तलाक़ देकर एक महीने तक बंदी बना रखा, न खाना मिला न धूप, अंत में मर गई रज़िया

उस बकवास कहावत के चलते, जो कहती है कि जिस घर में बहू की डोली जाती है, उसी से अर्थी निकलेगी.

आपात प्रज्ञा आपात प्रज्ञा
जुलाई 12, 2018

अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक़ को गैर-संवैधानिक बता कर खारिज कर दिया. सबको लगा कि अब तीन तलाक़ की घटनाएं बंद हो जाएंगी. लेकिन लगभग छह महीने बाद ही एक पति ने अपनी पत्नी को फोन पर तलाक़ दे दिया.

घटना है उत्तर प्रदेश के बरेली की. रज़िया नाम की महिला अपने पति नईम के साथ रहती थीं. नईम कुछ काम के लिए दिल्ली गया. दिल्ली से ही फोन करके नईम ने रज़िया को कह दिया- ‘तलाक़, तलाक़, तलाक़’. लेकिन रज़िया उन्हीं के घर में रहती रहीं. कुछ समय बाद नईम वापस आया. जब उसने देखा कि रज़िया घर में ही रह रही हैं तो नईम ने उसे एक कमरे में बंद कर दिया.

लगभग एक महीने तक नईम ने रज़िया को अपने ही घर में कैदी बनाकर रखा. रज़िया को खाना-पानी कुछ नहीं दिया. उसे मारा-पीटा, हर तरह से परेशान किया. इस बात का पता रज़िया के मायके वालों को चला. उन्होंने रज़िया को नईम की कैद से आज़ाद कराया. रज़िया की हालत बहुत खराब थी. वो बहुत दुबली और कमज़ोर हो गई थी. उसको इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया.

लगभग दो-ढाई महीने तक रज़िया का इलाज चला. रज़िया की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ बल्कि उसकी तबियत और अधिक नासाज़ रहने लगी. जिला अस्पताल ने रज़िया को लखनऊ की ‘किंग्स जॉर्ज्स मेडिकल यूनिवर्सिटी’ में भर्ती कराने के लिए कहा. घरवालों के पैसों की व्यवस्था नहीं थी. वो रज़िया को लखनऊ ले जाने से पहले घर ले आए ताकि पैसों का इंतज़ाम कर सकें. 9 जुलाई 2018 को रज़िया की तबियत अधिक बिगड़ गई. उसके घरवाले उसे तुरन्त अस्पताल लेकर जाने लगे. लेकिन रज़िया अस्पताल नहीं पहुंच पाई. रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया.

बरेली के ही पास एक जगह है स्वाले गांव. रज़िया इस ही स्वाले गांव में रहती थीं. 13 साल पहले साल 2005 में उसकी शादी पड़ोस के मोहल्ले कटघर के नईम से हुई. शादी के कुछ ही दिनों बाद से नईम रज़िया को परेशान करने लगा. उसे दहेज़ के लिए मारा-पीटा. उसको बहुत दिनों तक भूखा रखा. इतना सब होने के बाद भी रज़िया ससुराल में ही रहीं. रज़िया का एक छह साल का बेटा है, अनस. नईम को पहले से ही अपने बेटे से कोई लगाव नहीं है. अब रज़िया भी उसे छोड़ कर जा चुकी हैं. रज़िया नहीं चाहती थी कि अनस नईम के साथ रहे. रज़िया की बहन ने अनस को गोद ले लिया है.

रज़िया के घरवालों ने नईम और उसके घरवालों के खिलाफ शिकायत दर्ज़ कराई है. पुलिस ने गैर-इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज़ किया है. जांच चल रही है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. पुलिस पता लगा रही है कि रज़िया के साथ-साथ क्य-क्या किया गया.

हमारा समाज महिलाओं को यही सिखाता है शादी से पहले पिता का घर तुम्हारा है. शादी होने के बाद पति का. एक कहावत है- ‘जिस घर में डोली जा रही है, उस ही घर से अर्थी निकलेगी.’ क्यों हैं ये बकवास कहावत? एक लड़की पर ज़ुर्म हो रहे हैं लेकिन वो वापस अपने घर नहीं जा सकती. क्यों? क्योंकि समाज उसे नहीं अपनाएगा. रज़िया जैसी हज़ारों लड़कियां हर रोज़ अपने पति और ससुराल वालों की ज़्यादती सहकर चुप रहती हैं. क्योंकि उन्हें वही सिखाया गया है, ‘चुप रहना’. रज़िया सारी ज़िन्दगी चुप रही. यही रज़िया अब हमेशा के लिए चुप हो गई है.

 

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