'स्लमडॉग मिलियनेयर' की चाइल्ड आर्टिस्ट रुबीना अली ने बताया, कैसे शोहरत ने उनका बचपन चुरा लिया

फिल्म मिलने के पहले रुबीना झुग्गी में रहती थीं, फिर शोहरत मिली. पर किस कीमत पर?

सरवत फ़ातिमा सरवत फ़ातिमा
फरवरी 21, 2019
रुबीना ने 10 साल की उम्र में ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ में काम किया था. फोटो कर्टसी: ट्विटर

23 जनवरी 2009. इस दिन 'स्लमडॉग मिलियनेयर' नाम की पिक्चर रिलीज़ हुई थी. बनाई थी इंग्लैंड के डायरेक्टर डैनी बॉयल ने. ये फ़िल्म ऑस्कर तक पहुंची. जीती भी. शायद आप में से कई लोगों ने देखी भी हो. फिल्म में मुंबई की झुग्गियों में रहने वाले दो बच्चों ने भी काम किया था. फ़िल्म के लीड एक्ट्रेस और एक्टर के बचपन का रोल निभाया था. उनका नाम था रुबीना अली और अजहरुद्दीन इस्माइल. रुबीना उस वक़्त 10 साल की थीं. पिक्चर हिट हुई. रुबीना भी रातों-रातस्टार बन गयी. हॉलीवुड तक हो आईं.

वापस आने के बाद उसकी ज़िन्दगी बदल गई. बाकी बाल-कलाकारों की तरह. रुबीना एक छोटी सी झुग्गी में अपने पिता, सौतेली मां, दो भाई और दो बहनों के साथ रहती थी. पिता कारपेंटर थे. महीने का कुछ 10,000 तक का कमा लेते थे. ज़िन्दगी मुश्किल थी, पर कट ही रही थी.

एक दिन किसी दोस्त ने बताया कि एक पिक्चर में झुग्गियों में रहने वाली बच्ची का रोल है. उसके लिए 58,000 रुपए तक मिलेंगे. रुबीना का परिवार मान गया. रुबीना भी खुश थी. एकाएक वो स्टार बन गईं. लोग उससे दोस्ती करने के लिए मरते थे. रुबीना का परिवार काफ़ी गरीब था. इसलिए जब उन्हें मुफ़्त कपड़े, खाना, गिफ़्ट्स वगैरह मिलने लगे तो वो ख़ुश थे. पर ये चकाचौंध कुछ ही दिन की थी. जैसे-जैसे वक़्त बीता लोग रुबीना और उसके परिवार को भूल गए.

1_022119020225.jpg15 मिनट की शोहरत ने रुबीना के परिवार को और तोड़ दिया. फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर

इस चीज़ का रुबीना पर काफ़ी गहरा सारा पड़ा. एक अंग्रेज़ी अखबार को दिए इंटरव्यू में वो कहती हैं:

"मैं इस फिल्म की वजह से काफ़ी जल्दी बड़ी हो गई. सच कहूं तो इस फ़िल्म ने मेरा बचपन चुरा लिया. मेरे बहुत सारे नकली दोस्त बने. मेरे माता-पिता पढ़े-लिखे नहीं थे इसलिए उन्हें ये नहीं पता था कि कैसे इस लोकप्रियता से निपटें."

उस 15 मिनट की शोहरत ने रुबीना के परिवार को और तोड़ दिया. पैसा और शोहरत आने के बाद रुबीना की मां और सौतेली मां में लड़ाइयां शुरू हो गईं. रुबीना की अपने पिता से भी पटना बंद हो गई. रुबीना ने अपना घर छोड़ दिया और अपने अंकल-आंटी के साथ रहना शुरू कर दिया.

रुबीना कहती हैं:

"इस फ़िल्म ने मेरी ज़िन्दगी बदल दी. आज मैं लोगों पर भरोसा नहीं कर पाती. मुझे अकेले रहना पसंद है. फ़िल्म आने से पहले हमें कोई नहीं जानता था. कोई मदद नहीं करता था. एकदम से हमारी ज़िन्दगी में लोग आ गए. मैं छोटी थी इसलिए ये नहीं समझ पाई कि सब अपने मतलब के लिए है. फिर धीरे-धीरे सब हमें भूल गए. इसका असर मुझपर पड़ा है. मैं दोस्त नहीं बनाती. शराब नहीं पीती. मुझे अकेले रहना पसंद है. मैं भरोसा नहीं कर पाती हूं."

हर चीज़ के दो पहलू होते हैं. 'स्लमडॉग मिलियनेयर' ने अगर रुबीना का बचपन छीना तो उसे एक नई ज़िन्दगी भी दी.

2_022119020355.jpgरुबीना एक छोटी सी झुग्गी में अपने पिता, सौतेली मां, दो भाई और दो बहनों के साथ रहती थी. फोटो कर्टसी: ट्विटर

दरअसल फ़िल्म के बाद, डायरेक्टर डैनी बॉयल ने रुबीना और अजहरुद्दीन के लिए एक ट्रस्ट फण्ड शुरू किया था. उससे मिलने वाले पैसे से एक अच्छे अंग्रेजी स्कूल से रुबीना की पढ़ाई हुई. वो अब मुंबई यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई कर रही है. यही नहीं, उसे रहने के लिए एक नया फ्लैट भी मिला.

रुबीना कहती है:

"डैनी अंकल बहुत अच्छे हैं. उन्होंने मुझे बहुत सपोर्ट किया है. मेरी पढ़ाई के लिए पैसे दिए. वो मुझसे हर साल मिलने आते हैं. उन्होंने हमारी बहुत मदद की है. मैं अभी पढ़ाई भी करती हूं और नौकरी भी करती हूं. आगे जाकर एक्ट्रेस बनना चाहती हूं. मुझे हॉलीवुड पसंद है, पर मैं घर से दूर नहीं रह सकती. अगर मैं एक कामयाब एक्ट्रेस बन गई तो मुझे पता है लोगों से बचकर रहना है. मैं अभी सभी बाल कलाकारों को यही कहना चाहती हूं कि सही फ़ैसले लो. चकाचौंध में खो मत जाओ."

3_022119020454.jpgरुबीना ने अपना घर छोड़ दिया और अपने अंकल-आंटी के साथ रहना शुरू कर दिया. फोटो कर्टसी: ट्विटर

रुबीना सही कह रही हैं. बचपन में मिलने वाली शोहरत अक्सर कन्फ्यूज़ कर देती है. बच्चे असल ज़िन्दगी से दूर हो जाते हैं. पर एक बार जब वो चली जाती है तो ये बच्चे बड़े होकर अक्सर डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं.

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