प्रियंका चोपड़ा के चरित्र पर ताना कसता ये ऐड मीडिया का सबसे घटिया चेहरा है

एक घटिया और नीच चुटकुला.

इस ऐड की तमाम चीजों पर गौर करिए.

कहा गया कि प्रियंका चोपड़ा ने शाहिद कपूर को डेट किया.

प्रियंका चोपड़ा ने हरमन बावेजा को डेट किया.

प्रियंका चोपड़ा फ़िलहाल निक जोनस को डेट कर रही हैं. मीडिया में ख़बरें हैं कि उन्होंने और निक ने एक-दूसरे को अपने-अपने घरवालों से मिलवाया है.

लोगों ने एक समय ये भी कहा था कि शाहरुख़ खान से प्रियंका का सीक्रेट अफेयर है.

लोगों ने ये भी कहा था कि प्रियंका और अक्षय कुमार के बीच संबंध थे.

मिडिल क्लास घरों से आने वाली लड़कियों को मालूम होगा कि उनके पड़ोसियों को अपने से ज्यादा उनके जीवन में इंटरेस्ट होता है. आप किससे मिलती हैं, कोचिंग पढ़ने कहां जाती हैं. आपके फ्रेंड सर्कल में लड़की और लड़कों का राशियों क्या हाल है और पिछला व्हाट्सऐप मैसेज आपने किसे भेजा है, इसकी खबर सबसे पहले आपके पड़ोसी को होती है. फिर आपके ये काबिल पड़ोसी, चार और पड़ोसियों से आपके चरित्र की चीरफाड़ करते हैं.

प्रियंका चोपड़ा को आज एक पड़ोसी मिल गया. नाम है टाइम्स न्यूज़ नेटवर्क.

ये बताना न होगा कि औरतों की तारीफ़ करते इस विज्ञापन में किस तरह एक औरत, प्रियंका चोपड़ा, के उनके सभी कथित 'अफेयर्स' को याद किया जा रहा है. क्या कोई मीडिया हाउस इससे ज्यादा गिर सकता है?

एक नज़र में ये ऐड बड़ा अच्छा लगा. तब तक ऐड पर ठीक से ध्यान नहीं दिया था. फिर मैंने तमाम चीजों पर गौर किया.

1.

ऐड बताता है कि किस तरह अंग्रेजी न्यूज़ देखने वाली लगभग आधी जनता औरतें हैं. ये बताते हुए टाइम्स न्यूज़ नेटवर्क की सभी महिला ऐंकर्स की तस्वीर लगाई गई है.

कमाल है कि औरतों की बढ़ती व्यूअरशिप को उनके सशक्तिकरण से जोड़ता ये विज्ञापन खुद एक औरत को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहा है.

अब आप कहेंगे कि किसी एक्ट्रेस के बॉयफ्रेंड या कथित प्रेमी का नाम लेना क्या उसे नीचा दिखाना है? जी नहीं, मगर कोई ये भी बता दे कि किसी लड़की के नाम के साथ उसके कथित पूर्व प्रेमियों का नाम जोड़कर लिखना क्या परोक्ष तरीके से हर उस पुरुष को याद करना नहीं है? और किसी महिला के जीवन में आये हर एक पुरुष को याद कर क्या हम उसे सशक्त करते हैं?

टाइम्स न्यूज़ नेटवर्क को एकाध बातें पता होनी चाहिए. क्या है न, आम जनता समझती है कि पत्रकार लोग पढ़े-लिखे और समझदार होते हैं. बेचारे भरोसा कर बैठते हैं पत्रकारों पर. उनको पता चलेगा कि महिला ऐंकर्स की फ़ौज का शो ऑफ करने वाले नेटवर्क को महिला सशक्तिकरण और नारीवाद के माने ही नहीं पता हैं तो उन्हें कैसा लगेगा?

तो देश के सबसे महिला-फ्रेंडली नेटवर्क को मैं महिला सशक्तिकरण का पहला रूल बता दूं--दूसरी महिलाओं को जज न करें. उनके चरित्र पर सवाल न उठाएं. उनके निजी जीवन में न घुसें. उन पर इसलिए चुटकुले न बनाएं क्योंकि उनके एक से अधिक पुरुषों से संबंध रहे हैं.

