राधा चौहान: संसद हमले में आतंकियों की गोली खाई, आज नौकरी और छत को तरस रही हैं
कभी 'स्वीपर' तो कभी दूसरों के घर काम कर किया गुज़ारा
13 दिसबंर 2001 को राधा चौहान की ड्यूटी संसद में थी. दिल्ली पुलिस में होमगार्ड राधा संसद के गेट नंबर 5 पर एक अधिकारी को असिस्ट कर रही थीं, कि तभी गोलियों की आवाज़ आई. वो दौड़कर गेट नंबर 12 पर पहुंचीं. जिस तरफ से आवाज़ आ रही थी. उन्होंने देखा कि एक कॉन्सटेबल को गोली लगी है. वो उसे बचाने के लिए आगे बढ़ीं तो उन पर भी हमला हुआ. दो गोलियां चलीं और वो बेहोश हो गईं. जब होश आया तो अस्पताल में थीं. एक गोली पैर में, तो एक कमर में लगी. जिस कॉन्सटेबल को बचाने के लिए राधा ने जोखिम उठाई वो कमलेश कुमारी थीं, उन्हें 11 गोलियां लगीं. वो नहीं बच सकीं. राधा बच तो गईं लेकिन उनकी ज़िन्दगी मौत से भी बद्तर हो गई.
राधा बताती हैं- 'मैं कभी उस दिन को नहीं भूल सकती. अभी भी मेरे दिमाग में वो घटना ज़िंदा है. जब भी उस बारे में सोचती हूं तो घबरा जाती हूं.'
राधा चौहान सालों से परेशान हो रही हैं पर कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई. फोटो क्रेडिट- यूट्यूब
राधा की बहादुरी के लिए उन्हें कई संस्थाओं ने सम्मानित किया लेकिन खुद के विभाग से कोई हालचाल तक लेने नहीं आया. 10 दिन बाद जब नौकरी पर वापस गईं तो पता चला कि उन्हें मुआवज़ा नहीं मिलेगा क्योंकि वो जीवित हैं. साथ ही उनका कॉन्ट्रेक्ट भी खत्म कर दिया गया. राधा की नौकरी तो गई ही. दर-दर भटकने को मजबूर हो गईं. पति को ट्यूबरक्लॉसिस हो गया, पांच साल तक उसके इलाज के लिए लड़ीं. फिर उनका निधन हो गया. तब से अकेले ही झुग्गी में रह रही हैं. दिल्ली के पीडब्ल्यूडी विभाग में स्वीपर की नौकरी की तो कभी पुलिस अधिकारी के घर में काम किया. इस ही तरह अपना जीवन काटने को मजबूर हैं राधा. हर जगह बात की, कोशिश की, कि उन्हें कोई सरकारी नौकरी मिल जाए लेकिन किसी ने नहीं सुनी.
राधा चौहान को कभी स्वीपर की तो कभी नौकरानी की नौकरी करनी पड़ी. फोटो क्रेडिट- यूट्यूब
संसद हमला एक आतंकवादी हमला था. राधा ने अपनी जान की परवाह न करते हुए सीआरपीएफ कॉन्सटेबल कमलेश कुमारी को बचाने की कोशिश की. बदले में उन्हें गुमनामी और ज़िल्लत की ज़िन्दगी मिली. कितने ही सिपाही और सुरक्षाकर्मी अपनी जान पर खेलकर देश की रक्षा करते हैं पर सुनने में आता है कि सरकार उनके लिए कुछ नहीं करती. ये हमारी नैतिक ज़िम्मेदारी है कि हम अपने सुरक्षाकर्मियों को एक बेहतर ज़िन्दगी दें.
आज संसद हमले की 17वीं बरसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहीद सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि देने की रस्म अदा कर दी है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा- 'हम उन सुरक्षाकर्मियों को नमन करते हैं जिन्होंने संसद हमले के दौरान लड़ते हुए अपनी जान गंवाई. हर देशवासी को उनके जज़्बे से प्रेरणा मिलती है.'
We salute the valour of those who were martyred during the dastardly attack on our Parliament on this day in 2001. Their courage and heroism inspires every Indian.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 13, 2018
जो लोग शहीद हुए उनको तो केवल श्रद्धांजलि दी जा सकती है लेकिन जो बहादुर सिपाही उस जंग में लड़े और घायल हुए उनके लिए तो बहुत कुछ किया जा सकता था. वो भी पूरे सम्मान के अधिकारी हैं, उतने ही जितने कि शहीद सिपाही.
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