चार साल तक 7 मर्दों ने रेप किया, शिकायत की तो पुलिस ने पीड़िता के लिए कहा, 'लड़की मस्त है, मज़े देती होगी'

ऑडनारी की विशेष रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश की एक गरीब औरत का संघर्ष.

तब मैं 12 साल की थी. जब पहली दफ़े मेरा रेप हुआ. उसका नाम गौतम था. और वो हमारे ही मकान में रहता था. टीवी देखने के बहाने अक्सर वो मेरे घर आया करता था. घर में अकेली मैं ही होती थी. क्योंकि पापा रिक्शा चलाते थे और मां सिलाई का काम देखती थीं. जो दो भाई-बहन हैं. वो खेलने चले जाते थे. और मैं घर का पूरा काम देखती थी. इसी बात का फ़ायदा उठाकर एक दिन सबकी ग़ैर-हाज़िरी में वो आया और मेरे साथ ज़बरदस्ती करने लगा. मैं चीखती-चिल्लाती, इससे पहले ही उसने अपनी हाथों से कस के मेरा मुंह बंद कर दिया. फिर डरा-धमका कर चुप बैठने की हिदायत देने लगा.

मैं दर्द से कराहती रही. पर कुछ कर नहीं पाई. जाते-जाते उसने कहा, ‘अगर तू किसी को बताई तो मैं सबको यही बोलूंगा कि तू ही मुझे बुलाती थी’. मैं तो वैसे भी दब्बू किस्म की थी. मां-बाप ने बचपन से बात-बात पर इतनी बुरी तरह डांटा-पीटा है कि कभी हिम्मत ही नहीं हुई ये सबकुछ उनसे कहने की. मैं जानती थी कि वो मुझे ही ग़लत समझते. इसीलिए मैं चुप रही. और मेरे चुप रहने का असर ये हुआ कि गौतम रोज़ आने लगा. वो रोज़ मेरा रेप करता. यहां तक कि इस बीच मैं प्रेगनेंट भी हो गई. लेकिन इससे पहले कि कुछ होता भारी सामान उठाने की वजह से बच्चा ख़ुद ही गिर गया.

मैं अकेले ही इन सब से जूझ रही थी. इतनी घुटन होती थी इस नरक से कि कई बार ख़ुद को मारने तक की कोशिश की. हाथ काटा. पर बच जाने की डर से कोई बड़ा कदम नहीं उठा सकी. लगता कि अगर बच गई तो मां-बाप से क्या बोलूंगी. पूछने पर क्या कहूंगी. क्यों हाथ काटा? वो तो मेरी बात का विश्वास नहीं करते. उल्टा मुझे ही पीटेते.

रेप पीड़िता. रेप पीड़िता.
    

अब इन सब से पीछा तभी छूटता जब कभी गौतम घर छोड़कर जाता. लेकिन कुछ महीनों बाद जब वह गया, तो स्थिती और भी बुरी हो गई.जाने से पहले गौतम अपने भाइयों से ये कह गया कि वो मेरे साथ सेक्स करता था. और अब वो भी कर सकते हैं. सो गौतम के बाद उसके भाई इंद्रजीत और जगदीश आए. फिर उनके दोस्त गौरव, राजा, सद्दाम और अमलेश. लगातार 4 साल तक. पूरे सात लोगों ने एक के बाद एक मेरा रेप किया. अब मैं सेक्स करने वाली एक शरीर से ज़्यादा कुछ नहीं थी. 16 से लेकर 30-35 उम्र तक के पुरुषों ने मेरा रेप कर चुका था.

सद्दाम,जो मेरे ऊपर वाले कमरे में रहता था. वो एक ही दिन में तीन बार मेरा रेप करता. मैं जब स्कूल जाती. तो वो लंच के समय स्कूल आ जाता. स्कूल से उठाकर किसी और के घर में मेरे साथ सेक्स करता. दोपहर को जब घर पहुंचती. तो 3-4 बजे के क़रीब दोबारा वो मेरे कमरे में आ जाता. रात में जब सभी सो जाते तो वह छत पर बुलाता. एक दो बार मेरे मां-बाप ने मुझे सद्दाम के साथ देखा भी लिया. लेकिन मेरे ये बताने के बावजूद कि यह सबकुछ मेरी सहमति के बिना हो रहा है. उन्होंने मुझे ही ग़लत समझा. और सद्दाम. उसे कुछ भी नहीं कहा गया. पड़ोसियों को लगता कि मैं ही सबके साथ संबंध बनाती हूं. पूरी रात रोते-रोते निकल जाती. सुबह आंखें इतनी सूज जाती थी कि कुछ दिखता भी नहीं.

