाप क्या खयाल रखेंगे, बेटियां और दामाद नहीं? सिर्फ इसलिए कि मैं औरत हूं, आप क्यों मान लेते हैं कि मेरा मायका अब मेरा घर नहीं रहा. सिर्फ इसलिए कि सानिया ने शादी कर ली है, वो पाकिस्तान के लिए खेलने लगेंगी?
क्या है न, कि बेटियां कोई गाय-बकरियां तो हैं नहीं, कि जो चाहे हांक ले जाए और वे फिर उसी की कहलाएं. किसी भी औरत के लिए घर क्या है, उसकी परिभाषा वो खुद रच सकती है. वो मां के घर में रह सकती है, वो अपने पैसों से अपना खुद का घर बना सकती है. वो ससुराल में भी रह सकती है. वो किस घर की कहलाए या किस देश की नागरिक कहलाए, ये उसके पति के नाम और देश से तय नहीं होगा.
अगर इसका उल्टा भी सच होता, तो लोग शोएब मलिक से जरूर कहते कि अब तो तुम इंडियन हो गए.
शायद आपको ये जानकार आश्चर्य हो, मगर सच ये है कि पुरुष दुनिया का केंद्र नहीं है. औरत का जीवन और उसकी पहचान इस बात से तय नहीं होगी कि उसके जीवन के पुरुषों से उसका क्या रिश्ता है.
इस स्वतंत्रता दिवस, जबरन थोपी जाने वाली देशभक्ति से आजाद हो जाइए.
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