प्रियंका चोपड़ा को UNICEF गुडविल ऐम्बैसडर बन चुका है. फोटो क्रडिट: @priyankachopra प्रियंका चोपड़ा को UNICEF गुडविल ऐम्बैसडर बन चुका है. फोटो क्रडिट: @priyankachopra

2.

महिलाओं का टीवी देखना और उनका न्यूज़ शो को होस्ट करना उनके सशक्तिकरण का प्रमाण नहीं होता. सशक्तिकरण की दलीलें तब दी जाएं जब एक न्यूज संस्थान के तौर पर टाइम्स न्यूज़ नेटवर्क को ये सभी जवाब मिल जाएं:

- क्या उन्होंने महिला एक्टर्स के कपड़ों को जज करना बंद कर दिया है?

- क्या उन्होंने महिलाओं के शरीर बेचती तस्वीरों के सहारे ख़बरें और बुलेटिन चलाने बंद कर दिए हैं?

- क्या उन्होंने आम पुरुष की पोर्नोग्राफिक मानसिकता से खेलना बंद कर दिया है?

- क्या उन्होंने क्लीवेज और स्कर्ट के सहारे ख़बरें बनानी बंद कर दी हैं?

ध्यान मत भटकने दीजिए, हम मीडिया में औरतों के सशक्तिकरण की बात कर रहे हैं.

3.

टाइम्स न्यूज़ नेटवर्क ने अपनी महिला ऐंकर्स की तस्वीर यूं लगाई है जैसे वो उनकी ताकत हों. उनकी ताकत सिर्फ उनका पत्रकार होना नहीं, उनका महिला होना हो. टाइम्स न्यूज़ नेटवर्क समेत सभी न्यूज़ चैनल जो महिला ऐंकर्स पर अभिमान दिखाते हैं, ये भी बता दें कि क्या कभी वे किसी दबे रंग की, उम्र में 50 वर्ष से ऊपर, मोटी या टेढ़े दांत वाली ऐंकर से ऐंकरिंग करवाएंगे? जहां तक पुरुष ऐंकर्स की बात है, हमने 60 वर्षीय ऐंकर भी देखे हैं. उच्चारण दुरुस्त न होने वाले ऐंकर भी देखे हैं. इसे उनकी ताकत माना गया है. औरतों के साथ ऐसा रिस्क नहीं लिया जाता.

कहने का अर्थ ये नहीं है कि जो महिला ऐंकर्स टाइम्स न्यूज़ नेटवर्क या किसी भी चैनल पर दिखती हैं वो किसी भी मामले में किसी से कम हैं. अर्थ बस इतना है कि ऐंकर के सिलेक्शन में उनका चेहरा और कद हमेशा पितृसत्तात्मक नजरिये से 'परफेक्ट' दिखना क्यों होता है?

4.

#WomenOnTop का नारा देते हुए टाइम्स न्यूज़ नेटवर्क ने मीडिया जगत के सबसे घटिया चेहरे को उजागर किया है. एक घटिया चेहरा जो किसी समुदाय विशेष के प्रति बुरी सोच रखने, किसी व्यक्ति विशेष को बिकाऊ होने से भी ज्यादा घटिया है.

जहां तक बात प्रियंका चोपड़ा की है, उनका हॉलीवुड में जाना उनका निजी फैसला है. माफ़ करें, पर प्रियंका एक मुक्त औरत हैं. वो अपनी फ़िल्में देश सेवा के लिए नहीं चुनती. आप टैक्स चुराने, रिश्वत लेने और सरकारी सामान चोरी करने के पहले देश के बारे में सोचते हैं क्या? प्रियंका भी शाही शादी में जाने के पहले ये नहीं सोचतीं कि उन्हें देश के लिए साड़ी पहननी चाहिए. सोचना भी नहीं चाहिए.

 शाही शादी में प्रियंका का अंदाज़. फोटो क्रडिट: @priyankachopra शाही शादी में प्रियंका का अंदाज़. फोटो क्रडिट: @priyankachopra

प्रियंका, जो हर दिन, कभी अपनी फिल्मों, कभी अपने फैसलों के लिए ट्रोल होती आई हैं, उनकी ट्रोलिंग में टाइम्स न्यूज़ नेटवर्क ने इस ऐड के सहारे खूब मदद की है. न्यूज़ देखने वाली जनता में से 42 फीसद औरतें हो सकती हैं. मगर उन 42 फीसद औरतों को आप क्या दिखा रहे हैं, इसपर विचार करें.

 

लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे      

Copyright © 2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today. India Today Group