प्रिया(बदला हुआ नाम) के साथ हुई ये सारी घटनाएं आज सबके सामने कैसे हैं. जब उन्होंने इसे किसी के साथ साझा ही नहीं किया. ये किस्सा अपने आप में दिलचस्प है.

ये सारी बातें आखिर प्रिया ने कब और किस से कही?

प्रिया आज 17 साल की हैं.और शादीशुदा हैं. एक साल पहले जब उनकी मुलाकात धीरज (उनका पति) से हुई, तो उन्होंने सोचा भी नहीं था कि इस शख्स से वो प्यार करने लगेंगी. धीरज उनके मकान में नया आया था. बाकि के लोग जैसे सद्दाम वगैरह तब तक घर छोड़ चुके थे. प्रिया के साथ जो कुछ भी हुआ था. उससे वो इतनी डरी-सहमी रहती थीं कि किसी लड़के से दो टुक बात करने के पहले भी हज़ार बार सोचें. लेकिन धीरज बाकी लड़कों से बिल्कुल अलग था. वो प्रिया से घंटो बात करता. केवल बात. उसने कभी उसे छूने की कोशिश नहीं की. उल्टा वो उससे शादी करना चाहता था. पर प्रिया के मां-बाप ने शादी करवाने से इंकार कर दिया. इस बीच प्रिया को लगने लगा कि धीरज के अलावा फिर कौन ही उससे शादी करेगा. इसीलिए वो ज़िद्द पर अड़ गई. और आखिरकार उनकी शादी करा दी गई.

शादी हुए एक महीने हो चुके थे. लेकिन प्रिया ने अब भी अपने पति के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाए थे. वो सेक्स फ़ोबिया से जूझ रही थीं. धीरे-धीरे कर के वो इस से उभरने लगीं. धीरज उसका बहुत ख़्याल रखता. वो उसे पढ़ाने तक की बात कहता. ये सब देख प्रिया खुश तो रहती. पर कहीं न कहीं वो इस गिल्ट और डर में जी रही थी कि जिस दिन धीरज को उसके बारे में पता चला तो वो उसे छोड़ देंगे. ये बात उसके दिमाग में इस कदर घर कर गई कि एक दिन उन्होंने ख़ुद को फांसी लगा ली. वो फांसी पर लटक चुकी थी कि धीरज पहुंच गए. प्रिया बेहोश हो चुकी थी. और बेहोशी में बड़बड़ाते हुए, मुझे बचाओ इनसे, ये मेरे साथ ग़लत कर रहे हैं, जैसी बातें कर रही थी.

जब उसे होश आया तब जाकर धीरज के कहने पर उसने सारी बात बता दी.

पत्नी के रेप की बात जानकर पति ने क्या किया?

एक-तरफ जहां मां-बाप ने सबकुछ पता होने के बावजूद प्रिया का साथ नहीं दिया. धीरज, जिससे उसका रिश्ता केवल कुछ महीनों का था. बतौर पति उसे इंसाफ दिलाने के लिए पुलिस थाने लेकर गया. लेकिन पुलिस का रवैया ऐसा कि सुनकर इंसान गुस्से से लाल हो जाए. धीरज बताते हैं:

'नोएडा सेक्टर-20 में जब हम कंप्लेन लिखवाने गए तो हमारी एफआईआर नहीं दर्ज़ की गई. उल्टा ये कहकर जाने को कह दिया कि कहां इन सब के चक्कर में पड़ रहे हो. जाओ, ऐश करो. इन सब चीज़ों पर मिट्टी डालो. और अगर कंप्लेन कराने का इतना शौक है तो नोएडा सेक्टर-5 जाओ. जहां ये घटना हुई है.

नोएडा सेक्टर-5 में इस केस के विवेचक महिपाल सिंह जी ने भी मुझे केस ना करने की सलाह दी. उनकी तो एक रिकॉर्डिंग भी है मेरे पास. जिसमें वो कह रहे हैं कि मैं मानता हूं ये सब हुआ है.लेकिन तेरी बीवी ने ये सारी चीज़ें जानबूझकर की हैं. और अगर नहीं भी की तो मैं किसी को गिरफ्तार नहीं करूंगा.बताइए, एक 12-13 साल की लड़की को क्या समझ होती है. इसके अलावा उन्होंने ये तक कह दिया कि तेरी बीवी की बहन के चाल-चलन भी कुछ ठीक नहीं है. आपको बता दें कि प्रिया की बहन 11 साल की हैं.

रेप पीड़िता का पति. रेप पीड़िता का पति.

प्रिया का बयान भी किसी महिला पुलिसकर्मी ने नहीं लिया. उनसे अकेले एक कमरे में बिठाकर उल्टे-सीधे सवाल किए गए. पूछा गया कि तुम कपड़े उतारती थी या वो? तुम जाती थी उनके पास सोने या वो आते थे? कहां-कहां छूते थे तुम्हें? ये नोएडा,सेक्टर-5 पुलिस थाने की बात है.

इसके इतर धीरज ने जो बात हमें बताई उससे अपनी पुलिस व्यवस्था पर सिर्फ थूकने की इच्छा होती है. धीरज ने बताया, सेक्टर-5 पुलिस थाने में अंदर जाने के लिए एक गैलरी बनी हुई है. वहां पर एक एस.आई सिंह कर के पुलिसकर्मी हैं, जिन्हें मैं चेहरे से पहचान सकता हूं. उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रख के केहुनी मारी और उसके बाद साइड में ले जाकर बहुत प्यार से कहा, 'तेरी बीवी इतनी मस्त है,अच्छा देती होगी. टांग भी मस्त उठाती होगी. मज़े ले. और छोड़ दे. क्या पीछे की बातों में पड़ा है.'

 इन सब के बाद मैं हताश हो चुका था. आगे क्या करना है? किसके पास जाना है,कुछ समझ नहीं आ रहा था. फिर अचानक मार्च को जनसुनवाई पोर्टल से एक नोटीफिकेशन आया. जिसमें मेरे ही ख़िलाफ कंप्लेन दर्ज़ की हुई थी. ऐसा लिखा हुआ था कि मैं अपनी पत्नी के साथ मारपीट करता हूं. और उनसे ज़बरदस्ती ये सब बुलवा रहा हूं. इस कंप्लेन पर महिपाल सिंह जी की भी साइन थी. मैं समझ गया कि उन सातों को बचाने के लिए मुझे फंसाया गया है.

मैं ये पढ़ते ही अपनी पत्नी को उठाकर गले से लगाकर रोने लगा. मेरी पत्नी ने मुझे संभाला और आगे लड़ने की हिम्मत दी. मैं अगले ही दिन एस.पी सिटी ऑफिस गया. और सारी बातें उनसे कही. प्रिया से भी उनकी बात हुई.

मुझे सबकुछ मंजूर था. मैं फंस जाऊं. जेल चला जाऊं, सबकुछ. लेकिन वो 7 बचकर निकल जाएं. ये मंजूर नहीं. फिर उसी दिन सेक्टर-20 के थाना प्रभारी ने मुझे बुलाया और एफ.आई.आर दर्ज की गई. फिलहाल पुलिस ने आरोपियों में से एक-गौरव को गिरफ्तार कर लिया है. जबकि बाकी आरोपियों की तलाश जारी है.

जब हमने इस केस के सिलसिले में पुलिस अधिकारियों से बात की तो उन्होंने ये बताया कि पीडि़ता के परिजनों ने कोई भी शिकायत करवाने से मना कर दिया था. लेकिन पीड़िता और उसके पति द्वारा की गई शिकायत के आधार पर मुकद्दमा दर्ज कर एक पुलिस टीम गठित की जा चुकी है. और जांच जारी है. 

हमारे देश में जबतक रेप धर्म से जुड़ा या हाई प्रोफाइल नहीं होता, उसपर कोई बात नहीं करता. रेप की हिंसा से गुजरी हुई कोई लड़की जबतक राजनीति करने वालों का चारा न बने, उसका रेप, रेप नहीं, अखबार के एक कॉलम में खो जाने वाली खबर है. 

 

और हां, ये सारी बातें हमसे बताते हुए प्रिया (बदला हुआ नाम) थोड़ा भी हिचकी नहीं. न ही डरी या रोयी. वो अब इंसाफ के लिए लड़ना सीख रही है. खुद के लिए लड़ना सीख रही है. 

 

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